Demon The Risky Love - 93 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 93

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दानव द रिस्की लव - 93

अदिति ने सब सुन लिया.....

अब आगे.........

दूसरी तरफ अघोरी बाबा जैसे ही विवेक के अलमारी के दरवाजे को खोलते हैं तभी झट से वो चमगादड़ उड़ने लगता है...... उसे देखकर सब डर जाते हैं
मालती जी और सुविता जी कहती हैं...." ये चमगादड़ विवेक के रूम में क्या कर रही है...?..."
अघोरी बाबा उन्हें शांत रहने के लिए कहकर उस उड़ते हुए चमगादड़ पर अपने झोले में से भभूत निकाल कर उसपर डालते हैं जिससे वो वहीं गिर जाता है फिर उसे जल्दी से एक मौली से बांधने लगते हैं......
इधर अघोरी बाबा के उस चमगादड़ के बांधने से उधर तक्ष बैचेन होने लगता है और इधर उधर गिरने लगता है....उसकी बैचेनी किसी जलते हुए आग की तरह उसे जला रही थी जिससे बचने की कोशिश करते हुए तक्ष अपने कमरे में जाकर अपने पैशाची औषधि को लगाने लगता है.....
उधर अघोरी बाबा उसे नीचे हाॅल में लेकर आते हैं तभी कामनाथ जी के फोन पर किसी की काॅल आती है , वो काॅल उस ही इंसान की थी जिससे कामनाथ जी ने विवेक के बारे में पता करने के लिए कहा था...
कामनाथ जी साइड में जाकर उससे बात करने के बाद वापस आकर कहते हैं......" सुविता इसे जल्दी से घर भेज देना... मैं हाॅस्पिटल जा रहा हूं...."
अचानक हाॅस्पिटल जाने की बात सुनकर सब हैरानी से उनकी तरफ देखते हैं....सुविता जी उनसे अचानक हाॅस्पिटल जाने का कारण पूछती है.... वहीं हाॅल में शोरगुल होने की वजह से अदिति रुम से बाहर आकर देखती है...उसे अघोरी बाबा को देखकर कुछ अजीब सा लगता है लेकिन सबको कामनाथ जी की तरफ देखकर वो भी उन्हीं की तरफ जानने के लिए ध्यान से सुनने लगती है.....
इशान कामनाथ जी के चेहरे पर उदासी देखकर समझ गया था कुछ तो ग़लत हुआ है जिससे पापा इतने उदास से हो गये...इशान कामनाथ जी के पास जाकर पूछता है....." पापा क्या बात है...?... अचानक किसी के काॅल ने आपको परेशान क्यूं कर दिया..?..."
सुविता जी उन्हें झंझोरते हुए कहती हैं...." कुछ बोल क्यूं नहीं रहे हैं आप ,, क्या हुआ है...?...और मेरा विवू.. उसके बारे में पता चला क्या आपको....?..."
सुविता जी के आंखों में आंसू आने लगे थे लेकिन खुद को संभालते हुए मालती जी के पास जाकर कहती हैं....." अरे बता क्यूं नहीं रहे हैं आप.... देखो माला सुबह से बहुत परेशान हैं..."
कामनाथ जी भावुक होकर कहते हैं....." वो ...हाॅस्पिटल‌ में एटमिट है...."
हाॅस्पिटल में एटमिट सुनकर सबको एक शाॅक सा लगा  ,, 
" लेकिन पापा हुआ क्या है वो तो हितेन को ले जाने वाला था...?.."
कामनाथ जी वही सिर पर हाथ रखते हुए सोफे पर बैठते हुए कहते हैं...." उस जानवर नहीं जो तुम लोग कह रहे थे वो पिशाच... उसने विवेक को जख्मी किया है.. डाक्टर कह रहे हैं उसकी हालत बहुत सिरियस है..."
जहां इतना सुनकर सबके आंखों में आंसू गिरने लगते हैं वहीं  मानो अदिति के दिल पर किसी ने वार था , ये सब बातें सुनकर वो सून पड़ गई.....
नीचे किसी को इस बात का एहसास नहीं था कि अदिति ने उनकी बातें सुन ली है,,, इसलिए सुविता जी कहती हैं...." अदिति को कोई ये नहीं बताएगा...." 
लेकिन इशान की नजर ऊपर खड़ी अदिति पर चली जाती हैं जिससे देखकर उसके मुंह से सिर्फ अदिति निकलता है जिससे सब की नजर अदिति पर चली गईं थीं जो इनकी बात सुनकर रो रही थी......
