Pahli Nazar ki Khamoshi - 18 in Hindi Anything by Mehul Pasaya books and stories PDF | पहली नज़र की खामोशी - 18

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पहली नज़र की खामोशी - 18


🤐 एपिसोड 18 – जब चुप्पी ने सवाल पूछे




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1. प्रतीक के जाने के बाद – घर में रह गई एक खामोशी

प्रतीक अब जा चुका था,
लेकिन उसकी परछाई अब भी आरव के मन के कोने में थी।

नैना कमरे में कपड़े समेट रही थी,
और आरव बालकनी में चुपचाप बैठा झूले को देख रहा था।

उसका चेहरा शांत था,
लेकिन उसकी आँखें… जैसे किसी सवाल में उलझी हुई थीं।


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2. आरव का मन – अनकहा डर और अहसास

“क्या प्रतीक बस एक दोस्त था?
या कोई ऐसा पन्ना,
जिसे नैना ने बंद ज़रूर किया हो…
लेकिन आज अचानक हवा से वो खुल गया?”

इन सवालों ने उसे बेबस नहीं किया,
पर सोच में ज़रूर डाल दिया।


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3. नैना की मुस्कान – और उसके पीछे छुपा हुआ बोझ

शाम को नैना ने हल्की-सी चाय बनाई और कहा:

"आजकल तुम बहुत चुप हो गए हो, आरव।
सब ठीक है?"

आरव ने मुस्कराते हुए कहा:

"सब ठीक है… पर शायद अब हमारी ज़िंदगी में इतनी हलचल है कि… ख़ामोशी से डर लगने लगा है।"

नैना ने चाय का कप थोड़ा ज़ोर से टेबल पर रखा।
उसने कुछ कहना चाहा, लेकिन रुक गई।


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4. रात की खामोशी – और पहली बार एक छोटा झगड़ा

रात को बिस्तर पर दोनों एक-दूसरे से पीठ किए लेटे थे।

"तुम मुझसे कुछ छिपा तो नहीं रही?"
आरव ने पूछा।

"क्या मतलब?"
नैना का स्वर थोड़ा सख्त हुआ।

"मतलब ये… कि प्रतीक सिर्फ एक पुरानी पहचान है,
या वो कभी तुम्हारे दिल का हिस्सा था?"

नैना उठ बैठी।

"तुम मुझ पर शक कर रहे हो?"

"नहीं… बस जानना चाहता हूँ कि आज जो कुछ भी है,
उसके पीछे कल क्या था।"


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5. नैना की सच्चाई – और उसका टूटा हुआ भरोसा

"हां… कॉलेज में प्रतीक मुझे पसंद करता था।
मुझे भी उससे लगाव था।
लेकिन मैंने कभी उसे ‘वादा’ नहीं किया।
हम अलग रास्तों पर बढ़ गए।
फिर तुम आए… और सब बदल गया।"

उसकी आँखें नम थीं।

"पर आज… अगर मेरा अतीत मेरे वर्तमान को चोट पहुँचा रहा है,
तो शायद मैं तुम्हारी नहीं रही…"


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6. आरव का मौन – और फिर अचानक एक दर्दभरा मोड़

आरव कुछ बोल पाता,
उससे पहले नैना की साँसें तेज़ होने लगीं।

उसने पेट पर हाथ रखा और हल्का कराह उठी।

"आरव… मुझे कुछ अजीब लग रहा है… बहुत अजीब…"


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7. अस्पताल की दौड़ – फिर वही स्ट्रेचर, वही डर

आरव ने देर नहीं की।
इस बार वो पहले से ज़्यादा घबराया हुआ था।

डॉक्टरों ने नैना को जाँच के लिए अंदर ले लिया।

आरव वही वेटिंग चेयर पर बैठा था,
जहाँ पिछले महीने बैठा था।

लेकिन इस बार उसके सवाल अलग थे —
और डर और ज़्यादा गहरा।


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8. डॉक्टर की रिपोर्ट – और राहत

"घबराने की ज़रूरत नहीं है।
थोड़ा ब्लड प्रेशर गिरा था।
स्ट्रेस की वजह से हुआ है।
कुछ दिनों तक पूरा आराम चाहिए।
कोई मानसिक तनाव नहीं!"

डॉक्टर ने जब ये कहा,
तो आरव की आँखों में आँसू थे।

"मैं ही इसका कारण हूँ…" उसने बुदबुदाया।


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9. नैना की मुस्कराहट – जो माफ़ कर गई

जब नैना को होश आया,
तो उसने आरव को देखा — सिर पकड़े, आँसू छुपाते हुए।

"मैंने तुमसे सिर्फ सच्चाई बाँटी थी,
शक नहीं चाहा था…"

आरव ने उसका हाथ पकड़ा:

"माफ़ करना… मेरी चुप्पी ने वो पूछा
जो मेरा दिल कभी नहीं पूछना चाहता था।"


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10. डायरी की पंक्तियाँ – और चुप्पियों की भाषा

> "आज जब मेरा शरीर टूटा,
तब मेरे शब्दों ने नहीं, मेरी चुप्पी ने आरव से कहा —
‘मैं अब भी सिर्फ तुम्हारी हूँ।’
और उसकी चुप्पी ने जवाब दिया —
‘मैं तुम्हारे बिना कुछ नहीं।’
कुछ चुप्पियाँ, शब्दों से बड़ी होती हैं…
और कुछ सवाल, जवाब से कम ज़रूरी।"




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🔚 एपिसोड 18 समाप्त – जब चुप्पी ने सवाल पूछे