🌙 एपिसोड 20 – जब सपना चलने लगा
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1. रात का सन्नाटा – और धीमी साँसें
वो रात किसी आम रात जैसी नहीं थी।
बाहर हवाएँ हल्की-सी ठंडी थीं,
चाँद बादलों में छुप-छुपकर झाँक रहा था।
नैना बिस्तर पर लेटी थी।
उसका हाथ अपने पेट पर रखा था।
आरव उसके पास लेटा, धीरे-धीरे साँसों की लय में खोया था।
लेकिन नैना की आँखें खुली थीं —
जैसे कोई आने वाले कल की दस्तक सुन रही हो।
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2. पहली नींद – और पहला सपना
धीरे-धीरे नैना की आँखें मूँदीं।
और फिर…
वो किसी और ही दुनिया में चली गई।
एक साफ़ नीला आकाश…
बर्फ़ जैसे बादल…
और एक मैदान, जहाँ रंग-बिरंगे फूलों की चादर बिछी थी।
उसने खुद को एक झूले पर बैठा देखा —
और सामने एक छोटा बच्चा… लगभग दो साल का,
जो हल्के-हल्के चल रहा था।
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3. सपने की हलचल – पहली मुस्कान
बच्चे की आँखें बिल्कुल आरव जैसी थीं —
गहरी, गर्म, भरोसे से भरी।
और मुस्कान?
वो बिलकुल वैसी थी जैसे नैना अपनी माँ की गोद में हँसती थी।
बच्चा दौड़ता हुआ आया —
और नैना की गोद में चढ़ गया।
"माँ…"
उसने धीमे से कहा।
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4. सपना चलता रहा – और नाम की पुकार
नैना ने बच्चे से पूछा:
"तुम्हारा नाम क्या है?"
बच्चे ने मुस्कराते हुए कहा:
"जो तुमने सोचा है… वही!"
और तभी हवा में एक नाम गूँजा —
"अन्वीश…"
लेकिन जैसे ही नाम आया,
नैना की गोद से बच्चा उतर गया —
और दूर दौड़ने लगा।
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5. अचानक हलचल – और नींद का टूटना
नैना की साँसें तेज़ हो गईं।
उसने आँखें खोलीं —
और अपने पेट पर फिर से वो हलचल महसूस की।
आरव ने करवट बदलते हुए पूछा:
"ठीक हो?"
"हां…" नैना धीमे से मुस्कराई,
"आज हमारे बच्चे ने मेरे सपने में चलना सीखा।"
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6. सुबह की शुरुआत – और एक नई चमक
सुबह जब नैना उठी,
उसका चेहरा अलग था।
एक आत्मिक चमक, एक संतुलन —
जैसे उसने कोई उत्तर पा लिया हो।
आरव ने उसे देखा:
"आज कुछ अलग लग रही हो…"
"क्योंकि आज मैं सिर्फ तुम्हारी नैना नहीं…
आज मैं एक माँ हूँ। पूरी।"
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7. डॉक्टर की चेकअप – और ह्रदय की धड़कन
डॉक्टर ने जाँच की और कहा:
"अब बच्चा नियमित गति से हिलने लगा है।
इसका मतलब है कि अब वो अपने परिवेश को समझने लगा है।
आपकी भावनाएँ, आपके विचार…
सब अब उसमें शामिल हो रहे हैं।"
नैना ने मुस्कराकर पेट पर हाथ फेरा।
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8. माँ और बेटी की बातचीत – भावनाओं का आदान-प्रदान
नैना ने माँ को कॉल किया।
"माँ, मैं माँ बनने वाली हूँ।
लेकिन आज पहली बार मुझे माँ जैसी अनुभूति हुई।
सपने में, एक छोटे से चेहरे को देखकर…
मुझे लगा, मैं पूरी हो गई।"
माँ ने कहा:
"बेटी, जब सपनों में संतान दिखने लगे,
तो समझो आत्मा जन्म की ओर बढ़ रही है।"
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9. डायरी की पंक्तियाँ – सपना जो रुका नहीं
> "आज मेरा सपना चला।
उसके पैर मेरे सपनों में दौड़े —
और मेरी गोद में आकर
मेरे अस्तित्व को नया आकार दे गए।
ये सिर्फ सपना नहीं था —
ये एक संदेश था,
कि मैं अब किसी के लिए सिर्फ प्रेम नहीं,
एक जीवन हूँ।"
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🔚 एपिसोड 20 समाप्त – जब सपना चलने लगा