That one evening of Sawan... in Hindi Love Stories by InkImagination books and stories PDF | उस एक शाम सावन की...

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उस एक शाम सावन की...

कहानी शीर्षक: 🌧️ उस एक शाम सावन की...
लेखिका: InkImagination


प्रस्तावना:


यह कहानी एक अनकहे प्यार और अधूरे एहसासों की गहराई को बयान करती है, जो सावन की बारिश में भीगते हुए एक नई शुरुआत की ओर बढ़ती है। अवनी और अर्जुन के बीच का रिश्ता, जो दोस्ती की सीमाओं से आगे बढ़कर दिल की गहराइयों में समाया, लेकिन समय और शब्दों की कमी ने इसे अधूरा छोड़ दिया। यह कहानी धैर्य, इंतज़ार, और पुनर्मिलन की मिठास को समेटे हुए है। आइए, इस भावनात्मक सफ़र में डूबते हैं...


अध्याय 1: बारिश की पहली बूंद
बारिश हल्की-हल्की शुरू हो चुकी थी। खिड़की के बाहर की हरियाली सावन के रंग में भीग रही थी—हरे-भरे पेड़, चमकते पत्ते, और दूर कहीं कोयल की मधुर आवाज़। अवनी की पलकों पर कुछ अनकहे एहसास झूमने लगे थे, जैसे बारिश के साथ पुरानी यादें भी उसके दिल में उतर आई हों।आज दो साल बाद वह अपने पुराने शहर लौटी थी। ट्रेन की खिड़की से बाहर झाँकते हुए उसने देखा—वही सड़कें, वही मोड़, वही पुराना कॉलेज जिसकी इमारतें अब भी वक्त की कसौटी पर खड़ी थीं। सब कुछ वैसा ही था, मगर दिल में एक खालीपन, एक अधूरापन था, जो उसे चैन से जीने नहीं देता था।वह ऑटो से उतरी और कॉलेज के पुराने गेट की ओर बढ़ी। गेट पर जंग लगी तख्ती पर "स्वागत" लिखा था, जो अब धुंधला पड़ चुका था। उसने धीरे से मुस्कराई—वह मुस्कान जिसमें दर्द और स्मृतियों का मेल था। कदम धीरे-धीरे बढ़े, और वह कॉलेज के भीतर चली आई, जहाँ हर कोना उसे किसी पुरानी कहानी की याद दिला रहा था।


अध्याय 2: मुलाकात का दिन
कई साल पहले की बात थी। यहीं, इस कॉलेज के गलियारों में अवनी की मुलाकात अर्जुन से हुई थी। वह एक साधारण-सा लड़का था—लंबा, गेहुँआ रंग, और गहरी काली आँखें जो चुप रहते हुए भी बहुत कुछ कह जाती थीं। वह ज़्यादा बोलता नहीं था, लेकिन उसकी मौजूदगी में एक अजीब-सी शांति थी, जो अवनी को अपनी ओर खींचती थी।पहली मुलाकात में अर्जुन ने सिर्फ इतना कहा था, “तुम्हारा नाम क्या है?” उसकी आवाज़ में एक कोमलता थी, जो अवनी को याद रही। धीरे-धीरे वे दोस्त बन गए। साथ में किताबें पढ़ीं, कॉलेज की कैंटीन में चाय पी, और शाम को गार्डन में बातें कीं। लेकिन अर्जुन की आँखों में कुछ और था—कुछ ऐसा जो वह कह नहीं पाता था।अवनी ने कई बार महसूस किया कि वह कुछ कहना चाहता है। उसकी नज़रें, उसकी चुप्पी, और कभी-कभी उसके चेहरे पर आती वह उदासी—सब कुछ उसे बता रही थी कि अर्जुन का दिल कुछ और कहना चाहता था। मगर वह चुप रहा।एक बार, बारिश की एक शाम को, जब वे गार्डन में बैठे थे, अवनी ने हँसते हुए कहा, “हम तो बस अच्छे दोस्त हैं, है ना?” उसकी आवाज़ में मासूमियत थी, लेकिन अर्जुन का चेहरा एक पल के लिए सख्त हो गया। उसने सिर्फ मुस्कुराया—वह मुस्कान जो आँखों तक नहीं पहुँची। अवनी ने उस वक्त इसे नज़रअंदाज़ कर दिया, लेकिन बाद में उसे एहसास हुआ कि उस मुस्कान में दर्द छिपा था।

अध्याय 3: विदाई और खामोशी
कॉलेज के आखिरी साल में अवनी को नौकरी के लिए शहर छोड़ना पड़ा। अर्जुन ने उसे विदाई देते वक्त सिर्फ इतना कहा, “ख्याल रखना।” उसकी आँखें नम थीं, लेकिन उसने कुछ और नहीं कहा। अवनी ने सोचा कि यह सिर्फ दोस्ती का दर्द है, मगर उसका दिल उसे कुछ और कह रहा था।दो साल बीत गए। अवनी शहर में व्यस्त हो गई—नई जिंदगी, नई चुनौतियाँ, लेकिन मन कहीं न कहीं अटका रहा। सावन की बारिश हर साल उसे अर्जुन की याद दिलाती। उसकी चुप्पी, उसकी मुस्कान, और वह अधूरा सा एहसास जो कभी पूरा नहीं हुआ।


