राम जी और सिद्धार्थ जी को होश आ गया था जहां सभी लोग उनसे मिलते हैं। और एक राहत की सांस लेते हैं।
संन्नवि के वार्ड में
सनवी के वार्ड में सभी लोग संवि से मिलने आते हैं। आर्य अपने पापा की कंप्लेंट संवि से कर रहा था, जिसे संवि भी बडी ध्यान से सुन रही थी।
इस वक्त संवि एक बड़ी बहन की तरह एक्ट कर रही थी , - तो आर्य छोटे भाई की तरह कंप्लेंट कर रहा था, (वरना हमेशा आर्य ही बड़ों की तरह act करता रहता है)
उन दोनों को ऐसे देख कर . वहां पर खड़े सभी लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है !
एक-एक कर कर सभी लोग मिलते हैं पर इस बीच सभी यह नोटिस करते हैं किसंवि ने एक बार भी शिवाय की तरफ देखा नहीं है । जब होश में आई थी तभी उसने शिवाय से बात की लेकिन जैसे ही उसने आर्य के बातें सुनी ,उसने वैसे ही शिवाय को इग्नोर करना शुरू कर दिया था।
जिसका मजा कार्तिक, दुर्गा ,वनराज बड़े अच्छे से ले रहे थे।
क्योंकि उनके पास बड़े ऐसा काम मौका रहता था जहां पर शिवाय को वह लोग सत सके।
पर यहां मोहिनी उर्मिला जी शहर जी नहीं थे क्योंकि वह लोग अभी भी सांची के वार्ड के बाहर खड़े थे क्योंकि उसे अब तक होश नहीं आया था रमन जी और अरनव की भी उनके साथ थे।
खुशी जी ने शिवाय से पूछा संवि की ऐसी हालत कैसे हो गई शिवाय, जिस पर शिवाय जवाब देता है कि संवि ने गलती से बादाम खा लिया था इसलिए उसकी हालत ऐसी हो गई थी।
जिसे सुनकर अंकिता जी के मुंह से अचानक निकल गया बादाम से एलर्जी तो रू को भी है। पर उसकी हालत ऐसी इतना खराब नहीं होता है?
दवाई लेने के बाद वह ठीक हो जाती है।
अंकित जी की पहली बात सुनकर कार्तिक दुर्गा शिवाय के चेहरे देखने लायक थे, पर जब उन्होंने उनके अगली बात सुनी तो उन्होंने एक राहत की सांस ली।
तभी संजना जी वार्ड में आते हुए बोली ...वह क्या है ना बहन जी संवि एक बच्ची है और ऊपर से उसकी फिजिकल हालत नॉर्मल बच्चों की तरह नहीं है जिसकी वजह से संवि की छोटी सी छोटी चोट भी, उसे के लिए जान लेवा हो सकती है।
उनकी बात सुनकर इशिता जी ,जो संवि के करीब बेटी थी। वह उसे अपने सीने से लगाते हुए बोली ऐसे क्यों बोल रही हो आप संजना?
उनका सवाल सुनकर संजना जी बोली... मुझे लगता है कि यह सब बातें हमें बच्चों के सामने नहीं करनी चाहिए ।।इतना बोलकर वह संवि को आराम करने के लिए बोलती है और सभी को बाहर चलने के लिए बोलती है ।। उनकी बात सुनकर दुर्गा तीनों बच्चों के साथ अंदर वार्ड में बैठती है ,क्योंकि वह जानती थी कि बाहर किस बारे में बात करने वाले हैं।
सभी लोग बाहर आ जाते हैं ,तो खुशी जी बोली... अब बाता ,बात क्या है? यू टीवी सीरियल की डॉक्टर की तरह सस्पेंस मत बढ़ाओ.।
उनकी बात को सुनकर संजना जी शिवाय की तरफ देखती है और शिवाय से पूछती है क्या तुमने किसी को नहीं बताया है संवि के हालात के बारे में?
इसे सुनकर शिवाय अपनी नजरों को झुका लेता है उसकी झुकी नज़रों को देखकर संजना समझ जाती है,, कि शिवाय ने घर में किसी को नहीं बताया है। तो वह खुशी जी की तरफ देखते हुए बोली आंटी यह बात आपको शिवाय बताएगा क्योंकि मुझे नहीं लगता कि यह बात मुझे बताना चाहिए?
और वहां से चली जाती है क्योंकि उन्हें और भी पेशेंस देखनें थे।
उनके वहां से जाते ही इशिता जी शिवाय से पूछता है ...क्या हुआ है संवि को ? संजना ऐसी बातें क्यों कर रही थी? तूने क्या नहीं बताया हमें!?
