Demon The Risky Love - 90 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 90

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दानव द रिस्की लव - 90

मौत का तांडव....

अब आगे...............

" तुमने उसे लड़के को रुम से बाहर निकाला था...."
विवेक हां में सिर हिलाता है..... फारेस्ट आफिसर दोबारा उससे पूछते हैं...." ब्रेव हो.... लेकिन अब तुम बाहर रूको हम उसे पकड़ते हैं....."
विवेक उन्हें रोकते हुए कहता है...." आफिसर जैसा आप सोच रहे हैं वैसा नहीं है वो.... कोई जानवर नहीं वो जो आपके कैद में आ जाए ,,वो एक पिशाच है...."
" वट नानसेंस...तुम टेक्नोलॉजी के जमाने में ये भूत प्रेत की बातों में भी यकीन करते हो...." आफिसर विवेक की बातों का मजाक बनाते हुए अपनी गन लेकर अंदर रूम में पहुंचता है.... विवेक भी उसके पीछे अंदर रुम में जाता है.....
उधर अदिति को देखते हुए आदित्य की आंख लग जाती है जैसे नींद से बोझिल होकर उसकी गर्दन नीचे झुकती है तभी उसकी नींद टूट जाती है.....
आदित्य की नींद टूटते ही  उसका ध्यान अदिति पर जाता है जोकि अब भी हो रखी थी,,, उसके सिर पर हाथ फेरते हुए आदित्य उसके माथे पर किस करके वहां से उठ जाता है...
उसको देखते हुए कहता है......" अदि मैं जल्दी वापस आऊंगा, अब ऐसे बैठे रहने से कुछ नहीं होगा मुझे जल्दी ही वो सुरक्षा कवच लाकेट ढूंढ़ना होगा बस आई होप वो वहीं गार्डन में पड़ा हो..." जबतक के लिए ये तू पहन ले 
आदित्य विवेक का दिया हुआ लाकेट उतारकर अदिति को पहनाकर वहां से चला जाता है.....
इधर विवेक आफिसर के साथ हितेन के रुम में पहुंच चुका था.... आफिसर अपनी गन प्वाइंट को तक्ष की तरफ करते हैं और जैसे ही उसपर फायर करते हैं तक्ष की बाॅडी में हलचल शुरू हो जाती है,, जिससे डरकर सब पीछे हो जाते हैं लेकिन विवेक उन्हें समझाता है....." यहां से चले जाइए ये कोई साधारण सा जानवर नहीं है,, ये एक पिशाच है... जाइए यहां से...."
फारेस्ट आफिसर विवेक को चुप कराते हुए कहता है..." चुप हो जाओ तुम....और यहां से बाहर जाओ हम यहां संभाल लेंगे...."
विवेक पीछे हट जाता है और खुद से कहता है..." मुझे बस इसके खून की बूंदों को लेना है,,, अभी ये बेहोश है लेकिन ये लोग मुझे उस तक जाने नहीं दे रहे हैं... लेकिन ये बेहोश हुआ कैसे..?.." विवेक अभी सोच ही रहा था तभी उसके पाकेट में रखे वशीकरण लाकेट में हलचल शुरू हो जाती है और वो खुदबखुद बाहर निकल आता है जिसे देखकर विवेक की हैरानी की कोई सीमा नहीं थी....
 देखते ही देखते वो वशीकरण लाकेट पूरी तरह टूट जाता है और उसके अंदर से एक काली सी रोशनी निकलकर सीधा तक्ष की बाॅडी में समा जाती है..... विवेक एक बार फिर सबको चेतावनी देता है लेकिन उसकी बात को अनसुना कर दिया जाता है और आफिसर कमांडिंग पर फायरिंग शुरू हो जाती है.......
