दिल्ली की हल्की सर्द सुबह थी। जनवरी की ठंडी हवा कॉलेज कैंपस में नये स्टूडेंट्स के बीच नई शुरुआत की फिज़ा घोल रही थी। हर चेहरा कुछ पाने की उम्मीद में चमक रहा था — नए दोस्त, नया माहौल और शायद... कोई दिल से जुड़ने वाला।
पर आरव के लिए यह दिन बाकी दिनों से कुछ अलग नहीं था।
वो एक शर्मीला, कम बोलने वाला लड़का था। उसकी दुनिया किताबों और संगीत के इर्द-गिर्द ही घूमती थी। चेहरे पर हमेशा एक हल्की उदासी, जैसे ज़िंदगी से कुछ खो चुका हो... या शायद अभी तक कुछ मिला ही ना हो।
कॉलेज का पहला दिन था और आरव कैंपस की बेंच पर बैठा किताब पढ़ रहा था, जब एक आवाज़ ने उसकी तंद्रा तोड़ी—
"Excuse me, क्या ये बेंच फ्री है?"
आरव ने ऊपर देखा। सामने खड़ी थी एक लड़की — लंबे खुले बाल, हल्के गुलाबी स्वेटर में सिमटी हुई, उसकी आंखों में चमक थी। चेहरे पर मासूमियत और आत्मविश्वास का अजीब सा संगम था।
"हाँ, बैठ जाइए," आरव ने धीमे से कहा।
"मैं सना हूँ, इंग्लिश ऑनर्स," उसने मुस्कुरा कर कहा।
"आरव… कंप्यूटर साइंस," उसने सिर हिलाकर जवाब दिया।सना बैठ गई और अपने बैग से एक डायरी निकाली।
कुछ पल खामोशी में बीते, फिर सना ने कहा, "तुम हमेशा इतने चुप रहते हो या आज स्पेशल दिन है?
"आरव ने पहली बार खुलकर मुस्कुराया। "मैं शब्दों से ज़्यादा खामोशियों से बातें करता हूँ," उसने कहा।
उस दिन पहली बार दोनों ने एक-दूसरे की ओर ध्यान से देखा था। कोई आकर्षण था — नज़रों में नहीं, रूह में
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⏳ कुछ हफ्तों बाद…
कॉलेज की दिनचर्या में सना और आरव की मुलाकातें आम हो गईं। क्लास के बाद कैंटीन में कॉफी, लाइब्रेरी में किताबों पर बहस, और कैंपस की वॉकिंग ट्रैक पर लंबी बातें — धीरे-धीरे एक अनकहा रिश्ता पनपने लगा।
आरव को सना का हर अंदाज़ पसंद आने लगा था — उसका तेज़ बोलना, बिना बात के हँसना, और अचानक गुस्सा हो जाना।
और सना को आरव की चुप्पी में छुपा गहरापन खींचता था। वो हर बार उसकी आँखों में कुछ ढूंढ़ती — शायद वो जवाब जो कभी कहे नहीं जाते।
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🌧️ वो खास शाम…
एक दिन अचानक बारिश शुरू हो गई। सना और आरव कैंपस में एक पुराने पेड़ के नीचे खड़े हो गए।
"बारिश में भीगने का मज़ा ही कुछ और है," सना ने कहा और अपनी हथेलियाँ बाहर फैला दीं।
आरव बस उसे देखता रहा — जैसे वक्त थम गया हो।
"कभी किसी से प्यार किया?" सना ने मुस्कुराकर पूछा।
आरव कुछ पल चुप रहा, फिर धीरे से बोला, "शायद अब कर रहा हूँ…
"सना ने चौंक कर उसकी तरफ देखा। उसकी आंखों में कुछ पिघलने लगा। बारिश की बूँदों की तरह, उसकी आंखों में भी कुछ टपकने को तैयार था।
"मैंने कभी प्यार पर भरोसा नहीं किया," उसने कहा, "पर तुम्हें देखकर लगता है कि शायद कर सकती हूँ…
"उसके शब्द हवा में तैरने लगे। दोनों कुछ देर खामोश खड़े रहे, बारिश गिरती रही… दिल धड़कते रहे।
आरव ने कहा, "तो चलो, इस इम्तिहान को पास करते हैं…"
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🌸 एक नई शुरुआत
वो शाम उनके दिलों में हमेशा के लिए बस गई। वो सिर्फ पहली बारिश नहीं थी, वो पहली कबूलियत थी। पहली बार दो दिलों ने एक-दूसरे को नाम दिए बिना अपनाया।
उस दिन के बाद सब कुछ बदला — क्लास के नोट्स में दिल की बात होने लगी, लाइब्रेरी की चुप्पी में हल्की मुस्कानें होने लगीं।
कभी-कभी सना कहती, "तुम्हारी खामोशियां मुझे डरा देती हैं।
"तो आरव जवाब देता, "और तुम्हारी हँसी मुझे जीना सिखा देती है।"