जिस पर शिवाय अपनी नजरों को नीचे करते हुए बोला संवि के दिल में एक छोटा सा छेद है जिसकी वजह से संवि की छोटी सी छोटी जख्म या छोटी सी छोटी लापरवाही भी, जान पर बनाएगी।(इस वक्त शिवाय के भी आवाज में दर्द था)
उसकी बात सुनकर अब किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले क्योंकि, आज उन्हें झटके पर झटका ही मिल रहा था।
(उन्हें ऐसा लग रहा था कि आज का दिन ही सबसे ज्यादा मनहूस है)
तभी खुशी जी अपने माथे पर हाथ रखते हुए बोली भगवान ऐसे कैसे कर सकता है इतनी छोटी सी बच्ची को इतना बड़ा तकलीफ कैसे दे सकता है । अभी तो उसने जिंदगी जीना भी शुरू नहीं किया है उसके सामने उसकी पूरी जिंदगी है।
माता रानी हमेशा ऐसा ही क्यों करती है खुशियां देती है फिर उसके साथ-साथ दर्द का पहाड़ भी देती है।
क्यों हमेशा हम लोगों को खुशीयों की कीमत दर्द से चुकानी पड़ती है? इस वक्त उनकी आंखों में दर्द और डर था, पर उनकी बातों में माता रानी से शिकायत थी।
रुचिता जी और खुशी की दोनों ने संभाल रही थी उनकी बातें सुनकर सभी को दुख हो रहा था ।
शिवाय की बात, सुनकर सबसे बड़ा झटका तो आरोही को लगा था शिवाय की बात सुनकर, उसको ऐसा लगा कि किसी ने उसे सांस दे कर सांसे छीन ली हो। उसके सीने में एक अजीब सा दर्द उठ रहा था जो उसे के समझ से बाहर था,(यह एक ऐसा दर्द था जो सिर्फ एक मां को ही हो सकता है, जो आरोही को समझने के लिए टाइम लगेगा।)
कुछ देर बाद
उनके कानों में यह आवाज पड़ती है कि सांची को होश आ गया है जिसे सुनकर वह लोग सांची की वार्ड में जाते हैं।
आरोही तरुण अपने-अपने पापा के वार्ड में गए थे।
सांची को होश आता है तो वह सबसे पहले अपने चारों भाइयों को देखती हैं, जो उसके बैठ के पास खड़े होकर देख रहे थे, उसने पहली बार अपनी जिंदगी में अपने चारों भाइयों को एक साथ देखा था। जिसकी वजह से उसके चेहरे पर छोटी सी मुस्कान आ जाती है।
तभी उर्मिला जी रोते हुए उसके करीब आती है और उसे चूमना लगती है। उन्हें ऐसे देखकर सांची उनके आंसुओं को पहुंचते हुए बोली ...बा मैं ठीक हूं, अच्छे से देखो मुझे एकदम फिट एंड फाइन हूं।
उसके बाद सुनकर उर्मिला जी अपने सर हमें हिलती है ।
उसके बाद एक-एक कर कर वह सभी से मिलती है फिर वह अपने भाइयों को देखते हुए बोली अगर मुझे अपने चारों भाइयों को एक साथ देखने के लिए थोड़ा सा चोट खाना पड़ेगा तो मंजूर है जिसे सुनकर वनराज शिवाय कश्यप अद्वित्व उसे घूर कर देखने लगते हैं।
जिससे डर कर वह रमन जी से बोली देखिए बड़े पापा, यह सभी लोग मुझे कैसे घूर कर डरा रहे हैं?
उसकी बात सुनकर रमन जी चारों को देखते हुए बोले अपनी नजरों को मेरी बच्ची से हटा लो कितना डर रही है ,वह तुम लोगों की वजह से। उनकी बातें सुनकर चारों अपनी नजर को इधर-उधर करते हैं।
रमन जी सांची के सिर पर हाथ रखकर बोले और तुम भी सुनो कभी भी ऐसी बातें मत करना रही बात अपने भाइयों को एक साथ देखना तो तुम्हें बस हुकुम करना है वह लोग साथ में आ जाएंगे नहीं आए तो अपने बाप को और मुझे बताना इनके टांगे तोड़कर तुम्हारे सामने लाएंगे।
उनकी बात सुनकर सांची खुश होते हुए बोली.. सच्ची बड़े पापा!तो रमन जी अपना सर हमें हिलाते हैं।
(रमन जी और सांची को इस तरह से बातें करते देखकर शेखर जी को जलन हो रही थी क्योंकि उनकी बेटी ने कभी भी उनसे ऐसी बात नहीं किया था। अब उन्हें यह लग रहा था कि रमन जी की वजह से ही वह उनसे हंसते मुस्कुराते हुए बात नहीं करती है ।पर उन्हें कौन समझाए कि सांची उनकी बर्ताव अपनी मां की और देखकर उनसे बातें नहीं करती है।)
