अरबी लोककथाओं और प्राचीन किताबों के अनुसार, इफरीत एक अत्यंत शक्तिशाली और घातक श्रेणी के जिन्न होते हैं। ये जिन्न आग से बने होते हैं, और इनकी आत्मा शापित होती है। आम जिन्नों से अलग, इफरीत गुस्सैल, स्वार्थी और निर्दयी माने जाते हैं। वे वीराने, कब्रिस्तान, उजाड़ महल और बंजर मैदानों में रहते हैं। उनकी भूख आम भोजन से नहीं मिटती—इफरीत इंसानी डर, आत्मा और ताजगी भरे खून से अपनी शक्ति पाते हैं।
कहा जाता है कि अगर कोई इफरीत तुम्हारे पीछे पड़ जाए, तो मौत नहीं... बदतर चीज़ें तुम्हारे इंतज़ार में होती हैं।
रात के तीसरे पहर, अमावस की वो काली रात थी। पूरा गाँव सन्नाटे में डूबा था। पेड़ों की शाखाएँ जैसे किसी अदृश्य ताक़त से हिल रही थीं और खेतों में दूर तक फैली हुई हल्की सी धुंध हवा में घुलती जा रही थी। तभी गाँव के पूरब की दिशा में, पुराने शाही कुएं के पास एक लड़की की चीख सुनाई दी। उसका नाम था ज़ैनब।
ज़ैनब, गाँव के पठान परिवार की अकेली लड़की थी। उसकी माँ बचपन में गुजर गई थी, और पिता बूढ़े थे। एक दिन वो पुराने कुएं के पास सूखी लकड़ियाँ बटोरने गई थी, तभी उसने कुएं की दीवार पर उकेरे गए कुछ अजीब से निशान देखे—तलवारें, रक्त और एक आकृति जो अधूरी थी लेकिन डरावनी।
ज़ैनब को नहीं पता था कि वो कुआँ उस इफरीत का दरवाज़ा है, जिसे सदियों पहले ताबीज़ और मंत्रों से क़ैद किया गया था।
ज़ैनब की रातों की नींद गायब होने लगी। उसे हर रात अपने कमरे की खिड़की के पास खड़े एक लंबे, काले साए का आभास होता—जो कुछ नहीं कहता, बस देखता रहता। उसकी आँखें लाल और बुझी हुई अंगारों जैसी थीं।
एक रात ज़ैनब ने सपना देखा—वो कुएं के अंदर खड़ी है, और उसके चारों ओर गीली मिट्टी में सैकड़ों कंकाल पड़े हैं। एक सड़ा हुआ चेहरा उसकी ओर झुकता है और फुसफुसाता है, “मैं तुम्हें देख रहा हूँ… ज़ैनब…”
इसके बाद, उसकी हालत बिगड़ने लगी। उसकी आंखों के नीचे गहरे गड्ढे, शरीर पर नीले निशान, और ज़बान पर अजीब लकीरें उभर आईं, जैसे किसी ने उसे क़ैद किया हो। गाँव के पीर बाबा ने देखा तो काँप गए—“ये इफरीत का साया है… और अब ये लड़की उसकी पसंद बन चुकी है।”
ज़ैनब की दादी, जो वर्षों से चुप थीं, उन्होंने बताया कि ज़ैनब की माँ भी उसी इफरीत की शिकार हुई थी। दरअसल, इफरीत को हर सौ साल में एक खून से पवित्र लड़की चाहिए होती है, जिससे वो इंसानी रूप ले सके और दुनिया में चल सके।
ज़ैनब की माँ ने अपने प्राण देकर इफरीत को दोबारा क़ैद किया था। लेकिन अब समय पूरा हो चुका था और इफरीत फिर से जाग चुका था।
पीर बाबा, ज़ैनब और कुछ बुज़ुर्ग उस रात उस शाही कुएं के पास पहुँचे। पीर बाबा ने खून से सना हुआ एक ताबीज निकाला और मन्त्र पढ़ना शुरू किया। अचानक ज़मीन हिलने लगी, कुएं से काले धुएं का गुबार उठा और उसमें से एक आकृति उभरी—आधा इंसान, आधा धुएं से बना प्राणी। वो इफरीत था—लाल आँखें, सिंगों जैसा सिर और आग सी साँस।
ज़ैनब ने काँपते हुए कहा, “क्यों मेरे पीछे आए हो?”
इफरीत ने उत्तर नहीं दिया, बस मुस्कुराया और हवा में उसकी माँ की आवाज़ आई, “ज़ैनब, ये लड़ाई तेरी नहीं… ये हमारे खून की क़ीमत है…”
कुएं के चारों ओर मंत्र की अग्नि जली, मगर ठीक तभी ज़ैनब बेहोश होकर गिर गई और इफरीत धुएं में ग़ायब हो गया।
ज़ैनब अगले दिन होश में आई, मगर उसकी आँखें अब पहले जैसी नहीं थीं—उनमें चमकती आग थी। गाँववालों का मानना था, इफरीत ने अब शरीर पा लिया है और वो शरीर ज़ैनब का है।
उसके पिता ने उसे गाँव से दूर भेज दिया। लेकिन आज भी कभी-कभी, जंगलों में सफेद चोगा पहने एक लड़की दिखाई देती है, जिसकी आँखें अंगारों जैसी जलती हैं और जो कुएं के पास रात को अकेले बात करती है।
शायद इफरीत अब और भी शिकार ढूंढ रहा है। शायद अगली बार वो तुम्हारे पीछे हो
डर अभी खत्म नहीं हुआ....