Beyond words... in Hindi Love Stories by InkImagination books and stories PDF | लफ्जों से आगे...

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लफ्जों से आगे...

कहानी शीर्षक: 🌌 "लफ्ज़ों से आगे..."
लेखिका: InkImagination


प्रस्तावना:
यह कहानी एक 18 साल की मासूम लड़की सिया और उसके प्रोफेसर आरव मेहरा के बीच एक अनकहे प्यार की गाथा है, जो लफ्ज़ों से परे, एहसासों में गहरे तक समा जाती है। बारिश की बूंदों, किताबों की खुशबू, और चुप्पी के बीच पनपता यह रिश्ता समय की कसौटी पर परखा जाता है, और अंत में एक सुंदर मोड़ लेता है। यह कहानी भावनाओं की गहराई और रोमांस से भरी है, जो हर पाठक के दिल को छू जाएगी।

अध्याय 1: बारिश और पहली नजरबारिश की बूंदें खिड़की की काँच पर हल्की-हल्की टपक रही थीं, और कॉलेज का पहला दिन शुरू हो चुका था। सिया, 18 साल की, अपने कदमों से थोड़ी घबराई हुई थी। उसकी बड़ी-बड़ी काली आँखों में उत्सुकता और डर दोनों थे। लंबे, घने बाल उसकी पीठ पर लहरा रहे थे, और उसने अपने पसंदीदा नीले सूट में कॉलेज की दहलीज पार की। यह उसकी नई शुरुआत थी—किताबों की दुनिया, दोस्तों की मस्ती, और अपने सपनों को साकार करने का मौका।क्लासरूम में कदम रखते ही उसकी नजरें चारों ओर दौड़ने लगीं—अनजान चेहरे, हँसी-मजाक, और फिर अचानक दरवाज़े पर एक शख्स आया। प्रोफेसर आरव मेहरा। 30 की उम्र के करीब, लंबा कद, गेहुँआ रंग, और एक ऐसी शालीनता जो उसे अलग बनाती थी। उसकी गहरी आवाज़ और आँखों में एक रहस्यमयी चमक ने सिया की साँसों को अटका दिया। उसने क्लास शुरू की, और अपनी पहली पंक्ति में कहा, “Literature is not just read... it's felt.”वह लाइन सिया के दिल में उतर गई, जैसे कोई कविता धीरे-धीरे उसकी आत्मा को छू रही हो। यह पहली नजर का प्यार नहीं था, बल्कि एक एहसास था, जो धीरे-धीरे उसके भीतर घर करने लगा।

अध्याय 2: कविताओं का जादूहर क्लास में आरव की आवाज़ सिया को अपनी ओर खींचती थी। वह शेक्सपियर, टैगोर, और गालिब की पंक्तियाँ पढ़ाते, और हर शब्द में एक गहराई होती थी। सिया की नोटबुक में सिर्फ नोट्स नहीं, बल्कि उसकी भावनाएँ भी लिखी जाने लगीं। वह सोचती, “क्या ये लफ्ज़ सिर्फ किताबों के लिए हैं, या मेरे लिए भी?”आरव की आँखें, जो आमतौर पर किताबों पर टिकी रहती थीं, कभी-कभी सिया की ओर उठती थीं। वह पल सिया के लिए अनमोल हो जाता—जैसे कोई अनकही बात उसकी आँखों से कह दी गई हो। एक दिन, क्लास के बाद सिया ने हिम्मत करके पूछा, “सर, आपकी पसंदीदा कविता कौन सी है?”आरव ने मुस्कुराया, “वो जो दिल से निकले, वही पसंदीदा होती है।” उसकी मुस्कान ने सिया के चेहरे को लाल कर दिया, और वह शर्माते हुए चली गई।

अध्याय 3: डायरी का राजएक दिन, जल्दबाजी में सिया अपनी डायरी क्लास में भूल गई। उस डायरी में उसने अपने दिल की बातें लिखी थीं—"पता नहीं क्या है उस आवाज़ में...
लगता है जैसे हर बार कुछ नया जन्म लेता है मुझमें।
उनकी आँखें मुझे देखती हैं, और मेरा दिल धड़क उठता है।
क्या मैं उन्हें चाहने लगी हूँ?
ये सही है या नहीं… पर ये सच्चा है।”दूसरे दिन जब वह डायरी लेने आई, तो आरव पहले से वहाँ था। उसने डायरी सिया के सामने रख दी—चुपचाप, बिना कुछ बोले। सिया का चेहरा शर्म से लाल हो गया, और उसकी आँखें डबडबा आईं। वह सोच रही थी, “क्या उन्होंने पढ़ लिया?” लेकिन आरव ने सिर्फ एक हल्की सी मुस्कान दी और कहा, “कुछ लफ्ज़ दिल से निकलते हैं, उन्हें छुपाना मुश्किल होता है।” फिर वह चला गया, छोड़कर सिया को अपने एहसासों के साथ।

