Ishq aur Ashq - 16 in Hindi Love Stories by Aradhana books and stories PDF | इश्क और अश्क - 16

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इश्क और अश्क - 16

[Scene: सीकरपुर महल – अविराज आगबबूला]

अविराज (गुस्से से):
"महाराज अग्रेण ऐसा कैसे कर सकते हैं? उन्हें अच्छे से पता है कि मैं प्रणाली से विवाह करना चाहता हूं...
फिर भी ये स्वयंवर...?
क्या इसे मैं एक सीधा अपमान समझूं...?
या फिर ये युद्ध का खुला ऐलान है...?"

(उसके हाथ कांप रहे हैं, गुस्से में निमंत्रण पत्र फाड़ देना चाहता है, पर खुद को रोकता है)

राजा माहेन् (गंभीरता से):
"हर राजकुमारी का स्वयंवर करना हर राजा का कर्तव्य होता है पुत्र...
अगर तुम्हें प्रणाली को जीवनसंगिनी बनाना है, तो जाओ...
उसे जीत कर लाओ, और बनाओ सीकरपुर की कुलवधू।"

अविराज (आँखों में दृढ़ निश्चय लिए):
"जैसी आज्ञा पिताजी...
अब से प्रणाली सिर्फ राजकुमारी नहीं, सीकरपुर की भविष्य की रानी है।"

(वो सिर झुकाकर प्रण लेता है और वहाँ से निकल पड़ता है…)


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[Scene: बीजापुर महल — रात का समय]

अग्रेण और मालविका के बीच गहन वार्तालाप

मालविका (चिंतित होकर):
"महाराज, आप ज़िद क्यों कर रहे हैं...?
प्रणाली इस विवाह के लिए तैयार नहीं है… वो किसी और रास्ते पर चलना चाहती है।"

अग्रेण (गंभीर स्वर में):
"नहीं महारानी… हम नहीं चाहते कि इतिहास फिर दोहराया जाए।
अगर हमारी पुत्री वो परी है, जो दस पीढ़ियों बाद जन्मी है...
तो यकीनन गरुड़ लोक इसका विरोध करेगा...
हमें अपनी पुत्री का विवाह समय रहते कर देना चाहिए।"

मालविका (आँखों में पानी लेकर):
"...पर क्या बेटी की इच्छा से ऊपर है ये डर?"

(वो कुछ कह नहीं पाती... चुपचाप वहां से चली जाती है…)


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[Scene: घोषणा का दिन — ढिंढोरा पूरे राज्य में]

"सुनो... सुनो... सुनो...
बीजापुर की राजकुमारी प्रणाली का स्वयंवर अगले सप्त दिवस में आयोजित होगा!"

[Scene: प्रणाली गहरे दुःख में]

प्रणाली अपनी सखियों के साथ शिकार पर गई है, पर हाथ में धनुष होते हुए भी वो बिल्कुल गुमसुम बैठी है। उसकी आंखें दूर एक अनजानी खाली जगह को घूर रही हैं…

तभी दासी आती है:
"राजकुमारी, राजकुमार अविराज आपसे मिलने आए हैं।"

(प्रणाली ने धीरे से पलटकर देखा, उसकी आंखें नम हो गईं...)

प्रणाली:
"अच्छा हुआ...
मुझे किसी से बात करनी थी... (उसकी आवाज़ टूटती है)...
तुम आ गए..."

(उसकी आंखों से आंसू टपकने लगे)

अविराज (घबरा जाता है, पास आकर आंसू पोंछता है):
"प्रणाली...? ये क्या...?
तुम्हारी मुस्कान के लिए ये अविराज कुछ भी कर सकता है...
और तुम आंसू बहा रही हो?"

प्रणाली (उसके गले लगते हुए, सिसकियों में):
"पिताजी मेरा विवाह करवाना चाहते हैं अविराज...
पर मुझे विवाह नहीं करना…
मुझे अपनी प्रजा के लिए कुछ करना है...
मुझे सिर्फ एक रानी नहीं बनना... मुझे इतिहास बदलना है।"

अविराज (धीमे हंसी के साथ):
"क्या आज तक ऐसा हुआ है कि प्रणाली की कोई समस्या हो...
और अविराज ने उसका हल न ढूंढा हो?"

प्रणाली:
"क्या तुम्हारे पास इसका कोई हल है...?"

अविराज (थोड़ा मुस्कुराकर):
"हम्म... हल है... पर ज़रा हटकर है..."

प्रणाली (काँपती आवाज़ में):
"क्या...? क्या तुम स्वयंवर रोक सकते हो...?"

अविराज (गंभीर होकर):
"नहीं… ये स्वयंवर तो होगा।
लेकिन वादा करता हूँ—जीतूंगा सिर्फ मैं।
और जीतने के बाद, राजा अग्रेण के सामने प्रस्ताव रखूंगा कि विवाह कुछ वर्षों बाद होगा...
जब तक मैं अपना राज्य संभाल लूं।
तुम्हें समय मिलेगा... और मुझे तुम्हारा साथ!"

