कहानी: "तुम्हारे बिना अधूरा मैं" ❤️
प्रस्तावना 🌸
मोहब्बत अक्सर उस वक्त दस्तक देती है, जब हम उसके बारे में सोचना भी नहीं चाहते। कुछ इसी तरह की कहानी है आरव और अन्वी की। दोनों की दुनिया बिल्कुल अलग थी, पर किस्मत ने उन्हें इस तरह मिलाया कि उनका हर लम्हा एक कहानी बन गया।
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पहली मुलाकात 🌦️
दिल्ली का एक कॉलेज, नई-नई एडमिशन शुरू हुई थी। आरव, जो कॉलेज का सबसे बेफिक्र और हंसमुख लड़का माना जाता था, पहली बार लाइब्रेरी 📚 में अन्वी को देखा।
अन्वी एक शांत, किताबों में खोई रहने वाली लड़की थी। उसके चश्मे 👓 के पीछे छुपी आंखें गहरी और मासूम थीं।
आरव की नजर पहली बार अन्वी पर पड़ी तो उसने अपने दोस्तों से मजाक में कहा,
"यार, ये लड़की कुछ अलग ही है, जैसे किसी किताब की कहानी से निकली हो।"
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दोस्ती की शुरुआत ☕
कई दिनों तक आरव ने अन्वी से बात करने की कोशिश की। एक दिन लाइब्रेरी की बुक्स गिर गईं और आरव ने मदद करते हुए कहा,
"किताबें संभालो, वरना कहानियां बिखर जाएंगी।"
अन्वी हल्का सा मुस्कुराई 😊। बस वही मुस्कान आरव के दिल में घर कर गई।
"मैं आरव हूं… तुम्हारा नाम?"
"अन्वी," उसने धीमे से कहा।
"वाह! नाम भी उतना ही खूबसूरत जितनी तुम।"
उस दिन के बाद दोनों की बातचीत बढ़ने लगी। कभी किताबों पर चर्चा 📖, कभी कैंटीन में चाय ☕ के साथ हंसी-मजाक।
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अनजाना एहसास ❤️
दिन बीतते गए। आरव को महसूस हुआ कि अब वो अन्वी के बिना दिन की कल्पना भी नहीं कर सकता। अन्वी भी आरव की मासूमियत और मजाकिया स्वभाव की दीवानी होने लगी।
एक शाम दोनों कैंपस की छत पर बैठे थे 🌇।
हवा में हल्की ठंडक थी और सूरज ढल रहा था।
आरव ने धीरे से कहा,
"अन्वी, अगर कभी मैं तुम्हारे बिना रहूं तो लगता है जैसे सांस रुक जाएगी।"
अन्वी ने मुस्कुराकर जवाब दिया,
"तुम्हें बातें बनाने में महारत हासिल है।"
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प्यार का इज़हार 🌹
वैलेंटाइन डे 💌 का दिन था। आरव ने हिम्मत जुटाई। उसने फूलों से सजे बगीचे 🌷 में अन्वी को बुलाया।
"अन्वी, तुम्हें पता है जब से तुम मेरी जिंदगी में आई हो, हर दिन जैसे कोई नई किताब की नई कहानी हो। क्या तुम मेरी जिंदगी की सबसे खूबसूरत कहानी बनोगी?"
अन्वी की आंखों में आंसू 💖 थे, उसने कहा,
"हां, मैं भी तुमसे प्यार करती हूं।"
आरव ने झुककर उसकी हथेली थाम ली ✋।
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जुदाई का पल 😢
लेकिन जिंदगी हमेशा आसान नहीं होती। अन्वी के पिता का ट्रांसफर बेंगलुरु हो गया।
"आरव, मुझे नहीं पता कि हम फिर कब मिलेंगे।"
"अन्वी, चाहे जितनी दूरी आ जाए, मेरा दिल हमेशा तुम्हारा रहेगा।"
आरव ने उसे एक पेंडेंट 🎁 दिया जिस पर लिखा था – "तुम्हारे बिना अधूरा मैं।"
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दूरी और इंतजार ⏳
अगले कुछ महीनों तक दोनों फोन 📱 और मैसेजेस 💬 के जरिए बात करते रहे।
कभी हंसी 😂, कभी आंसू 😢, कभी बेइंतहा यादें।
पर धीरे-धीरे पढ़ाई और काम का बोझ बढ़ने लगा। कई बार कॉल मिस हो जाते, कई बार टेक्स्ट रिप्लाई नहीं मिल पाता।
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किस्मत का खेल ✈️
तीन साल बाद आरव को अपनी कंपनी के प्रोजेक्ट के लिए बेंगलुरु भेजा गया। उसका दिल कह रहा था कि वह अन्वी से ज़रूर मिलेगा।
वह शहर की गलियों में उसे ढूंढता रहा। और एक दिन… पार्क की बेंच पर वही किताब पढ़ती हुई अन्वी मिली।
"अन्वी…"
अन्वी ने मुड़कर देखा, और उसकी आंखों में खुशी के आंसू छलक गए 😍।
"आरव! तुम?"
"हां, मैं… तुम्हारे बिना अधूरा मैं।"
दोनों ने गले लगकर जैसे वक्त की सारी दूरी मिटा दी 🤗।
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अंत 🌈
कभी-कभी मोहब्बत दूरी से और गहरी हो जाती है।
आरव ने अन्वी की आंखों में देखते हुए कहा,
"अब कभी तुम्हें दूर नहीं जाने दूंगा।"
और अन्वी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,
"तुम्हारे बिना, मैं भी अधूरी हूं।" ❤️