"महल नहीं, तो कहां ले जाऊं तुम्हे?"(प्रणाली को कुछ समझ नहीं आ रहा था)वो बहुत घबरा गई और सोचने लगी, "कैसे बचाऊं तुम्हे..."माथे पर हाथ रखकर सोचने लगी...ऊपर से वर्धांन के शरीर से पानी की तरह निकलता खून, उसकी धड़कनें और बढ़ा रहा था।
कुछ देर सोचने के बाद, उसने वर्धांन को खड़ा करने की कोशिश की और उसे अपने सीने से लगाकर उड़ने लगी...उसे अभी ठीक से उड़ना नहीं आ रहा इसलिए लड़खड़ा रही है.....फिर भी हिम्मत बांधे हुए उड़े जा रही।।।।
"वर्धांन, अपनी आंखें खोलो... मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगी... हिम्मत मत हारना!"(उसकी घबराई हुई आवाज भर्राई हुई थी)
वो उसे लेकर इधर-उधर बादलों के रास्ते भटक रही थी — पर कोई रास्ता नहीं मिल रहा...
"महल नहीं, तो कहां?"(उसने खुद से सवाल किया)
साथ ही वो वर्धानं को आवाज भी लगा रही है: वर्धानं उठो न..... तुम्हे कुछ नहीं हो सकता.....! तुम्हे कुछ हो गया तो........(वो कहते कहते रुकी)
"हे ब्रह्मदेव! सहायता करें!"(उसने आंखें बंद करके मदद मांगी)
कुछ ही देर में उसे नीचे एक कुटिया दिखी...
"ये तो...?"(वो बोली)
और वर्धांन को लेकर नीचे उतरी —
"बाबा...! बाबा...! आप यहां हैं? मेरी मदद कीजिए!!"(वो बहुत ही बेबस आवाज में बोली)
कुटिया से वो शापित गरुड़ बाहर आया, जिसने गरुड़ लोक जाने में उसकी सहायता की थी।
वो बाबा, प्रणाली के इस रूप–रंग और नई काया को देखकर हैरान रह गए...
"ब्रह्म वरदानी...?"(उनके मुंह से निकला)
"बाबा! मेरी सहायता कीजिए... इसे बचा लीजिए..."
बाबा तुरंत उसके पास आए और बोले,"ये कौन है?"
और उसकी तरफ देखने लगे...वो वर्धांन की गर्दन पर हाथ रखकर उसकी नब्ज़ देखते हैं...कि तभी उसके सीने पर बने गरुड़ लोक के निशान पर उनकी नजर गई...
और उनके मुंह से निकला —"गरुड़ वंशज...? धरती पर???"
"बाबा... ये हमारे राज्य के एक किसान का बेटा है। इस पर कुछ लोगों ने हमला किया... शायद वो एक ब्रह्म वरदानी को ढूंढ रहे थे?"(उसने आंसुओं से भरी आंखों से कहा)
"किसान का बेटा????"(बाबा को कुछ समझ नहीं आया)
"हां बाबा!" (जवाब मिला)
"तुम जानती हो इसे?"(उन्होंने पूछा)
"हां..."
"पर ये तो एक..."(वो बात कहने ही जा रहे थे कि प्रणाली ने उन्हें रोकते हुए कहा)
"बाबा... इसे बचा लीजिए!"
दोनों उसे उठाकर अंदर ले गए। और प्रणाली वापस अपने दूसरे रूप में आ गई।
बाबा मन में सोचने लगे —"गरुड़ वंशज अगर धरती पर है... और वो भी बीजापुर में... तो जरूर इसके दुश्मन यहां आते होंगे..."
"बाबा, आप क्या सोच रहे हैं?"(प्रणाली ने पूछा)
बाबा अपने ध्यान से वापस आए और बोले —"मैं इसका खून रोकता हूं, तब तक तुम अपनी शक्तियों से एक अदृश्य रेखा बनाओ।"
"अदृश्य रेखा...? वो कैसे?"(उसने असमंजस से बाबा को देखा)
"तुम ब्रह्म वरदानी हो! तुम्हें अपनी शक्तियों का ज्ञान नहीं? मैं इसका इलाज करता हूं, तुम खुद करो जो करना है!"(उन्होंने गुस्से में कहा)
"पर उस रेखा से होगा क्या?"(प्रणाली को कुछ समझ नहीं आया)
"उससे किसी को इस जगह का पता नहीं चलेगा।"(इतना बोलकर बाबा लेप पीसने लगते हैं)
प्रणाली बाहर आ गई, पर उसे नहीं पता था कि वो अदृश्य रेखा कैसे खींचे...
