रात के 2 बज चुके थे। आरव की आंखों से नींद कोसों दूर थी। मोबाइल हाथ में था, और स्क्रीन पर सना की वही आखिरी लाइन चमक रही थी।
वो लिखना चाहता था — “ठीक है, मैं इंतज़ार करूंगा।”पर कुछ रोक रहा था|
दर्द? अहंकार? या टूटने का डर?
🌙 Kabir – Dosti Wala Aaina
अगले दिन, कॉलेज कैंटीन में कबीर सामने बैठा था — वही पुराना दोस्त, जो हर मोड़ पर साथ था।
“तो तू बोल नहीं रहा उससे?” कबीर ने चाय का घूंट लेते हुए पूछा।
"नहीं," आरव ने कहा। "Usne mujhe छुपाया, और मैं अब खुद को खो बैठा हूं।"
कबीर मुस्कराया।
"तू प्यार में है भाई… Ego aur प्यार ek glass mein nahi reh sakte."
आरव ने नज़रें झुका लीं।
"Ek kaam कर," कबीर बोला, "उससे सवाल पूछने से पहले, खुद से पूछ — क्या वो तुझे छोड़ रही है? या सिर्फ वक्त माँग रही है?"
आरव चुप रहा, लेकिन अंदर कुछ हिला था।
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🌸 Sana ki Diary
उधर सना अपने कमरे में अकेली बैठी थी। खिड़की के पास, उसके हाथ में एक नीली डायरी थी। वही डायरी जिसमें वो हर डर, हर याद और हर सपना लिखती थी।
आज उसने लिखा —
> “Aarav… शायद तुम सोच रहे हो मैं क्यों पीछे हट गई?
पर कोई नहीं जानता कि 17 की उम्र में मेरे साथ क्या हुआ था।
जब पहली बार किसी पर भरोसा किया, तो वो भरोसा ही मेरी सबसे बड़ी सज़ा बन गया…
अब फिर से किसी को पास आने देना… आसान नहीं।”
डायरी के पन्नों पर आंसू गिरे।
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🕰️ Flashback – Sana’s Past
तीन साल पहले
लखनऊ के एक स्कूल में सना की मुलाकात हुई थी अनिकेत से — क्लास का स्मार्ट लड़का, सबका फेवरिट।
पहले दोस्ती, फिर प्यार... और फिर एक दिन, जब उसने अपने घर पर अनिकेत को बुलाया था, तो मां ने पकड़ लिया।
घरवालों ने उसे 6 महीने के लिए हॉस्टल भेज दिया, और अनिकेत ने धीरे-धीरे दूरियां बना लीं।
अंत में... वो किसी और के साथ नज़र आया।
तब सना ने अपने दिल में एक दीवार खड़ी कर ली थी — किसी को फिर अंदर न आने देने की।
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☁️ Aarav’s Realization
आरव ने कबीर की बातों पर गहराई से सोचा।
रात को एक पुराना फोटो एल्बम निकाला — उसमें वो सबकुछ था जो उसने सना के साथ बिताया था।
बारिश की वो पहली शाम, कॉफी शॉप की तस्वीर, वो मुस्कान जो हर दर्द भुला देती थी।
आरव ने एक लंबा सास भरा।
"Shayad use waqt nahi… mujhe uske saath waqt bitakar uske zakhm samajhne chahiye the."
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📱 Late Night Message
सना सोने की कोशिश कर रही थी, तभी मोबाइल की लाइट जली।
Aarav का मैसेज था:
> “Main abhi tak gussa nahi hoon… bas thoda टूटा हुआ हूं.
Par agar tum sach mein चाहती हो ki main तुम्हारे साथ रहूं, toh mujhe भी वो वज़ह समझनी होगी, jo tumhe रोके हुए है.”
कुछ देर तक स्क्रीन पर उंगलियां रुकी रहीं, फिर…
> Sana: "Kal mil sakte hain?"
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🌅 Agla Din – Phir Ek Baar…
कॉलेज के बाहर वो पेड़, जिसके नीचे आरव अक्सर किताबें पढ़ता था… आज वहां दो दिल फिर से मिलने वाले थे।
आरव खड़ा था, और सामने से सना आ रही थी — सादा कुर्ता, बिना मेकअप, मगर आँखों में सच और सुकून।
"Sorry," उसने कहा।
"Main khud ko lekar hi साफ़ नहीं थी… isliye tujhe भी confuse kiya."
आरव ने कुछ नहीं कहा, बस उसका हाथ पकड़ लिया।
"Main tere past se डरता नहीं hoon Sana…
Bas चाहता hoon tu mujhe usme shaamil kar le."
सना की आँखों से आंसू निकल पड़े। पहली बार वो रोई — खुलकर, बेझिझक।
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