विवेक ये बात बखुबी जानता था कि तक्ष को इस अभिमंत्रित खंजर के आलावा कोई चीज नुकसान नहीं पहुंचा सकती इसलिए वो धीरे धीरे उसके पास बढ़ता है.... फारेस्ट आफिसर उसे रोकता है लेकिन विवेक उससे कहता है...." आपके इन बंदूकों से इसे कुछ नहीं होगा..." विवेक उसके पास जाकर उस अभिमंत्रित खंजर से एक जोरदार वार करता है जिससे तक्ष बैचेन हो जाता है और विवेक बिना देर किए उस खून की बूंदों को उस छोटी सी बोतल में भर लेता है....
लेकिन उसे क्या पता था उसके एक वार से तक्ष इतना तड़प उठेगा ,,, तक्ष अब पूरी तरह होश में आ चुका था और गुस्से में में उठकर खड़ा होता है.....
उसकी लाल भयंकर आंखें सबको डरा रही थी,,, तक्ष ने अपने पिशाच रूप को उजागर कर दिया था....
उसका काला शरीर उसपर उसके नुकीले दांत और धारदार नाखून देखकर सब कांपने लगे थे.....
होश में आते ही विवेक को देखकर मानो उसका जन्मों का दुश्मन उसके सामने आ चुका था ..उसकी गर्दन को पकड़ लेता है उसके ऐसा करते ही रूद्राक्ष शक्ति कमजोर हो जाती है जिससे की अचानक बादलों की गर्जना शुरू हो जाती है...
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अघोरी बाबा साधना में लीन थे अचानक मंदिर में जोर जोर से घंटे बजने लगते हैं मानो स्वयं शिव शंभू क्रोधित हो उठे हैं.... अचानक हुई चेतावनी को जानकर अघोरी बाबा की साधना टूटती है. और तुरंत कहते हैं....." अनर्थ घोर अनर्थ..."
अपने दंड कमंडल हो उठाकर वहां से चलने .... अचानक बाबा का ध्यान टूटने से त्रिशूल उनसे पूछता है...." क्या बात है गुरु जी आप बहुत चिंतित लग रहे हैं...." 
अघोरी बाबा एक कड़क आवाज में कहते हैं...." हमारा सामान लेकर आओ ,,, वो अपने असली रूप में आ चुका है..."
उधर तक्ष ने बहुत देर से विवेक की गर्दन को पकड़ रखा था जिससे विवेक को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी उससे बचने की कोशिश कर रहा था लेकिन तक्ष गुस्से में कहता है..." तू मेरे रास्ते का अवरोध है आज तुझे ही खत्म करके मैं अपनी बली दे पाऊंगा...." विवेक लगभग बेहोश हो चुका था
विवेक को बचाने के लिए फारेस्ट आफिसर अपने खंजर से विवेक के देखा देखी उसपर वार करते हैं लेकिन उन्हें ये नहीं पता था कि विवेक के पास कोई साधारण सा खंजर नहीं था...
तक्ष विवेक को वहीं छोड़कर आफिसर पर वार करता है ,,, तक्ष अब खूंखार हो चुका था वो उस आफिसर वो उठाकर कर जोर से पटकता है जिससे वो लहुलुहान हो जाते हैं अब तक्ष अपने धारदार नाखुनो से उसकी छाती को चीर देता है धीरे धीरे उसके सभी भागों को खाने के बाद अब सब पर बारी बारी हमला करता है उससे बचने के लिए सब इधर उधर भागने लगते हैं लेकिन कोई फायदा नहीं होता.....
विवेक को होश आता है और वो यहां से बचकर निकलने के लिए छुपता है लेकिन सब जगह खून और कटे हुए मांस को देखकर उसको अजीब सी बैचेनी होने लगती है लेकिन विवेक फिर भी हिम्मत करके वहां से निकलने के लिए आगे बढ़ता है लेकिन तक्ष की नजर उसपर पड़ जाती है.......
................to be continued..........
क्या विवेक बच पाएगा तक्ष से...?
जानने के लिए जुड़े रहिए