Dagabaz Viasat - 5 in Hindi Thriller by Meenakshi Gupta mini books and stories PDF | दगाबाज विरासत - भाग 5

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दगाबाज विरासत - भाग 5

दगाबाज विरासत भाग 5 

एसीपी विक्रम आहूजा ने मुंबई में अपनी जांच तेज़ कर दी थी। उन्होंने आदित्य के बंगले से लेकर उसके शूटिंग सेट, जिम और उन सभी जगहों का दोबारा मुआयना किया जहाँ पिछली "दुर्घटनाएं" हुई थीं। उनकी टीम ने आदित्य के फोन रिकॉर्ड्स, ईमेल और बैंक खातों की भी जांच शुरू कर दी थी। विक्रम हर छोटी-बड़ी जानकारी को एक साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे थे, जैसे किसी बिखरी हुई पहेली के टुकड़े।
उन्होंने आदित्य के परिवार से दोबारा मिलने का फैसला किया। इस बार उनका लहजा थोड़ा ज़्यादा सीधा था, हालाँकि उन्होंने अपनी विनम्रता नहीं छोड़ी थी। मृणालिनी, दादी, बुआ और बुआ के पति सबने एक बार फिर अपनी दुखभरी कहानी दोहराई। विक्रम ने हर किसी से आदित्य के साथ उनके रिश्ते, उनकी दिनचर्या, और आदित्य के स्वभाव के बारे में और गहराई से पूछा। उन्होंने ध्यान दिया कि परिवार के सभी सदस्य आदित्य के लिए अपना प्यार जताते हुए भावुक हो रहे थे।
बातचीत के दौरान, बुआ की दोनों छोटी बच्चियां, जो आदित्य की कज़िन थीं, विक्रम के पास आईं। वे मासूमियत से अपनी गुड़िया दिखा रही थीं और मामा आदित्य के बारे में पूछ रही थीं। "मामा कब आएंगे, अंकल?" एक बच्ची ने पूछा। दूसरी ने जोड़ा, "मामा हमें कहानी सुनाते थे।" विक्रम को उनकी आँखों में अपने मामा के लिए सच्चा, निस्वार्थ प्यार दिखाई दिया। यह एक छोटा सा पल था, लेकिन विक्रम ने इसे नोट कर लिया। उन्हें लगा, इस घर में कुछ तो ऐसा है जो बिल्कुल सच्चा है।
विक्रम ने आदित्य के मैनेजर और परिवार के वकील से भी पूछताछ की। मैनेजर ने आदित्य के काम और हालिया प्रोजेक्ट्स के बारे में बताया। जब विक्रम ने वकील से आदित्य के आर्थिक मामलों और प्रॉपर्टी के बारे में पूछा, तो वकील ने कुछ ऐसी जानकारी दी जिससे विक्रम के चेहरे पर हल्की सी शिकन आ गई। वकील की बातें सुनने के बाद विक्रम कुछ देर खामोश रहे, जैसे किसी गहरे विचार में डूब गए हों। उन्होंने वकील से और भी कुछ दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा। यह जानकारी क्या थी, यह अभी किसी को पता नहीं चला, लेकिन विक्रम के दिमाग में एक नया सुराग चमक उठा था।
उन्हें यह भी पता चला कि बुआ और उनके पति का बिजनेस हाल ही में कुछ खास नहीं चल रहा था, और वे पैसों की तंगी से जूझ रहे थे। यह जानकारी भी विक्रम ने अपने पास दर्ज कर ली।
हालांकि, इन नई जानकारियों से अभी किसी पर सीधा शक नहीं जा रहा था। मृणालिनी तो आदित्य की इतनी अच्छी देखभाल करती थीं, और बुआ-पति भी हमेशा उसके करीबी रहे थे। विक्रम जानते थे कि एक सेलिब्रिटी परिवार में पैसे और रिश्तों का जाल अक्सर बहुत उलझा हुआ होता है। उन्हें कोई ठोस सबूत नहीं मिल रहा था जो इन "दुर्घटनाओं" को किसी साजिश से जोड़ सके।
अब इंस्पेक्टर विक्रम का अगला कदम क्या होगा?

