दगाबाज विरासत भाग 6
आदित्य की मौत को एक महीना बीत चुका था। घर में मातम तो था, लेकिन ज़िंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही थी। परिवार अपने सामान्य दिनों में लौट रहा था, उन्हें उम्मीद नहीं थी कि अब कोई पुलिस उनके दरवाज़े पर आएगी। तभी एक सुबह, एसीपी विक्रम आहूजा अपनी टीम के साथ अचानक मेहरा बंगले में दाखिल हुए। उनके चेहरे पर कोई भावना नहीं थी, लेकिन उनकी आँखों में एक अलग सी चमक थी।
"मैं एसीपी विक्रम आहूजा। मुझे आप सभी परिवार के सदस्यों से कुछ ज़रूरी बात करनी है," विक्रम ने अपनी गंभीर आवाज़ में कहा।
मृणालिनी, दादी, बुआ और बुआ का पति सब हैरान रह गए। मृणालिनी ने आगे बढ़कर कहा, "क्या बात है इंस्पेक्टर साहब? हमने तो सारी जानकारी पहले ही दे दी थी।"
"आप सब यहीं हॉल में इकट्ठा हो जाइए," विक्रम ने कहा। "और हां, नौकरों से कहिए, हम सबके लिए चाय या कॉफी का इंतज़ाम करें।"
परिवार के सदस्य एक-दूसरे को देख रहे थे, लेकिन विक्रम के शांत, दृढ़ लहजे के आगे कोई कुछ नहीं बोला। सब हॉल में इकट्ठा हो गए। मृणालिनी ने नौकर को चाय-कॉफी बनाने का इशारा किया। जैसे ही नौकर चले गए, विक्रम ने हॉल में घूमते हुए अपनी बात शुरू की।
"आप सबको लग रहा होगा कि आदित्य की मौत एक हादसा थी। एक भयानक दुर्घटना। है ना?" विक्रम ने हॉल में बैठे हर सदस्य की आँखों में देखते हुए पूछा।
दादी ने कांपती आवाज़ में कहा, "हाँ बेटा। हमारे ग्रहों का दोष था। आदित्य की किस्मत ही ऐसी थी।"
बुआ ने भी सिर हिलाया, "जी इंस्पेक्टर साहब। ये सब तो कुदरत का खेल है।"
विक्रम मुस्कुराए, एक ऐसी मुस्कान जो उनके चेहरे पर कम ही दिखती थी। "मुझे अफ़सोस है, लेकिन आप सब गलत हैं। आदित्य मेहरा की मौत कोई हादसा नहीं थी।"
पूरे हॉल में सन्नाटा छा गया। परिवार के चेहरों पर हैरानी और डर साफ दिख रहा था। मृणालिनी की आवाज़ काँप उठी, "ये आप क्या कह रहे हैं इंस्पेक्टर साहब? आदित्य को किसने मारा? हमारा तो कोई दुश्मन नहीं!"
"दुश्मन? दुश्मन तो आपके अपने बीच में ही थे," विक्रम ने सीधा जवाब दिया। "हमने आदित्य के कातिल को ढूंढ लिया है।"
यह सुनते ही बुआ और उनके पति के चेहरे का रंग उड़ गया। मृणालिनी ने अपने होंठ भींचे, जैसे कोई कड़वी बात निगल रही हों।
विक्रम ने उन्हें बैठने का इशारा किया। "आप लोग आराम से बैठिए। आज मैं एक-एक करके इस केस की हर परत खोलूंगा। कैसे मुझे पता चला, और किसने क्या किया। नौकरों से कहिए, हमें अब कोई डिस्टर्ब न करे।"
नौकरों के जाने के बाद, विक्रम ने अपनी बात जारी रखी। "आदित्य की मौत स्विमिंग पूल में करंट लगने से हुई थी। ऊपरी तौर पर लगा कि पूल की वायरिंग खराब थी। लेकिन हमारी जांच में पता चला कि आदित्य के पूल में घुसने से पहले वायरिंग बिल्कुल ठीक थी। उसमें जानबूझकर छेड़छाड़ की गई थी ताकि करंट लगे।"
उन्होंने आगे कहा, "सिर्फ़ यही नहीं। आदित्य के साथ पहले भी कई 'हादसे' हुए थे। शूटिंग के सेट पर गद्दे खिसके, जिम में ट्रेडमिल की गति बढ़ी। हमारी फॉरेंसिक टीम ने उन सभी जगहों की बारीकी से जांच की। हमें ऐसे सूक्ष्म संकेत मिले, जिनसे पता चला कि ये दुर्घटनाएं नहीं थीं।"
विक्रम ने एक पल के लिए अपनी बात रोकी, हर चेहरे पर नज़र दौड़ाई। "अब सवाल आता है, क्यों? क्यों कोई आदित्य को मारेगा? उसे मारकर किसे फायदा होगा? क्योंकि आदित्य की सारी प्रॉपर्टी तो अब एक ट्रस्ट में चली जाएगी, जिसका परिवार को कोई फायदा नहीं।"
यह सुनते ही मृणालिनी और बुआ-पति के चेहरे पर राहत की हल्की सी चमक आई। मृणालिनी ने लगभग फुसफुसाते हुए कहा, "देखा इंस्पेक्टर साहब! हमें क्या फायदा?"