अध्याय 4: कविता का संदेशअगली क्लास में, आरव ने कुछ नया किया। उसने किताब बंद की और अपनी ही आवाज़ में एक कविता सुनाई:"वो जो हर बार आँखों से सवाल करती है…
मुझसे नहीं, शायद खुद से…
उसकी हर नजर में एक सपना छुपा है,
जो मुझे जवाब देना सिखाता है।
मैं उसकी मासूमियत से डरता हूँ,
क्योंकि वो अब मेरी दुनिया बन गई है…”क्लास में सन्नाटा था, लेकिन सिया का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसने समझ लिया—ये कविता उसके लिए थी। उसकी आँखों में आँसू थे, और वह जान गई कि आरव भी कुछ महसूस करता है।

अध्याय 5: लाइब्रेरी की बारिशकुछ दिन बाद, एक शाम सिया लाइब्रेरी में अकेली थी। बाहर बारिश तेज़ हो रही थी, और अचानक लाइट चली गई। अंधेरे में सिया डर से काँपने लगी। तभी धीमे कदमों की आहट हुई।“तुम ठीक हो?” आरव की गहरी आवाज़ ने उसे चौंका दिया।सिया फूट पड़ी, “क्यों? क्यों आप इतने पास होकर भी इतने दूर रहते हो? आपकी हर नजर मेरे दिल को छूती है, लेकिन आप चुप रहते हैं!”आरव एक पल को सन्न रह गया। फिर वह पास आया और बोला, “क्योंकि मैं तुम्हारी मासूमियत से डरता हूँ, सिया। तुम्हारी हर मुस्कान मेरे दिल को तोड़ती है, क्योंकि मैं तुम्हें चाहने लगा हूँ। लेकिन मैं तुम्हारा प्रोफेसर हूँ… तुम्हारी उम्र अभी सपनों की है, और मैं तुम्हें बाँध नहीं सकता।”सिया की आँखों से आँसू बहने लगे। उसने कहा, “मैं भी आपको चाहती हूँ, सर। ये सही हो या गलत, लेकिन मेरा दिल यही कहता है।”आरव ने उसका हाथ थामा, और उसकी हथेली में गर्मी महसूस हुई। वह बोला, “मैं खुद को रोक नहीं पा रहा, सिया… लेकिन मैं तुम्हारे भविष्य को खतरे में नहीं डालना चाहता।”

अध्याय 6: विदाई का दर्दअगले दिन सिया क्लास में नहीं आई। ना अगले दिन, ना अगले हफ्ते। कॉलेज में अफवाहें उड़ीं कि प्रोफेसर आरव मेहरा ने इस्तीफा दे दिया है। कोई कारण नहीं बताया गया। सिया का परिवार उसे दूसरे शहर ले गया, और दोनों के बीच का रिश्ता अनकहा रह गया।सिया रात-रात जागती, अपनी डायरी में लिखती, और आरव की यादों को संजोती। वह सोचती, “क्या वो भी मेरे बारे में सोचता होगा?”

अध्याय 7: दो साल बाद—लफ्ज़ों का मिलनदो साल बाद, एक पब्लिकेशन हाउस में एक नई किताब रिलीज हुई—“लफ्ज़ों से आगे…”। यह सिया की लिखी किताब थी, जिसमें उसने अपनी भावनाओं को कविताओं और कहानियों में पिरोया था। लोग इसकी गहराई और संवेदनशीलता से प्रभावित हुए।किताब के dedication page पर लिखा था:“उस शख्स के लिए…
जिसने silence में मुझे पढ़ना सिखाया।
तुमने कुछ नहीं कहा… पर मैं सब समझ गई थी।
— सिया”रिलीज के दिन, सिया स्टेज पर थी, हाथ में किताब लिए। तभी भीड़ में से एक परिचित चेहरा दिखा—आरव। वह अब प्रोफेसर नहीं, बल्कि एक साधारण पाठक था, लेकिन उसकी आँखों में वही गहराई थी। वह मुस्कराया, और सिया का दिल धड़क उठा।बाद में, एकांत में, आरव ने सिया का हाथ थामा और कहा, “मैंने तुम्हें छोड़ा, क्योंकि मैं तुम्हें आज़ाद देखना चाहता था। लेकिन ये किताब… ये मेरे लिए एक जवाब है।”सिया की आँखें नम हो गईं। उसने कहा, “आपने मुझे लफ्ज़ दिए, और मैंने उन्हें अपने दिल में संजोया। अब मैं चाहती हूँ कि आप मेरे साथ रहें…”आरव ने उसे अपनी बाँहों में भर लिया। उसकी बाँहें गर्म थीं, और सिया का दिल प्यार से भर गया। उसने उसके कानों में फुसफुसाया, “तुम मेरी कविता हो, सिया… और मैं तुम्हारा हर शब्द हूँ।”वे एक-दूसरे के करीब आए, और उनकी साँसें एक-दूसरे से मिल गईं। वह पल रोमांस से भरा था—कोई जल्दबाजी नहीं, सिर्फ प्यार और आत्मसमर्पण। सिया ने उसकी छाती पर सिर रखा, और आरव ने उसके बालों को सहलाया, जैसे वह उसकी हर इच्छा को पूरा करना चाहता हो।

✨ अंतिम पंक्तियाँ

“हर मोहब्बत लफ्ज़ों से बयान नहीं होती…
कुछ बस एहसास बनकर दिल में बस जाती हैं,
जो वक्त के साथ और गहरी होती जाती हैं…
सिया और आरव की कहानी यही साबित करती है।”

समाप्त।


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