अध्याय 4: वापसी और एक पुराना खत
आज, बारिश की एक शाम को अवनी फिर से कॉलेज के गार्डन में थी। वही पुरानी लकड़ी की बेंच, जो अब और टूटी-सी हो चुकी थी, लेकिन उसमें वही अपनापन था। वह बेंच पर बैठी और अपने बैग से एक पुरानी डायरी निकाली। तभी उसकी नज़र एक पीले पड़ चुके लिफ़ाफ़े पर पड़ी, जो डायरी के पीछे छिपा था।लिफ़ाफ़े पर “अवनी” लिखा था—अर्जुन की साफ़-सुथरी लिखाई में। उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। हाथ काँप रहे थे जब उसने उसे खोला। अंदर एक खत था, जो पुराने कागज़ की महक से भरा था। उसने पढ़ना शुरू किया:

**"अगर तुम ये पढ़ रही हो,
तो शायद बहुत देर हो चुकी है।
उस दिन जब तुमने कहा था कि हम सिर्फ दोस्त हैं—
मैं कुछ कह नहीं पाया…
मैंने सोचा था कि वक्त सब ठीक कर देगा,
लेकिन वक्त ने मुझे और तुमसे दूर कर दिया।हर बार जब तुम हँसती थी,
मैं थोड़ा और टूट जाता था…
क्योंकि मैं सिर्फ दोस्त नहीं था अवनी।
मैं तुम्हें चाहने लगा था—
शायद उस दिन से जब पहली बार तुम्हें बारिश में भीगते देखा था,
तुम्हारी वो मासूम हँसी, वो गीले बाल…
सब कुछ मेरे दिल में बस गया था।मैंने कभी हिम्मत नहीं की,
क्योंकि मुझे डर था कि कहीं तुम मुझसे दूर न हो जाओ।
लेकिन अब… अब तो बस इंतज़ार है।
मैं हर साल सावन में यहीं आता हूँ—
वही बेंच, वही गार्डन, वही यादें।अगर कभी लौटो, तो शायद मिल जाएं हम…
तुम्हारा अर्जुन
(जो कभी गया ही नहीं था)"**

अवनी की आँखें नम हो चुकी थीं। खत पढ़ते-पढ़ते उसका गला रुँध गया। उसने चारों ओर देखा—बारिश तेज़ हो रही थी, और हवा में एक ठंडक थी जो उसके दिल को छू रही थी। वह सोचने लगी, “क्या यह सच हो सकता है? क्या अर्जुन सचमुच इंतज़ार कर रहा है?”


अध्याय 5: मिलन की घड़ी
वह उठी और धीरे-धीरे कॉलेज के गेट की ओर बढ़ने लगी। मन में सवालों का तूफान था—क्या यह सिर्फ एक पुरानी याद है? क्या अर्जुन वाकई यहाँ है? बारिश की बूंदें उसके चेहरे पर गिर रही थीं, और वह भीगती चली जा रही थी, जैसे उसका दिल भी बारिश में धुल रहा हो।तभी पीछे से एक जानी-पहचानी आवाज़ आई—
“अब भी तुम बारिश में भीगना पसंद करती हो?”अवनी की रूह काँप उठी। उसका दिल धड़कनों से भर गया। धीरे से मुड़ी—और सामने वही चेहरा था… अर्जुन।वह भीगा हुआ था, उसकी शर्ट बारिश से चिपकी हुई थी, और उसके बाल गीले होकर माथे पर गिर रहे थे। लेकिन उसकी आँखों में वही शांति थी, वही गहराई, और अब एक मुस्कान जो आँखों तक पहुँच रही थी।“तुम आए...” — अवनी ने बस इतना ही कहा, उसकी आवाज़ में कंपन था।अर्जुन उसके पास आया। उसने उसकी ओर देखा, और उसकी आँखों में आँसू चमक उठे। वह बोला, “मैं कभी गया ही कब था, अवनी? हर सावन मैं यहीं आता हूँ, बस तुम्हारे इंतज़ार में।”अवनी का गला भर आया। वह कुछ कहना चाहती थी, लेकिन शब्द नहीं मिले। अर्जुन ने धीरे से उसका हाथ थामा और कहा, “उस दिन मैंने कुछ नहीं कहा, क्योंकि मुझे डर था कि तुम मुझसे दूर चली जाओगी। लेकिन अब… अब मैं कहना चाहता हूँ। मैं तुमसे प्यार करता हूँ, अवनी। हमेशा से करता आया हूँ।”अवनी की आँखों से आँसू बह निकले। उसने अर्जुन के हाथ को कसकर पकड़ा और फुसफुसाई, “मैं भी… मैं भी तुम्हें चाहती थी, अर्जुन। लेकिन मैंने कभी हिम्मत नहीं की।”

अध्याय 6: सावन का नया सवेरा
बारिश और तेज़ हो गई, लेकिन अब वह उन्हें डरा नहीं रही थी। दोनों एक-दूसरे के पास खड़े थे, जैसे सावन की बूंदें उनके रिश्ते को नया रूप दे रही हों। अर्जुन ने अवनी को अपनी बाँहों में भर लिया, और वह भी उसकी बाँहों में सिमट गई।वहाँ, उस पुरानी बेंच के पास, जहाँ उनकी यादें बसी थीं, एक नई शुरुआत हुई। बारिश की बूंदें उनकी खामोशी को तोड़ रही थीं, और हवा में प्यार की मिठास घुल रही थी।

🌸 अंतिम पंक्तियाँ
"कुछ रिश्ते अधूरे नहीं होते…
बस सही मौसम का इंतज़ार करते हैं,
और सावन की वो एक शाम…
उनका इंतज़ार पूरा कर देती है।”

 InkImagination 


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