अब तक विजिटिंग अवर्स खत्म हो चुके थे क्योंकि शाम के 6:00 बज चुके थे जिसकी वजह से डॉक्टर ने वहां से सबको जाने के लिए बोल दिया था। तो सांची और कश्यप के पास वनराज रुकता है। राम जी और सिद्धार्थ जी के पास तरुण आरोही रुकते है ।
संजना जी ने संवि को अभी डिस्चार्ज नहीं दिया था क्योंकि संवि ठीक हो गई थी पर पूरी तरह कैसे नहीं। बाकी सब लोग घर के लिए निकल जाते हैं।
।।ऐसे ही 4 दिन हॉस्पिटल में निकल जाते हैं।।
आज संवि का डिस्चार्ज होने वाला था, जिसकी वजह से संवि बहुत खुश थी क्योंकि वह दो दिन से एक ही जगह लेट लेट कर उठ चुकी थी, संवि तो एक हवा की जैसी थी जो एक जगत है ना तो दूर की बात है एक जगह कुछ पल बिता ले वही बड़ी बात होती है । उसका तो मन दिन भर उचलने -कूदने का ही करता है।
पर इस बीच संवि ने शिवाय को 4 दिन बड़े अच्छे से इग्नोर किया था।।और सतया भी था लेकिन शिवाय ने एक पल के लिए भी आर्य और संवि को अकेला नहीं छोड़ा था क्योंकि उसने एक बार देख लिया था अपने बच्चों को अकेला छोड़कर जिसका नतीजा संवि हॉस्पिटल में एडमिट हो गई थी तो अब एक भी लापरवाही नहीं करना चाहता था ।
अब तक सांची राम जी और सिद्धार्थ जी की हालत भी थोड़ी बहुत रिकवर हो चुकी थी लेकिन वह लोग पूरी तरह से ठीक नहीं हो गए थे जिसकी वजह से सगाई को पोस्टपोन करना पड़ा।
आरोही अपने पापा के लिए कैफेटेरिया से स्नेक्स और जूस ला रही थी तभी वह किसी से टकराती है। जिसे देखकर आरोही के चेहरे पर तो मुस्कान आती है पर वह शख्स के चेहरे पर घबराहट आती है।
आरोही उसे शख्स को देखते हुए बोली हेलो डॉक्टर रोली । क्या आपने मुझे पहचाना इस वक्त आरो के चेहरे पर तुम मुस्कान थी पर डॉक्टर के चेहरे पर नहीं।
आरोही की बात सुनकर डॉक्टर रोली बोली जी नहीं , इस वक्त डॉक्टर होली के चेहरे पर घबराहट की वजह से पसीना साफ-साफ दिखाई दे रहा था और आवाज में कंपन सुनाई पड़ रही थी।
उनकी बात सुनकर आरोही बोली डॉक्टर होली में आरोही 5 साल पहले आपने मेरा सर्जरी किया था आपको पता है जैसे ही मैं ठीक हो गई थी मैं आपको थैंक यू बोलने आई थी पर आप हॉस्पिटल में नहीं थी इतने सालों बाद आपको देखकर अच्छा लगा।
आरोही की बात सुनकर डॉ रोली, अपने पसीने को रुमाल से पहुंचते हुए बोली ओ......अच्छा याद आ गया, (कांपते हुए) आई एम सो सॉरी मिस वह क्या है ना की मैं इतने सारे पेशेंट की सर्जरी करती हूं और उन्हें ट्वीट करती हूं तो आपको भूल गए आई एम सो सॉरी।
डॉक्टर की बात सुनकर आरोही मुस्कुरा कर बोलता है कोई बात नहीं डॉक्टर थैंक यू सो मच अगर आप नहीं होती तो शायद आज में यहां जिंदा नहीं होती।
डॉ होली , आप यहां है डॉक्टर कार्तिक आपको कब से ढूंढ रहे हैं लगता है कोई नया पेशेंट आया है प्लीज आप जल्दी से जाकर अटेंड कीजिए। यह सब दुर्गा बोलरही थी। और डॉक्टर को वहां से जाने का इशारा कर रही थी जिसे समझ कर वह भी वहां से चली जाती है
उन दोनों को बात करते हुए दूर से दुर्गा देख रही थी। जिसकी वजह से वह आकर उन्हें वहां से भागती है। उसके बाद वह आरोही से अपने दर को साफ-साफ छुपाते हुए बोलती है तुम यहां क्या कर रही हो तुम्हें तो अंकल के रूम में होना चाहिए था ना।
जिस पर आरोही मुस्कुराते हुए जवाब देती है वह पापा को ना भूख लगी थी जिसकी वजह से मैं उनके लिए जूस और अपने लिए स्नेक्स लेने आई थी।
आखिर डॉ होली क्यों परेशान हो गई थी आरोही को देखकर और क्यों दुर्गा आरोही और डॉक्टर को एक साथ देकर डर गई थी।
जाने के लिए बढ़िया अगलाचैप्टर।
गैस मेरे को पूछना था कि रीकैप देना जरूरी है या ऐसे ही लिखूं।
कमेंट करना और रिव्यू देना मत भूलना। थैंक यू सो मच पढ़ने के लिए।