अदिति रोते हुए कहती हैं...." आप सब मुझसे ये बात छुपाना चाहते थे...." अदिति ग्रील के सहारे नीचे आकर कामनाथ जी से कहती हैं......" अंकल मुझे भी हाॅस्पिटल ले चलो,, मैं विवेक के पास जाना चाहती हूं...."
कोई कुछ कहता उससे पहले ही अघोरी बाबा सामने आकर कहते हैं......" उस लड़के को आप यहां लेकर आईए...उसका उपचार हम करेंगे,,, वो सब आपके बेटे को ठीक नहीं कर पाएंगे क्योंकि उसे पिशाच ने घायल किया है....."
कामनाथ जी चिल्लाते हुए कहते हैं....." अपनी बकवास बंद करो,,, और जाओ यहां हमें तुम्हारी जरूरत नहीं है...सोहन ..." अपने वाॅचमैन को आवाज लगाते हैं...
लेकिन इशान अघोरी बाबा की साइड लेते हुए कहता है...." पापा हो सकता है ये ठीक कह रहे हो... क्योंकि आदित्य को सबने मना कर दिया था तो विवेक ने इनकी दी हुई मेडिसिन से ही उसे ठीक किया था..."
कामनाथ जी इशान की बात सुनकर उससे कुछ कहते उससे पहले ही सुविता जी उन्हें समझाती हुई कहती हैं..." देखिए आप इन सबको मानते नहीं लेकिन मैं जरूर इन सबमें विश्वास करती हूं और मुझे लगता है अघोरी बाबा ठीक कह रहे हैं.....इशान तू अपने चाचा के साथ जा उसे यहां ले आ...."
इशान हां में सिर हिलाते हुए चला जाता है , कामनाथ जी गुस्से में वही बैठ जाते हैंऔर अघोरी बाबा वहीं हाॅल में नीचे फर्श पर बैठकर अपने झोले में से सभी सामान निकालकर बाहर रखने लगते हैं.....
सुविता जी मालती जी को बैठाकर उन्हें पानी का गिलास देकर अदिति के पास जाकर उसे समझाती हुई कहती हैं..." बेटा तूझे आराम करने की जरूरत है तू जाकर रुम में आराम कर , यहां है हम ....."
अदिति अपने आंसू पोछती हुई कहती हैं...." नहीं आंटी जी मैं यही रहूंगी जबतक विवेक नहीं आ जाता और भाई भी अभी तक नहीं आए हैं...." इतना कहते ही अदिति सिसकारियां भरने लगती है , सुविता जी उसे गले से लगाते हुए कहती हैं..." बेटा रो‌ मत आदित्य आ जाएगा....तू यहां बैठ पहले..."
सुविता जी अदिति को पानी देती है जिसे अदिति बिना रूके पी लेती है फिर उनकी तरफ देखकर पूछती है...." आंटी जी , रोज वैली आपके फार्म हाउस पर हुआ क्या था और भाई, भाई कैसे बीमार हो गए थे....."
सुविता जी अदिति के गाल पर हाथ फेरते हुए कहती हैं..." बेटा तूझे कुछ भी याद नहीं....?.."
" नहीं आंटी जी , शायद उस तक्ष ने मेरी यादों को मिटा दिया होगा....." 
सुविता जी कुछ कहती उससे पहले ही अघोरी बाबा उससे कहते हैं....." तूने बिल्कुल सही सोचा लड़की.... हमने तुम्हें पहले ही चेतावनी दी थी...." 
अदिति रोज वैली कपल पार्क में मिले अघोरी बाबा की बात को याद करते हुए कहती हैं....." उस टाइम मुझे आपकी बातों से बहुत डर लगने लगा था , ,,, और उसके बाद में उस तक्ष की सच्चाई जान गई थी लेकिन उसके बाद पता नहीं क्या हुआ...?... मुझे कुछ भी याद नहीं....."
अघोरी बाबा उससे कहते हैं......" तू उसके वश थी लड़की और ये वशीकरण खंडित कैसे हुआ है कोई नहीं जानता..."
उसके बाद अघोरी बाबा बेहोश पड़े उस चमगादड़ के चारों तरफ रोली से गोल घेरा बनाते हुए कुछ मंत्र सा पढ़ रहे थे जिसे अदिति ने टोकते हुए कहा....." आप ये क्या कर रहे हैं इस चमगादड़ के आसपास...."
अघोरी बाबा कुछ नहीं कहते बस अपनी क्रिया को करते हुए उस चमगादड़ पर अभिमंत्रित भभूत डालते हैं जिससे वो अचानक......
 
..................to be continued..............