Bandhan - 42 in Hindi Fiction Stories by Maya Hanchate books and stories PDF | बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 42

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बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 42

चैप्टर 42
जैसे ही वीरा  यह बताती है कि राम जी और सिद्धार्थ जी का एक्सीडेंट हो गया है,तो आरोही और तरुण के पैरों तले जमीन खिसक जाती है। 
अभी तरुण और आरोही वीर से ऑपरेशन थिएटर का रास्ता पूछ कर वहां से एकदम भाग कर चले जाते हैं। 
उनके जाते ही वहां पर कार्तिक की मां संजना जी आती है क्योंकि वह शहर की नहीं- बल्कि पूरे देश की बेस्ट चाइल्ड डॉक्टर थी। 

वह जल्दी से वार्ड के अंदर जाती है। और संन्नवि का इलाज शुरू कर देती है। बाहर वनराज, शिवाय  रुचिता, इशिता जी खड़े थे।
कौरव और आर्य दोनों बेंच पर बैठे हुए थे। 

कुछ देर बाद ऑपरेशन थिएटर के बाहर कार्तिक दुर्गा नवीन जी (कार्तिक के पिता) बाहर आते हैं उनके साथ और भी डॉक्टर आते हैं। 
उन सबको बाहर आते देखकर वहां पर खड़े शर्मा कपाड़िया और मल्होत्रा डॉक्टर को घेर कर राम जी सिद्धार्थ जी सांची की तबीयत के बारे में पूछते हैं। 
तो वह बोलते हैं कि राम और सिद्धार्थ जी खतरे से बाहर है पर सांची को अभी अंडर ऑब्जर्वेशन रखना होगा। 
जहां राम और सिद्धार्थ जी की कंडीशन को स्टेबल सुनकर सभी लोग राहत की सांस लेते हैं तो सांची की अनस्टेबल हालत देखकर परेशान भी हो जाते हैं। 

तभी एक नर्स आकर सबसे पूछती है... यहां किसी का ब्लू ए बी नेगेटिव है. जिसे सुनकर पूरे कपाड़िया खानदान के मर्द अपना हाथ उठाते हैं। क्योंकि उनके खानदान में सब का खून एबी नेगेटिव ही था ‌।
अब नर्स कंफ्यूज थी कि उन्हें किसका ब्लू लेना चाहिए तो वह पहले अद्वितीय का ही ब्लड लेती है क्योंकि इस वक्त वह उन सब में यंग दिख रहा था और ऊपर से हेल्दी भी। 
अद्वितीय के बाद वनराज और शिवाय भी अपना ब्लड देते क्यों कि सांची का ब्लड बहुत बह चुका था। 

राम जी और सिद्धार्थ जी को नॉर्मल वार्ड में शिफ्ट करते हैं जहां पर उन्हें होश आता है सभी लोगों से मिलते हैं आरोही का हालत अपने पापा को ऐसे देखकर बहुत खराब हो चुका था तो वही तरुण अपने इमोशंस को संभाल रहा था क्योंकि उसे सिर्फ अपने पापा को नहीं बल्कि अपनी बहन, दादा ,दादी को भी संभालना था। 

संवि के वार्ड में संजना जी शिवाय से बोलती है.... तुम्हें पहले से ही संवि की कंडीशन पता थी फिर भी तुमसे इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो सकती है शिवाय, अगर आरोही ने टाइम पर एलर्जी के सिम्टम्स को प्रिडिक्ट , कर -कर उसे अपने टैबलेट्स नहीं दिए होते तो तुम सोच सकते हो आज सानू के साथ क्या हो सकता था। मैंने तुम्हें पहले ही बताया था कि संवि के लिए तुम्हें थोड़ी सी भी लापरवाही नहीं बरत सकते हो.... आज इलाज में देरी होती तो शायद तुम अपनी संवि को खो सकते थे।

उनकी बात सुनकर शिवाय बोला आई एम सो सॉरी आंटी मैंने जानबूझकर ऐसा नहीं किया है मैं हर पल दोनों का ध्यान रखा है कभी अपने आंखों से एक पल के लिए भी उन्हें ओजल होने नहीं दिया है‌।
थैंक यू आंटी मेरी संवि की इस बार भी जान बचाने के लिए।
शिवाय को पछताते देखकर संजना जी शांत होती है क्योंकि वह जानती थी कि शिवाय अपने बच्चों से कितना प्यार करता है। 
संजना जी शिवाय के सर पर हाथ रखकर बोली शांत हो जाओ। अब वह खतरे से बाहर है पर इसका मतलब यह नहीं है कि तुम फिर से एक बार लापरवाही बार तो। उसे थोड़ी देर में होश आ जाएगा इतना बोलकर वह वहां से चली जाती है। 



