💌 एपिसोड 6 – मुस्कान के पीछे की चिट्ठियाँ
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1. वो अलमारी का कोना – जहाँ कुछ छुपा था
नैना अपनी पुरानी अलमारी साफ़ कर रही थी।
वो अलमारी जिसे उसने सालों से नहीं खोला था।
कपड़ों के नीचे, किताबों के पीछे —
एक नीले रंग का लेदर फोल्डर रखा था।
उसने फोल्डर खोला,
तो उसके भीतर थीं – चिट्ठियाँ।
कोई उसे लिखी गई चिट्ठियाँ नहीं थीं —
बल्कि नैना ने खुद अपने अतीत को, खुद से ही लिखी थीं।
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2. आरव का आना – बिना इजाज़त के, लेकिन प्यार से
आरव बिना प्लान किए नैना के घर आ गया।
दरवाज़ा खुला था। नैना भीतर थी।
"मैं अंदर आ जाऊँ?" – उसने पूछा।
"पहले से ही आ चुके हो," नैना ने मुस्कुराते हुए कहा।
आरव ने देखा — नैना फर्श पर बैठी है, हाथ में एक चिट्ठी और आँखें नम।
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3. पहली चिट्ठी – ‘माँ के जाने के बाद’
नैना ने वो चिट्ठी आरव को दी और कहा,
“पढ़ लेना... अगर समझ सको, तो रह जाना।”
आरव ने पढ़ना शुरू किया:
> "माँ के जाने के बाद हर चीज़ में खालीपन भर गया है।
मैं लोगों से नहीं, अपने आप से डरती हूँ अब।
हर मुस्कान के पीछे एक नकाब है,
और हर सवाल का जवाब – चुप्पी।"
आरव पढ़ता गया…
हर शब्द जैसे नैना की रूह को खोल रहा था।
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4. दूसरी चिट्ठी – ‘उस दोस्त का विश्वासघात’
> "एक दोस्त था, जिसे मैंने खुद से ज़्यादा चाहा।
लेकिन उसने मेरा भरोसा तोड़ा…
और मेरे भीतर 'प्यार' शब्द के लिए एक खौफ पैदा कर दिया।
अब जब कोई पास आता है, तो मैं खुद को पीछे खींच लेती हूँ।"
आरव के चेहरे पर सन्नाटा था।
लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।
उसने वो चिट्ठी धीरे से मोड़कर रख दी —
जैसे किसी ज़ख्म को छूकर वापस ढक दिया हो।
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5. तीसरी चिट्ठी – ‘खुद से की गई बातें’
> "मैं जानती हूँ, मैं अकेली हूँ…
लेकिन शायद, मैं अकेले ही ठीक हूँ।
क्योंकि जो लोग प्यार के नाम पर आए,
वो मुझे तोड़कर चले गए।
मैं अब किसी का इंतज़ार नहीं करती।"
आरव ने ये चिट्ठी पढ़कर कहा:
“लेकिन अब कोई गया नहीं है, नैना।
अब कोई रुका है — सिर्फ तुम्हारे इंतज़ार में नहीं, तुम्हारे साथ चलने के लिए।”
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6. पहली बार – नैना का खुला स्पर्श
नैना ने अपना हाथ धीरे से बढ़ाया और आरव की उंगलियों को छुआ।
ना पूरी हथेली, ना कसकर पकड़ा…
बस हल्का स्पर्श —
जैसे कोई पहली बार बर्फ पर कदम रखता है।
“क्या तुम अब भी यहीं रहोगे?”
आरव ने जवाब नहीं दिया।
उसने बस अपने हाथ से नैना की उंगलियों को थाम लिया,
एक हल्के, गरम एहसास के साथ।
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7. चिट्ठियों की आखिरी लाइन – और एक नई शुरुआत
नैना ने आखिरी चिट्ठी आरव को दिखाते हुए कहा:
> "अगर कोई कभी मेरी चुप्पी को पढ़ सके,
मेरी मुस्कान के पीछे की लड़ाई को महसूस कर सके…
तो शायद मैं फिर से जीना सीख सकूँ।"
आरव ने मुस्कराकर कहा:
“तुम्हारे हर अक्षर को मैंने दिल से पढ़ा है, नैना।
अब बाकी कहानी हम साथ में लिखेंगे।”
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8. उस रात – कोई आंसू नहीं, कोई डर नहीं
नैना और आरव एक ही कमरे में बैठे थे —
ना कोई रोमांटिक एक्सप्रेशन, ना कोई ज़्यादा नज़दीकी…
लेकिन उस रात, नैना ने पहली बार
आरव के कंधे पर सिर रखकर चैन की नींद ली।
उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी —
वो मुस्कान अब झूठ नहीं थी,
बल्कि एक सच्चा एहसास था।
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🔚 एपिसोड 6 समाप्त – मुस्कान के पीछे की चिट्ठियाँ