प्रणाली:
"पर ये तो छल हुआ ना...?"

अविराज:
"नहीं... ये प्रेम की राजनीति है।"

(प्रणाली सोच में पड़ जाती है...)

अविराज (धीरे से):
"क्या हुआ...? मुझसे प्रेम नहीं करती?"

प्रणाली (आँखें नम कर के):
"तुम मेरे सबसे अच्छे मित्र हो अविराज…
मेरे सुख-दुख के साथी…
शायद... यही प्रेम है?"

अविराज (धीरे से सिर झुकाते हुए):
"हां... यही है।"


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[Scene: स्वयंवर की तैयारी — बीजापुर महल]

अगले दिन सारा बीजापुर सज उठता है।
राजा, रानी, प्रजा, सब तैयारियां कर रहे हैं।
प्रणाली गहरी उदासी में है, और अविराज उत्साहित…


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[Scene: स्वयंवर की अनोखी शर्त]

दरबारी:
"जो राजकुमार बीजापुर के जंगल की 'सफेद रात की रानी बाघिन' का शिकार लाएगा, वही राजकुमारी प्रणाली का पात्र होगा।"

दरबार में सन्नाटा छा जाता है।
आधे राजकुमार तो नाम सुनते ही पीछे हट जाते हैं।
बाकी जंगल की ओर प्रस्थान करते हैं।


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[Scene: जंगल में अविराज और बाघिन]

अविराज घने जंगल में अकेले है।
तभी उसे बाघिन की गुर्राहट सुनाई देती है।
वो धीरे-धीरे झाड़ियों के पास जाता है…
और देखता है — एक राजकुमार का शव बिखरा पड़ा है।
बाघिन उसका मांस खा रही है।

अविराज (मन में):
"हे इष्ट... ये कैसी परीक्षा है?"

तभी बाघिन उसकी ओर झपटी!
अविराज तलवार निकालता है —
भयानक युद्ध छिड़ जाता है!

अचानक बाघिन उसे नीचे गिरा देती है, खुद उस पर सवार हो जाती है।

तभी...

एक तेज़ खंजर बिजली की तरह उड़ता है —
बिलकुल सीधे बाघिन के जबड़े को चीर देता है।

बाघिन ज़मीन पर गिर जाती है।

अविराज चौंक कर देखता है — एक युवक खड़ा है।

गेरुए वस्त्र, साधारण कपड़े, पर सोने जैसे दमकता शरीर।

अविराज (हैरानी से):
"धन्यवाद मित्र... पर तुम कौन हो?"

युवक:
"कोई नहीं... एक किसान का बेटा।
आप मुझे नहीं जानते।"

अविराज:
"तुम मेरे साथ चलो... मैं तुम्हें अंगरक्षक बनाऊंगा।"

युवक:
"मुझे उसकी ज़रूरत नहीं।
जाइए, बाघिन ज़्यादा देर तक रुकेगी नहीं।
फिर से हमला कर सकती है।"

(अविराज जब तक बाघिन को बांधता है, युवक गायब हो जाता है…)


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[Scene: महल वापसी]

अविराज बाघिन को रस्सियों में बाँधकर सवारी करते हुए महल में प्रवेश करता है।

पूरा दरबार उसके स्वागत में खड़ा हो जाता है।

रात्रि भी वहीं खड़ी है… उसकी आँखों में चमक है…
वो जानती है — अब विवाह टल गया है।


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[Present Day — हॉस्पिटल]

रात्रि को डिस्चार्ज मिल रहा है।
अगस्त्य जाता-जाता एक बार उसे देखने आता है।

रात्रि लड़खड़ा जाती है…
अगस्त्य झट से उसका हाथ पकड़ता है...
और दूसरे हाथ से उसकी कमर थाम लेता है।

रात्रि (आँखें आधी बंद, धीरे से):
"अविराज...!"

अगस्त्य का खून खौल उठता है...

अगस्त्य (गुस्से से, आँखों में आग लिए):
"जी करता है कि तुम्हें यहीं छोड़ दूं…
पर अफ़सोस, मेरी मेहनत और इंसानियत दोनों ज़िंदा हैं।"

रात्रि (हैरान होकर):
"अगस्त्य...? तुम...?"

अगस्त्य (कड़वाहट से):
"हां… अविराज नहीं हूं…
लेकिन तुम्हें मौत के मुंह से ज़रूर खींच लाया।"

(वो उसके हाथ को अपने कंधे पर और दूसरे हाथ से कमर को संभालता है, और उसे धीरे से कार तक ले जाता है)


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[Scene Freeze – Music fades in]

Voiceover:
"क्या इतिहास फिर से खुद को दोहरा रहा है…?
या इस बार नियति एक नया अध्याय लिखने को तैयार है?"


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