अमेरिका। 
जहां इंडिया में यह शाम का वक्त था तो वहीं अमेरिका में सुबह के 8:30 बजे थे इस वक्त पालकी और तरुण अमेरिका के एयरपोर्ट पर ठहरे हुए थे वहां पर एक कार आती है ।
वह कार आकर प्रणय और पालकी के सामने रुकता है। ड्राइवर अपने साइड से बाहर आकर प्रणय को पहले ग्रीट करता है... गुड मॉर्निंग सर। 
उसके बाद पालकी को... गुड मॉर्निंग मैम। 
उसके बाद पर दोनों अपना सर हिला देते हैं ड्राइवर प्रणय और पालकी का लगेज कार में रखता है उसके बाद वह लोग कार में बैठ जाते हैं और शिवाय के घर के लिए निकल जाते हैं। 
इस समय पाल की ठंड से कांप रही थी क्योंकि अमेरिका का ठंड इंडिया के ठंड से बहुत अलग था। 
उस को ऐसे कांपते देखकर प्रणय ड्राइवर को कार का हीटर ऑन करने के लिए बोलता है। हीटर ऑन होने के बाद पालकी को राहत मिलने लगती है। 
कुछ देर बाद वह लोग शिवाय के विला पहुंच जाते हैं।

पालकी और प्रणय कार से बाहर आते हैं और अपना-अपना लगेज लेकर अंदर जाते हैं पालकी एकदम ध्यान से पूरे विला को देख रही थी क्योंकि यह वीला मॉडर्न आर्ट से बनाया गया था। 

पालकी को ऐसे पूरे घर को देखते-देख कर प्रणय पूछता है क्या मिला सुंदर है जिस पर पालकी अपनी पलकों को झटका बिना ही मुंड़ी को ऊपर नीचे करती है।
उसका ऐसा रिएक्शन देखकर प्रणय को हंसी आती है उसके बाद वह पालकी को उसका कमरा दिखता है और उसे कहता है कि वह थोड़ी देर आराम कर ले क्योंकि फ्लाइट का सफर बहुत ही ज्यादा लंबा था तो वह लोग थके हुए थे।
इंडिया में 
इस वक्त संवि को होश आ गया था पर ओर उसे अभी भी कमजोरी फील हो रही थी क्योंकि जितना आसान लगता है सुनने के लिए 
 किसी को एलर्जी है उतना ही मुश्किल उसे एलर्जी के साइड इफेक्ट्स को झेलना होता है और ऊपर से वह एक 5 साल की बच्ची है।
उस को(संन्नवि )होश आते ही आर्य गले से, लग जाता है और रोने लगता है इस वक्त वह आर्य ,आर्य नहीं लग रहा था जो हमेशा ठंडा एक्सप्रेशंस के साथ होता है।।।
आर्य रोते हुए ही संवि से शिवाय की कंप्लेंट कर रहा था, संवि भी एक बड़ी बहन की तरह उसकी कंप्लेंट को सुन रही थी और उसके आंसू पहुंच रही थी। 
इस वक्त सभी घर वाले उन दोनों को देखकर मुस्कुरा रहे थे क्योंकि वह दोनों एक साथ इतने प्यारे लग रहे थे ,कि अगर उन सब बस चले तो वह दोनों को एकदम टाइट गले लगा कर चूम लेते थे।(गैस यह वाला सीन ,आप इमेजिन कर सकते हो कितना मजा आता है इमेजिन कर कर ही और हां आपका इमेजिनेशन प्लीज कमेंट में बताना जरूर।)

उसके बाद संवि और आर्य एक दूसरे से अलग हो जाते हैं पर आर्य संवि को छोड़ना नहीं है वह उसके बेड पर ही उसके बगल में बैठ जाता है.... सारा परिवार एक-एक कर कर संवि से मिलता है और उसे बातें करने लगता है। 
पर संवि शिवाय को पूरी तरह से इग्नोर करती है। यह बात वहां पर खड़े सारे लोग समझ रहे थे। 

आखिर क्यों कर रही है संवि शिवाय को इग्नोर। 
कैसे रहेगी प्रणय और पालकी की कहानी। 
सांची को कब तक होश आएगा जाने के लिए पड़ी है अगला चैप्टर। 

गैस रिव्यू दे दो पढ़ रहे हो प्लीज रिव्यू दे दो आपको कहानी कैसी लगी प्लीज बताओ प्लीज प्लीज प्लीजबताओ।