विक्रम ने मुस्कुराते हुए कहा, "अच्छा, तो आप सब जानते हैं कि प्रॉपर्टी ट्रस्ट में चली जाएगी? और आप सोचते हैं कि इससे आपको कोई फायदा नहीं? यहीं आप सब गलत हैं!"
उनकी आवाज़ अब हॉल में गूँज रही थी। "आदित्य के पिता की वसीयत साफ कहती है कि अगर आदित्य की शादी हो जाती, तो सारी प्रॉपर्टी सीधे उसकी पत्नी के नाम पर हो जाती, और आदित्य उसे किसी को ट्रांसफर नहीं कर सकता था। लेकिन अगर आदित्य की मौत हो जाती है, तो यह सारी जायदाद 'चैरिटेबल ट्रस्ट' में चली जाएगी।"
इंस्पेक्टर विक्रम ने हॉल में मौजूद सभी को देखा, फिर उनकी नज़र मृणालिनी, बुआ और बुआ के पति पर टिकी। "और इस 'चैरिटेबल ट्रस्ट' के मुख्य ट्रस्टी और निर्णायक सदस्य कौन हैं, पता है? कोई और नहीं, बल्कि आप तीनों! मृणालिनी, बुआ जी, और बुआ के पति!"
यह बम जैसा खुलासा था। बुआ और बुआ का पति सदमे में मृणालिनी की तरफ़ देख रहे थे, और मृणालिनी के चेहरे पर एक पल के लिए घबराहट और फिर बेबसी के भाव आए।
"तो इसका मतलब आप सबको फायदा होगा!" विक्रम ने अपनी आवाज़ तेज़ की। "मृणालिनी जी, आपको लगा था कि आदित्य की शादी होते ही आप प्रॉपर्टी पर अपना नियंत्रण खो देंगी, इसलिए आप उसे शादी करने से रोकना चाहती थीं। आपने ही आदित्य की पिछली सगाई वाली लड़कियों के साथ 'हादसे' करवाए, ताकि शादी टूट जाए। और जब आदित्य को सारा मिली और उसने शादी के लिए हां कर दी, तो आपने उसे रास्ते से हटाने का प्लान बनाया। पूल वाला हादसा आपकी ही साज़िश थी, जिसके लिए आपने लोगों को पैसे दिए।"
मृणालिनी का चेहरा पीला पड़ गया। वह कुछ कहने के लिए मुँह खोल रही थीं, पर आवाज़ नहीं निकल रही थी।
तभी बुआ उछल पड़ीं, "नहीं! ये क्या कह रहे हो इंस्पेक्टर! मृणालिनी भाभी! हम तो तुम्हें सीधा-साधा समझते थे! तुम इतनी गिरी हुई हो? तुमने आदित्य को मार दिया?"
दादी, जो अब तक खामोश बैठी थीं, बिलख उठीं, "मृणालिनी! अगर तुझे कुछ चाहिए था तो मुझसे कहती! मेरे पोते को क्यों मार दिया तूने? क्यों?"
इंस्पेक्टर विक्रम ने दादी को शांत होने का इशारा किया। "दादी जी, आप थोड़ा रुकिए। कहानी अभी बाकी है।" उनकी नज़र अब बुआ और उनके पति पर थी। "बुआ जी, और आपके पति। आप दोनों भी इसमें शामिल थे। आप लोगों को लगा कि मृणालिनी सीधी-सादी है, और दादी बूढ़ी हो चुकी हैं। आदित्य मर जाता, तो सारी प्रॉपर्टी ट्रस्ट में जाती और आप भी उसके निर्णायक सदस्य बन जाते, जो आपके लिए सीधा फायदा था।"
"आपने ही आदित्य पर जानलेवा हमले करवाए थे," विक्रम ने कहा। "ट्रक से टक्कर, और जिम वाला हादसा - ये सब आपकी साज़िश थी। आपने अलग लोगों को पैसे देकर ये काम करवाए, ताकि आदित्य तुरंत मर जाए और ट्रस्ट जल्द से जल्द आपके हाथ में आ जाए। आप दोनों अलग-अलग चालें चल रहे थे, लेकिन मकसद एक ही था—आदित्य की मौत।"
बुआ और उनके पति के चेहरे पर अब कोई बहाना नहीं था, सिर्फ़ डर और पछतावा था। पूरा घर सन्नाटे में डूब गया। बुआ की छोटी बच्चियां कोने में सहमी हुई बैठी थीं, अपने परिवार के काले सच को देख रही थीं। उनका प्यारा मामा, उनके ही परिवार के लालच का शिकार हुआ था।
"आप तीनों को आदित्य मेहरा की हत्या और साजिश के आरोप में गिरफ़्तार किया जाता है," विक्रम ने अपनी टीम को इशारा करते
हुए कहा। हथकड़ियाँ खनक उठीं।