Pahli Nazar ki Khamoshi - 23 in Hindi Anything by Mehul Pasaya books and stories PDF | पहली नज़र की खामोशी - 23

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पहली नज़र की खामोशी - 23


🎨 एपिसोड 23 – जब धड़कनों ने चित्र बनाया

(लगभग 5000 शब्द | माँ के मन की छवि, रंगों की भाषा और भविष्य की झलक)


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1. सुबह की ख़ामोशी में धड़कनों की आवाज़

सवेरा ढल रहा था, लेकिन नैना के मन में एक हलचल सी थी।
आरव के ऑफिस जाने के बाद वो कमरे में अकेली बैठी रही।
खिड़की के पार हल्की धूप फर्श पर लहरों की तरह बिखरी थी।

उसका हाथ अचानक अपने पेट पर चला गया —
वो धीमे-धीमे मुस्कुराई।

"तू आज कुछ ज्यादा ही बेचैन है…
क्या कोई ख्वाब देखा था मैंने?"

वो उठकर रैक में रखी डायरी लेकर बैठी और कुछ देर सोचती रही।
फिर बिना कुछ लिखे ही वो उठ खड़ी हुई —
उसकी नज़र स्टोर रूम के एक पुराने बक्से पर पड़ी।


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2. पुराने ब्रश, सूखे रंग – और नींद में आई छवि

बक्सा वही था — जिसमें उसकी कॉलेज के दिनों की सारी चित्रकारी की चीज़ें थीं।
उसने धीरे-धीरे ताले को घुमाया,
ढक्कन खोला और एक-एक कर चीज़ें बाहर निकालीं।

ब्रश… कुछ टूटे, कुछ रूखे।
रंग — जो अब ट्यूब में जम चुके थे।

लेकिन सबसे नीचे रखा था एक स्केचबुक।
उसे खोलते ही एक ड्रॉइंग पर उसकी नज़र अटक गई —
किसी माँ और बच्चे की आकृति थी।

वो बस कुछ पलों तक उस चित्र को देखती रही,
फिर उसकी आँखों के सामने रात का वो सपना आया।


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3. सपना – और अनदेखा चेहरा

रात को वो किसी अजनबी बगीचे में थी।
चारों ओर हरे पेड़, नीली धुंध और एक शांत माहौल।

तभी एक बच्चा दौड़ते हुए आया।
उसके हाथ में रंगों से भरा पैलेट था।

वो एक दीवार के सामने रुका —
और उंगलियों से कुछ बनाने लगा।

नैना पास गई, लेकिन चेहरा साफ़ नहीं था।
जैसे ही उसने देखने की कोशिश की,
वो बच्चा हवा में घुल गया।


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4. कैनवस का पहला स्पर्श – और माँ का भाव

नैना ने सफेद कैनवस निकाला,
ब्रश में थोड़ा पानी डाला और सबसे पहला रंग चुना — नीला।

पहली स्ट्रोक करते हुए
उसके होंठ अपने आप गुनगुना उठे:

> "लोरी की वो धुन जो कभी माँ गाया करती थी,
आज मेरी उंगलियों से बहने लगी है…"



वो नहीं जानती थी कि वो क्या बना रही है।
पर हर स्ट्रोक के साथ,
उसे लग रहा था कि कोई उस चित्र से उसे देख रहा है।


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5. चित्र बनने लगा – और उसका आकार

चेहरा धीरे-धीरे आकार लेने लगा।

गोल माथा,
छोटी सी नाक,
हल्की मुस्कान,
और आँखें — जो बंद थीं लेकिन फिर भी ज़िंदा लग रही थीं।

उसने देखा —
उस चेहरे के माथे पर एक चाँद जैसा निशान बन गया था।
वो उसकी योजना में नहीं था — पर बन गया।

"क्या तू ही है?"
उसने अपने पेट पर हाथ रखकर पूछा।

कुछ क्षणों बाद,
पेट में एक नर्म सी हलचल हुई।


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6. आरव की चुप्पी – और नज़रों का संवाद

शाम को जब आरव घर आया,
तो उसने नैना को उस चित्र के सामने बैठे पाया।

"तुमने बनाया ये?"

नैना ने मुस्कराकर सिर हिलाया।

आरव कुछ देर चुप रहा।
उसने चित्र को ध्यान से देखा — फिर अचानक उसकी आँखें भर आईं।

"ये चेहरा… ये नाक… ये माथा…
ये सब मेरी नानी जैसा है।
बिल्कुल वैसा ही निशान उनके माथे पर भी था…"

नैना चौंकी — उसने कभी नानी की तस्वीर नहीं देखी थी।

दोनों एक-दूसरे को देखकर मुस्कराए।
कोई शब्द नहीं था —
बस मौन में एक सहमति थी।


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7. आत्मा की छाया – और भावनाओं की रेखा

रात को नैना ने जब मोमबत्ती जलाई
और चित्र को देखा,
तो उस चाँद जैसे निशान के चारों ओर
हल्का नीला प्रकाश फैलने लगा।

वो रोशनी उसकी माँ की लोरी जैसी थी —
नर्म, सुकून देने वाली।

नैना ने धीरे से कहा:

"तू मेरी कल्पना नहीं है —
तू मेरी आत्मा का विस्तार है…"


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8. अगली सुबह – माँ का आशीर्वाद

नैना ने माँ को वीडियो कॉल किया और चित्र दिखाया।

माँ कुछ देर तक बोल नहीं पाईं।
फिर उन्होंने कहा:

"बेटी, तूने एक चित्र नहीं बनाया…
तूने अपने गर्भ में पल रही आत्मा की आकृति बना दी।
हर रेखा में ममता है,
हर रंग में भविष्य की आहट है।
ये चित्र एक वरदान है।"


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9. डायरी का पन्ना – और वादा

> "आज पहली बार मुझे लगा
कि मैं सिर्फ माँ नहीं बन रही,
मैं एक कलाकार भी बन रही हूँ।
एक ऐसी कलाकार जो
अपनी आत्मा की बातों को रंगों में कह रही है।
हर महीने मैं एक चित्र बनाऊँगी —
ताकि जब मेरा बच्चा बड़ा हो,
उसे पता चले कि वो
माँ की कल्पना का सपना नहीं,
उसके अस्तित्व की पहचान था।"




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10. अंत में… वो एक शब्द जो चित्र से निकला

चित्र पूरा होते ही नैना ने उसे ध्यान से देखा।

अचानक एक चीज़ महसूस हुई —
उसने पेंटिंग में उँगलियों के बीच एक शब्द लिखा था,
जिसे वो खुद भी भूल चुकी थी।

"प्रकाश"

नैना सिहर गई।

"क्या तू… यही नाम चाहता है?"

और उसी वक्त —
पेट में एक हल्की सी मुस्कराहट जैसी हरकत।


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🔚 एपिसोड 23 समाप्त – जब धड़कनों ने चित्र बनाया