दगाबाज विरासत
आदित्य की मौत का रहस्य खुल चुका था। मेहरा बंगले में अब सिर्फ़ मातम नहीं था, बल्कि विश्वासघात का कड़वा सच गूँज रहा था। एसीपी विक्रम आहूजा की टीम ने मृणालिनी, बुआ और बुआ के पति को गिरफ्तार कर लिया। उनके चेहरे पर अब कोई दिखावा नहीं था, बस पकड़े जाने का डर और शर्मिंदगी थी।
दादी, जो इतने दिनों से अपने पोते की मौत का मातम मना रही थीं, इस खुलासे से पूरी तरह टूट चुकी थीं। उनका परिवार, जिस पर उन्हें इतना गर्व था, लालच और धोखे की दलदल में फँसा निकला। वह वहीं हॉल में बैठी रहीं, उनकी आँखों से आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जिन लोगों को उन्होंने अपना माना, वे उनके पोते के कातिल निकले।
बुआ की दोनों छोटी बच्चियां कोने में सहमी हुई बैठी थीं। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि उनके प्यारे मामा अब कभी नहीं आएंगे और उनके माता-पिता और दूसरी माँ, जिनसे उन्हें प्यार मिला था, वे अब पुलिस की हिरासत में जा रहे थे। उनकी मासूम आँखों में सवाल और डर साफ दिख रहा था, जो इस त्रासदी को और भी मार्मिक बना रहा था। वे दोनों ही आदित्य को निस्वार्थ प्यार करती थीं, और अब उनके सामने उनके परिवार का काला सच आ गया था।
मीडिया में यह खबर आग की तरह फैल गई। आदित्य मेहरा की मौत का रहस्य खुल चुका था। टीवी चैनल और अखबारों में मेहरा परिवार की सच्ची कहानी हेडलाइन बनी हुई थी। जनता, जो पहले आदित्य की मौत को एक दुर्घटना मान रही थी, अब इस भयावह साजिश को सुनकर हैरान थी। आदित्य के फैंस सदमे में थे, लेकिन अब उन्हें यह जानकर थोड़ी तसल्ली मिली कि उनके चहेते सितारे को न्याय मिलेगा।
अदालत में मुकदमा चला। एसीपी विक्रम आहूजा ने बहुत मजबूती से अपना केस पेश किया। उन्होंने सारे सबूत—पूल की छेड़छाड़, शूटिंग सेट और जिम के सूक्ष्म संकेत, संदिग्ध पैसों का लेनदेन, और वसीयत की शर्तें—एक-एक करके सामने रखे। उन्होंने उन लोगों के बयान भी पेश किए जिन्हें पैसे देकर छोटी-मोटी 'दुर्घटनाएं' करवाई गई थीं। हर सबूत ने मृणालिनी, बुआ और बुआ के पति के गुनाह को बेनकाब कर दिया।
आखिरकार, अदालत ने मृणालिनी, बुआ और बुआ के पति को आदित्य मेहरा की हत्या और साजिश का दोषी पाया। उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई। न्याय मिल चुका था, लेकिन इस न्याय की कीमत एक परिवार का बिखरना था।
एसीपी विक्रम आहूजा ने अपनी डायरी बंद की। एक और जटिल केस सुलझ गया था। उन्हें पता था कि अपराध की दुनिया में लालच और नफरत ही सबसे बड़े गुनहगार होते हैं, और कभी-कभी वे सबसे करीबियों के भेष में आते हैं। मेहरा परिवार की कहानी एक दुखद सबक थी—कि कैसे बाहरी चमक-दमक के पीछे गहरा अंधेरा छिपा हो सकता है।
आदित्य की विरासत, जो अब 'चैरिटेबल ट्रस्ट' के बजाय सीधे उसके नाम पर होनी चाहिए थी, अब सरकारी ट्रस्टियों के हाथों में चली गई ताकि इसका सही इस्तेमाल हो सके। आदित्य की प्रेमिका, सारा, अपने प्यार के इस दुखद अंत से टूट चुकी थी, लेकिन उसे यह तसल्ली थी कि आदित्य को न्याय मिल गया था।
मेहरा बंगला, जो कभी हँसी-खुशी और प्यार से गुलज़ार था, अब एक खाली और सन्नाटे भरा घर बन चुका था, जिसमें सिर्फ़ विश्वासघात की गूँज थी और कुछ मासूम दिलों का सच्चा दर्द।
आप सभी को यह कहानी कैसी लगी कृपया मुझे जरूर बताइए।
धन्यवाद 🙏