अगस्त्य ने झाड़ियों को डंडे से हिलाया तो वहाँ से एक नेवला निकल कर इतनी तेज़ी से भागा कि अचानक अगस्त्य चौंक गया। और इस चक्कर में रात्रि इतनी डर गई कि उसका पैर फिसला और वो अगस्त्य की बाहों में जा गिरी।
अगस्त्य की नशीली आंखें रात्रि को ताड़ने लगीं, और अब दोनों एक-दूसरे को देख रहे थे...
उसे हर वो लम्हा याद आ गया जब-जब अगस्त्य उसके साथ था —
हाईवे की वो रात, वो बरसात में उसे बचाना, पानी से निकलना...
कोई पागल ही होगा जिसे उससे इतना सब होने के बाद भी प्यार न हो।
रात्रि ने बोला:
"पता नहीं कब, क्यों और कैसे... पर तुम अच्छे लगने लगे हो..."
एक तेज़ हवा का झोंका आया और आग बुझ गई।
अगस्त्य ने उसे ठीक से खड़ा किया, और रात्रि भी ऐसा behave कर रही है जैसे उसने वो सब नशे में कह दिया हो।
अगस्त्य हड़बड़ा गया और आग के पास जाकर उसे जलाने की कोशिश करने लगा:
"ये आग भी न... शायद लकड़ियाँ गीली हैं..." (उसने हड़बड़ाहट में कहा)
रात्रि आहिस्ते से:
"हम्म..."
उसने सोचा — अविराज के साथ सब कुछ सुलझाए बिना वो ये सब सोच भी नहीं सकती।
अगस्त्य को नींद आने लगी, वो वहीं पेड़ के सहारे सिर टिका कर सो गया...
रात्रि उसे बेचैन आँखों से देख रही थी —
"ऐसा क्या है जो मुझे तुम्हारी तरफ खींच रहा है? क्यों चाह कर भी तुमसे एक डोरी बाँधती जा रही हूँ..."
तभी अगस्त्य नींद से चिल्ला उठा:
"नहीं...! कुछ मत करना उसकी!"
रात्रि घबरा कर उसके पास आई, उसके गालों को पकड़ा और बोली:
"क्या हुआ...?!"
अगस्त्य की आँखों से आँसू निकल आए:
"नहीं, ऐसा नहीं होना चाहिए..."
उसके आँसू देख कर रात्रि से रहा नहीं गया और उसने उसे गले लगा लिया।
अगस्त्य उससे चिपक गया, दोनों हाथों से उसे गले लगाया और बोला:
"ऐसा नहीं होना चाहिए... ऐसा नहीं होगा ना?"
रात्रि प्यार से उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए:
"हाँ... ऐसा नहीं होगा। सब ठीक है। तुम परेशान मत हो... सब ठीक है।"
रात्रि की आँखों में भी आँसू आ गए और वो सोचने लगी:
"ऐसा क्या देखा है जो अगस्त्य मान को इतना डरा दिया?"
वो बहुत देर तक उसके गले लगा रहा, और वो उसे संभाल रही थी।
अब अगस्त्य को एहसास हुआ कि वो बस एक सपना था।
वो उससे हट कर खड़ा होने लगा, रात्रि ने उसका हाथ पकड़ा और अपने पास बिठाया।
उसके आँसुओं को दोनों हाथों से साफ किया और बोली:
"तुम ठीक हो?"
अगस्त्य:
"हम्म..."
(अगस्त्य उससे दूर हट गया।)
रात्रि जाते हुए उसे रोकती है:
"ऐसा क्या देख लिया तुमने सपने में?"
अगस्त्य बात टालने की कोशिश करता है:
"कुछ भी नहीं, तुम्हारे जानने लायक बात नहीं है!"
रात्रि:
"लेकिन तुम मुझे बता सकते हो।"
अगस्त्य गुस्से में:
"देखो मिस मित्तल! तुम ज़बरदस्ती मेरे पास आने की कोशिश मत करो।"
रात्रि:
"तुम्हें मुझसे दिक्कत क्या है...?"