एसीपी विक्रम आहूजा ने वकील से मिली जानकारी को अपने दिमाग़ में घुमाना शुरू कर दिया था। वह जानते थे कि हर बड़ा अपराध कहीं न कहीं पैसे या रिश्तों के गहरे जाल से जुड़ा होता है। उन्होंने अपनी टीम को मृणालिनी और बुआ के पति, दोनों के पिछले वित्तीय रिकॉर्ड खंगालने का निर्देश दिया। वह देखना चाहते थे कि उनकी आर्थिक स्थिति आदित्य के जीवन में आने के बाद कैसे बदली थी या हाल के दिनों में उनमें क्या बदलाव आए थे।
विक्रम ने उन कॉन्ट्रैक्टर्स और वर्कर्स से भी पूछताछ की जिन्होंने आदित्य के पूल और बंगले में हाल ही में कोई काम किया था। उन्होंने ख़ासकर उस इलेक्ट्रिशियन पर ध्यान दिया जिसने कथित तौर पर पूल की वायरिंग में खराबी ठीक की थी। इलेक्ट्रिशियन ने बताया कि उसने सब कुछ ठीक कर दिया था, और कोई बड़ी खराबी नहीं थी। यह बात विक्रम को अखर रही थी। अगर खराबी नहीं थी, तो करंट कैसे आया?
इस बीच, मृणालिनी ने घर में आदित्य की आत्मा की शांति के लिए एक बड़ा हवन और भंडारा रखा था। पूरा परिवार और इंडस्ट्री के कई लोग मौजूद थे। मृणालिनी बहुत भावुक दिख रही थीं, उनके आँसू रुक नहीं रहे थे। बुआ और बुआ का पति भी उन्हें संभाल रहे थे। विक्रम भी इस मौके पर मौजूद थे। उन्होंने हर किसी की आँखों में झाँकने की कोशिश की। बुआ की बच्चियां एक कोने में चुपचाप बैठी थीं, अपने मामा को याद कर रही थीं। विक्रम ने उनसे फिर बात की। उन्होंने कुछ ऐसी बातें बताईं जिनसे विक्रम को एक अजीब सा अहसास हुआ, जैसे कि कुछ तो है जो ये मासूम आँखें देख रही हैं लेकिन कह नहीं पा रहीं।
विक्रम ने उस डॉक्टर से भी मुलाक़ात की जिसने आदित्य की पिछली दुर्घटनाओं के बाद उसका इलाज किया था। डॉक्टर ने सभी चोटों को सामान्य बताया था। लेकिन विक्रम को लग रहा था कि इतनी "सामान्य" चोटें एक के बाद एक कैसे लग सकती हैं? उन्होंने उन घटनाओं से जुड़े लोगों—ड्राइवर, जिम ट्रेनर, शूटिंग सेट के इंचार्ज—से दोबारा पूछताछ की। सभी ने वही बातें दोहराईं कि वे सब "दुर्घटनाएं" थीं।
हालांकि, विक्रम की पैनी नज़र और कुछ तकनीकी उपकरणों की मदद से, उन्होंने पूल के पास एक छोटी सी छेड़छाड़ का पता लगाया, जिसे छिपाने की बहुत कोशिश की गई थी। इसी तरह, उन्होंने शूटिंग सेट के गद्दों और जिम के ट्रेडमिल की गहराई से जांच की, जहाँ उन्हें कुछ ऐसे सूक्ष्म संकेत मिले जो बताते थे कि ये "दुर्घटनाएं" उतनी सीधी नहीं थीं जितनी दिख रही थीं। ये संकेत बहुत छोटे थे, लेकिन विक्रम के तेज़ दिमाग के लिए काफी थे।
विक्रम को अब यह साफ होने लगा था कि ये सिर्फ़ बदकिस्मती नहीं थी, बल्कि ये घटनाएं एक पैटर्न में हो रही थीं, और कोई था जो इन्हें अंजाम दे रहा था। वह 'कोई' कौन था, और उसका मकसद क्या था, यह अभी भी एक रहस्य था। परिवार के सदस्यों पर शक करने का कोई  कारण नहीं था, क्योंकि  वह सब आदित्य को बहुत प्यार करते थे और इस वक्त बहुत दुखी थे। लेकिन विक्रम जानते थे कि कभी-कभी सबसे गहरा अंधेरा वहीं छिपा होता है जहाँ सबसे ज़्यादा रोशनी दिखती है?