👶 एपिसोड 12 – जब तीसरी धड़कन बोल उठी
---
1. वही रात, नया अनुभव
आरव और नैना एक-दूसरे के बहुत पास बैठे थे।
आरव की हथेली अभी भी नैना के पेट पर थी।
"वो..." नैना की आवाज़ काँप रही थी।
"हाँ..."
आरव भी काँप गया था —
वो आरव था, जिसे किसी भी इमारत का नक्शा बनाने में वक्त नहीं लगता था,
लेकिन आज एक अनदेखी रेखा ने उसकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया था।
---
2. अगली सुबह – चुप्पी में सन्नाटा नहीं, उम्मीद थी
नैना जल्दी उठी।
आरव उसके पास आया और धीरे से बोला:
"तुम्हारी चाय तैयार है... लेकिन अब से उसमें और भी बहुत कुछ डालना होगा — जैसे आयरन, कैल्शियम, और… मेरी परवाह।"
नैना मुस्कुरा दी।
"और तुम्हारे डर?"
"उन्हें रोज़ पिघलाना पड़ेगा…" आरव ने कहा।
---
3. डॉक्टर का पहला अपॉइंटमेंट – और वो पहली तस्वीर
वो दोनों क्लिनिक पहुँचे।
नैना थोड़ी घबराई हुई थी —
आरव का हाथ पूरे समय उसकी उंगलियों में था।
जब डॉक्टर ने सोनोग्राफ़ी स्क्रीन की ओर इशारा किया —
वो छोटी सी धड़कती बिंदी —
तीसरी धड़कन – ज़िंदा, सजीव और चमत्कारी।
"ये... हमारा बच्चा है?"
आरव की आँखें भर आईं।
डॉक्टर मुस्कुराई:
"सिर्फ बच्चा नहीं… अब आपकी कहानी का तीसरा किरदार।"
---
4. घर लौटते वक़्त – खामोश सड़क, बोलता मन
वो कार में बैठे थे।
कोई संगीत नहीं, कोई शब्द नहीं।
लेकिन दिल बोल रहे थे —
हर सांस जैसे कह रही थी —
"अब हम दो नहीं रहे..."
आरव ने धीरे से कहा:
"नैना, क्या हम... तैयार हैं?"
नैना ने कहा:
"माँ बनना सीखा नहीं जाता...
और शायद पिता बनना भी नहीं...
पर साथ निभाना...
वो हम जान चुके हैं।"
---
5. नैना की डायरी – तीसरी धड़कन के नाम पहला खत
> "तू अभी शब्द नहीं, सिर्फ धड़कन है।
लेकिन मैंने तुझे सुन लिया है…
मेरी कविताओं में अब तेरी साँसें शामिल हैं,
मेरी रसोई की खुशबू में तेरी आहट है।
तू आये या ना आये,
तू अब मेरी सबसे बड़ी कविता बन चुका है…"
---
6. आरव की उलझन – आर्किटेक्ट जो पहली बार डर गया
रात को आरव बिस्तर पर बैठा रहा।
नैना सो चुकी थी,
पर आरव जाग रहा था।
उसने अपनी डायरी निकाली — पहली बार।
> "मैं एक आर्किटेक्ट हूँ।
मैंने छतें खड़ी की हैं, दीवारें गढ़ी हैं,
पर अब मैं एक 'घर' बनने जा रहा हूँ…
और उस घर में सबसे पहले एक साँस आएगी —
जो हमें माँ-बाप कहेगी।
क्या मैं तैयार हूँ?
शायद नहीं…
पर मैं कोशिश ज़रूर करूँगा।"
---
7. पहली खरीद – वो नन्हा सा जोड़ा
अगले दिन आरव अकेले निकला।
वो एक बेबी शॉप में गया —
और वहाँ बिना ज़्यादा सोचे
एक छोटा सा पीला रंग का बेबी सूट ख़रीद लाया।
घर आकर नैना को दिखाया।
"ये...?" नैना ने आश्चर्य से देखा।
आरव बोला:
"पहली बार... कुछ ऐसा खरीदा जो पहनने वाला अभी आया ही नहीं।
लेकिन... वो यहीं कहीं है ना?"
नैना की आँखें छलक उठीं।
---
8. खिड़की के पास – एक और कविता
आरव ने नैना को खिड़की के पास ले जाकर कहा:
"तुम्हारी सबसे सुंदर कविता क्या होगी, नैना?"
नैना ने आरव की हथेली अपने पेट पर रखी —
और धीमे से बोली:
"वो जो अब मेरे भीतर धड़क रही है…"
---
9. चाय फिर से – पर स्वाद बदल चुका था
शाम को फिर चाय बनी —
लेकिन अब उसमें इलायची से ज़्यादा
भावनाएँ थीं।
आरव ने प्याली उठाई और बोला:
"इस बार की चाय सिर्फ दो के लिए नहीं बनी…
तीन की है —
और तीसरा सबसे छोटा है,
लेकिन सबसे गहरा भी।"
नैना ने जवाब दिया:
"उसके बिना अब हमारी कोई कहानी पूरी नहीं होगी..."
---
🔚 एपिसोड 12 समाप्त – जब तीसरी धड़कन बोल उठी