अगस्त्य:
"क्योंकि..."
रात्रि:
"क्योंकि क्या?"
(अगस्त्य के पास जवाब नहीं था। और जो जवाब था, वो देना नहीं चाहता था।)
रात्रि:
"बोलो... क्योंकि क्या?"
अगस्त्य चिल्लाकर:
"क्योंकि मैं तुमसे नफरत करता हूँ!"
रात्रि शॉक्ड:
"क्या...?"
अगस्त्य:
"आया कुछ समझ? मैं तुमसे नफरत करता हूँ!"
रात्रि:
"पर मैं नहीं करती! सुना तुमने...? मैं नहीं करती तुमसे नफरत। और तुम भी नहीं करते... मैं जानती हूँ!"
अगस्त्य (टूटे हुए अंदाज़ में, पर छिपाते हुए):
"तुम जैसी कितनी लड़कियाँ रोज़ मेरे सपने देखती हैं...
और इसमें कुछ गलत नहीं है। हर इंसान को किसी न किसी पर क्रश होता है — and that's fine."
रात्रि:
"तुम्हें पता भी है तुम बोल क्या रहे हो...? तुम्हें लगता है, मैं..."
(अगस्त्य ये सब बोलते हुए अंदर से कितना टूटा है, रात्रि को इसका एहसास नहीं... लेकिन वो ऐसा बोल क्यों रहा है?)
रात्रि:
"चले जाओ यहाँ से। मैंने नहीं बुलाया तुम्हें यहाँ, तो क्यों आए हो?"
अगस्त्य:
"मैं क्यों जाऊं? दिक्कत तुम्हें है, तुम जाओ!"
रात्रि:
"Okay fine! I'm going..."
(वो आगे निकल गई।)
अगस्त्य ने उसे जाते हुए देखा:
"क्या ये सच में जा रही है...?
अरे यार... ये तो सच में जा रही है।
मैं तो नहीं जाऊँगा इसके पीछे — कुछ भी हो जाए।"
कुछ मिनटों बाद...
"अरे सुनो... रात्रि, रुको तो!
रुको, मैं आ रहा हूँ!"
(वो भाग कर उसके पास पहुँचा, और उसकी कलाई को तेज़ी से पकड़ कर बोला)
"तुम्हें सुनाई नहीं देता या मुझे सुनना नहीं चाहती?!"
(उसने रात्रि के हाथों पर अपनी पकड़ कसी।)
रात्रि ने गुस्से में हाथ झटका:
"हाथ छोड़ो मेरा!
And don't you dare to touch me..."
अगस्त्य:
"इस वक़्त ये जगह सेफ नहीं है।
सुबह होते ही मैं तुम्हें छोड़कर आऊँगा — जहाँ भी तुम्हें जाना है। समझो बात को!"
रात्रि:
"लेकिन तुम मुझसे दस मीटर की दूरी पर रहोगे!"
अगस्त्य:
"ठीक है, अभी वापस चलो।"
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Next Scene
अगस्त्य और रात्रि अपनी-अपनी गाड़ी में लोकेशन पर पहुँचे।
वहाँ शूटिंग चल रही थी।
एवी ने रात्रि को देखा और दौड़ कर आकर उसे गले लगा लिया।
एवी:
"तुम यहाँ कैसे...? चलो अच्छा हुआ तुम यहाँ आ गई।"
अगस्त्य:
"Attention everyone... I have a news for you all..."
(रात्रि डरने लगी — "कहीं ये मेरी कही बातों का तमाशा न बना दे... ये अगस्त्य मान है, ये कुछ भी कर सकता है।")
अगस्त्य:
"आप में से कोई मुझे पसंद करता है क्या?"
रात्रि मन में:
"नहीं... प्लीज़ कुछ मत बोलना!"
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