Ishq ki un Surkh Raaho par - 4 in Hindi Love Stories by Nilesh aayer books and stories PDF | इश्क़ की उन सुर्ख राहों पर - 4

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इश्क़ की उन सुर्ख राहों पर - 4

दोपहर 3 बजे, कॉलेज कैफेटेरियाआरव एक कोने की टेबल पर बैठा था, हाथ में कॉफ़ी का कप, लेकिन नज़रे दरवाज़े की तरफ टिकी हुईं। वो जानता था कि आज सान्या उससे मिलने आने वाली है... लेकिन वो कैसे बात शुरू करेगा?

"अगर उसने हमेशा के लिए रिश्ता तोड़ लिया तो?"ये सवाल आरव के ज़हन में बिजली की तरह कौंधा।

तभी...

सान्या धीरे-धीरे कैफेटेरिया में दाख़िल हुई। चेहरे पर वो सादगी, लेकिन आँखों में उदासी की झलक।

वो चुपचाप सामने आकर बैठ गई। कुछ पल दोनों बिना बोले बैठे रहे। फिर सान्या ने बात शुरू की:

"तुमने मुझसे रागिनी के बारे में क्यों नहीं बताया?"

आरव ने गहरी सांस ली।

"क्योंकि मैं चाहता था कि मेरा अतीत हमारे बीच न आए..."

सान्या: "पर वो तो पहले ही बीच में आ गया है।"

आरव: "मैंने उससे प्यार नहीं किया सान्या, वो सब बस एक उलझन थी। लेकिन तुम... तुम मेरी सुकून हो।"

सान्या की आँखों में आंसू तैरने लगे।

"मैं तुम पर भरोसा करना चाहती हूँ आरव, पर ये बहुत मुश्किल हो गया है।"

आरव ने उसका हाथ थामा।

"मुझे एक मौका दो, मैं साबित कर दूँगा कि मेरा हर लम्हा अब सिर्फ तुम्हारे नाम है।"

सान्या कुछ पल तक उसे देखती रही, फिर बिना कुछ कहे उठकर चल दी।

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🌙 उसी रात

आरव अपने कमरे में बैठा था, और पुरानी तस्वीरें देख रहा था। सान्या के साथ बिताए हर पल को वो महसूस कर रहा था।

तभी मोबाइल बजा।

सान्या का मैसेज:

> "कल शाम लाइब्रेरी के पीछे मिलो... एक आखिरी बात करनी है।"

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🌆 अगला दिन – लाइब्रेरी के पीछे वाला गार्डन

वहाँ सान्या पहले से खड़ी थी। हाथ में एक पुरानी डायरी थी। आरव पहुँचा, और वो बोली:

"ये मेरी पुरानी डायरी है... इसमें वो सब है जो मैंने तुम्हारे लिए महसूस किया।"

आरव ने धीरे से डायरी ली।

सान्या बोली:

"मैंने फैसला कर लिया है... हम दोनों को थोड़ी दूरी चाहिए, ताकि हम खुद को समझ सकें। ये प्यार अगर सच्चा है तो वापस ज़रूर आएगा..."

आरव ने कुछ कहने के लिए मुँह खोला, लेकिन शब्द नहीं निकले।

सान्या ने बस एक मुस्कान दी और पलट कर चल दी।

हर कदम पर आरव की धड़कनें धीमी होती जा रही थीं...

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🧃 दो हफ्ते बाद...

आरव और सान्या, अब एक-दूसरे की ज़िंदगी से दूर तो थे, मगर उनके दिलों के भीतर बसी यादें हर रोज़ उन्हें और बेचैन कर रही थीं।

कॉलेज में नज़रे टकरा जातीं, मगर न कोई मुस्कान होती और न कोई सवाल।

बस एक खामोशी होती… और उसमें एक अनकहा इकरार।

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📓 आरव की डायरी – 10 नवंबर

> “वो आज फिर सामने से गुज़री। आंखें मिलीं, मगर उसने देख कर भी न देखा। शायद मैं अब उसकी ज़िंदगी की उस कहानी का हिस्सा हूं जिसे वो भूल जाना चाहती है।”

> “पर क्या मैं भूल पाया हूँ उसे? नहीं… और शायद कभी नहीं भूल पाऊँगा।”

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🌃 उसी रात – सान्या की बालकनी

सान्या अकेली बैठी थी, चाँद को देखती हुई।

दूसरी ओर आरव अपनी छत पर खड़ा, उसी चाँद की तरफ देख रहा था।

एक ही आसमान, दो दिल... और बीच में खामोशी।

सान्या की सहेली प्रियंका उसके पास आई और बोली:

> "तू अब भी उसे सोचती है न?"

सान्या ने नज़रें झुका लीं।

प्रियंका ने मुस्कराते हुए कहा:

> "सुन, अगर वो तेरी खामोशी समझता है, तो शायद अब भी तुझसे प्यार करता है।"

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📱 अगली सुबह – एक मैसेज

प्रियंका ने आरव को मैसेज किया:

> "सान्या कल शाम कॉलेज ऑडिटोरियम में डांस प्रैक्टिस में आएगी। शायद तुझे एक और मौका मिल जाए कुछ कहने का।"

आरव के दिल की धड़कन तेज हो गई।

वो जानता था, ये आखिरी मौका हो सकता है।

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🎶 शाम – ऑडिटोरियम

सान्या स्टेज पर थी, नृत्य कर रही थी... उसके चेहरे पर भाव, उसकी आँखों में अधूरी सी उम्मीद।

अचानक लाइट्स ऑफ हुईं।

फिर स्टेज पर लाइट जली... और आरव माइक के सामने खड़ा था।

आरव:

> "एक बार जो नज़रों से दिल तक चला जाए, वो फिर लाख कोशिशों के बाद भी दिल से नहीं जाता…"

> "सान्या, मैं जानता हूँ, मैंने बहुत कुछ छुपाया… पर अब सिर्फ एक सच्चाई बची है—मैं तुमसे प्यार करता हूँ।"

> "अगर आज भी मेरे लिए तेरे दिल में थोड़ी सी भी जगह है... तो बस एक बार मुझे देख ले।"

सान्या की आँखें भर आईं।

वो स्टेज से नीचे उतरी, कुछ पल चुप रही...

फिर धीरे से कहा:

> "तू मेरे हर ख़ामोश लम्हे में था आरव… शायद अब वक्त है कि फिर से बात शुरू की जाए… वहीं से, जहां छूटी थी।"

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❤️ और यूँ...

…एक अधूरी कहानी ने फिर से रफ्तार पकड़ी।

ख़ामोशी टूट गई थी, और उसमें से निकला एक इकरार — रूह से, दिल से, और हर उस अधूरे पल से जिसे अब पूरा किया जाना था।

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❤️ To Be Continued…