"अब ये अदृश्य रेखा कैसे बनेगी...?"(उसने गुस्से में अपना हाथ झटका)
तभी उसके हाथ से एक रोशनी निकलने लगी...
"हे ब्रह्म देव, सहायता करें..."(उसने हाथ जोड़कर प्रार्थना की)
तभी आस-पास से कुछ आवाजें आने लगीं:
"ढूंढो! राजकुमारी को जिसने भी गायब किया है, बचकर नहीं जा सकता!"(ऐसी आवाजें सुनकर उसे लगा कि उसे कुछ मदद मिल सकती है, उसने पहचाना कि वो उसके सैनिक थे)
वो उन्हें मदद के लिए बुलाने जाने लगी — तभी बाबा ने उसका हाथ पकड़ लिया और मुंह पर हाथ रख दिया।
"अरे बाबा...? ये आप क्या कर रहे हैं...? ये मेरे सैनिक हैं, हमें उनसे मदद मिल सकती है!"(उसने आश्चर्य से पूछा)
"Shhhhhh... जाने दो उन्हें..."(बाबा ने धीरे से कहा)
अब बाबा उसे वर्धांन का सच कैसे बताएं...सच जानकर प्रणाली खुद उसकी जान की दुश्मन बन जाएगी...और उसका राज परिवार तो उसे एक पल में खत्म कर देगा।
"बोलिए न बाबा!!!"(उसने पूछा)
"तुम बस अदृश्य रेखा बनाओ... अगर उस लड़के की जान की सलामती चाहती हो तो!"(बाबा ने धमकी भरे अंदाज़ में कहा)
वो माथा पकड़कर बैठ गई...
"ये सब हो क्या रहा है मेरे साथ!"(उसने खुद से कहा)
तभी उसे अपने हाथों में गर्माहट महसूस हुई...उसके हाथ से एक रोशनी निकल रही थी...
उसने हाथ ज़मीन की तरफ किया — और वहां एक श्वेत रेखा बननी शुरू हो गई।
"अच्छा... तो इससे बनेगी अदृश्य रेखा!"
उसने जल्दी से रेखा पूरी की और अंदर भागी...
"बाबा, मैंने वो रेखा..."(इतना कहती ही उसका ध्यान वर्धांन पर गया)
वर्धांन की सांसे धीमी हो रही थीं...
"वर्धांन! ये तुम्हें क्या हो रहा है? आंखें खोलो...!"
बाबा:"आज की रात इस पर बहुत भारी है... किसी जड़ी-बूटी का असर नहीं हो रहा..."
प्रणाली (घबराकर):"तो बाबा, हम इसे महल क्यों नहीं ले जाते...? वहां इसका ज़्यादा अच्छे से ख्याल रखा जाएगा!"
"नहीं!!"(बाबा चिल्लाए)
बाबा: तुम ये बताओ कि ,अभी हाल ही में कोई मौत के मुंह से वापस आया है क्या......?
प्रणाली: क्या...... आपको कैसे पता....?
बाबा: कौन ......!??
प्रणाली; मेरा भाई......!
बाबा सोच में पड़ गए : तुम्हारे भाई के लिए..............???? वो भी एक ब्रह्म वरदानी के खानदान के लिए इसने............. इसने अपनी जान.....?!
प्रणाली: बाबा क्या बोल रहे है आप .....??
बाबा आदेश के स्वर में ; कौन हो तुम......!?
प्रणाली को कुछ
अब वर्धांन का हाथ भी ठंडा पड़ने लगा था...ये देख प्रणाली और डर गई...
"बाबा! यहां इसे कुछ हो जाएगा... समझिए!"(उसने गुस्से में कहा)
"महल में ये वैसे ही मर जाएगा!!"(बाबा ने ज़ोर से कहा)
...और ये सुनकर चारों तरफ सन्नाटा छा गया।
"क्या...? बाबा...?"(प्रणाली ने माथे पर शिकन लाते हुए कहा)
"आप कुछ जानते हैं...?"(उसने पूछा)