Andekha Pyaar - 6 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | अनदेखा प्यार - 6

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अनदेखा प्यार - 6


❤️ एपिसोड 6 – "अनदेखा प्यार "


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प्रारंभ – जब अनदेखा भी दिखने लगे

कहते हैं, कुछ प्यार दिखता नहीं…
लेकिन महसूस होता है —
हर खामोशी में, हर इंतज़ार में, हर उन पलों में जब आँखें सब कुछ कह जाती हैं।

फैजल और नाज़ — अब साथ हैं, लेकिन उनका रिश्ता उस प्रेम जैसा है जो शोर नहीं करता… बस ठहरता है।


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सप्ताह बीते…

शहर में सर्दी उतर आई थी।
फैजल अब अपने स्टूडियो में नाज़ के लिए एक खास ड्रेस डिज़ाइन कर रहा था – सफेद रंग की सूती साड़ी, जिस पर नीले कढ़ाई के फूल थे।
वही फूल जो नाज़ की डायरी के कवर पर बने थे।

राशिद (मुस्कुराकर): “तेरा प्यार अब साड़ी तक आ गया भाई?”

फैजल (हँसते हुए): “अब वो मेरी दुनिया है – तो कपड़े भी उसी के रंग में होंगे।”


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नाज़ – आत्मा से जुड़ी लड़की

नाज़ अब खुद से भी जुड़ने लगी थी।
वो अब अपनी लाइब्रेरी में बच्चों को पढ़ाती थी, खुद कविताएं लिखती थी, और हर रोज़ फैजल को एक नया शब्द सिखाती थी।

एक दिन उसने फैजल को एक खत दिया।
खत के ऊपर लिखा था –
"अनदेखा प्यार – मेरी ओर से तुम्हारे लिए"


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खत का अंश

> "फैजल,
जब मैंने तुम्हें पहली बार देखा था, मैं खुद को भी नहीं देख पा रही थी।
तुमने मुझे मुझसे मिलवाया – बिना किसी वादे के, बिना किसी मजबूरी के।
मुझे नहीं पता कि ये रिश्ता कितना लंबा चलेगा…
पर इतना ज़रूर जानती हूँ कि ये वो रिश्ता है, जिसने मुझे फिर से जीना सिखाया है।
*तुम मेरे लिए एक किताब की तरह हो — हर पन्ना सादा, लेकिन अर्थपूर्ण।
तुम्हारा अनदेखा प्यार… अब मेरी आँखों से भी दिखने लगा है।
– नाज़"




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अचानक – एक परीक्षा

एक दिन अचानक नाज़ बीमार पड़ गई।
तेज़ बुखार, कमजोरी, और हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा।

फैजल एक पल के लिए नहीं हटा।
रातें उसके सिरहाने बैठा बीतीं — उसकी हथेली थामे, उसकी साँसें गिनते हुए।

डॉक्टर: “कुछ नहीं, वायरल है। पर कमजोरी बहुत है। प्यार से देखभाल चाहिए।”

फैजल ने मुस्कुरा कर कहा:
“प्यार? डॉक्टर साहब, वो तो मैं हर साँस के साथ करता हूँ।”


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उपसंहार – एक शाम, एक वादा

नाज़ ठीक हो चुकी थी।
उसी पुरानी लाइब्रेरी में दोनों बैठे थे — चाय के कप, दो किताबें, और एक पुरानी डायरी।

नाज़ ने कहा, “अब चलो कहीं दूर… जहाँ तुम सिर्फ मेरे हो, और मैं सिर्फ तुम्हारी।”

फैजल ने पूछा, “शादी?”

नाज़ मुस्कराई, “नहीं… साथ। शादी तो रस्म है, मैं तो तुम्हारा नाम अपनी हर साँस में बुन चुकी हूँ।”

फैजल ने उसका हाथ थामा,
“तो चलो… उस जगह चलें, जहाँ बारिश हो, किताबें हों, और हमारा अनदेखा प्यार हो।”


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अंतिम दृश्य – पहाड़ों की वादी में

कहानी पहाड़ों की एक सुंदर वादी में खत्म होती है, जहाँ दोनों एक छोटी-सी लकड़ी की कॉटेज में रहते हैं।

हर सुबह किताबें, हर दोपहर चाय, और हर शाम बारिश…
और बीच में, दो आत्माएँ जो अब अनदेखी नहीं — एक-दूसरे के भीतर रच-बस चुकी हैं।


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❤️ एपिसोड 6 समाप्त – "अनदेखा प्यार"