Life partner - togetherness for seven lives in Hindi Love Stories by Abhay Marbate books and stories PDF | जीवन साथी - साथ सात जन्मों का

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जीवन साथी - साथ सात जन्मों का

📝 कहानी: "जीवन साथी – साथ सात जन्मों का" ❤️👫✨

भाग 1: पहली मुलाक़ात

रेवा एक सुलझी हुई, आत्मनिर्भर और खूबसूरत लड़की थी। दिल्ली के एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर थी। उसकी जिंदगी में सबकुछ था—नाम, पैसा, और पहचान। लेकिन एक खालीपन था—कोई "हमसफ़र" नहीं था।

वहीं, अर्जुन—a down-to-earth, सरल और ईमानदार लड़का—एक छोटे शहर के सरकारी स्कूल में गणित का टीचर था। उसकी दुनिया किताबों और बच्चों में सिमटी हुई थी।

एक दिन किस्मत ने दोनों को टकरा दिया—एक वेडिंग फंक्शन में। पहली नजर में कुछ खास नहीं हुआ, लेकिन बातों ही बातों में दिलों की गहराइयां छू गईं।


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भाग 2: नज़दीकियाँ

रेवा को अर्जुन की सादगी भा गई, और अर्जुन को रेवा की सोच में गहराई और आत्मविश्वास नजर आया। दोनों के बीच का फासला कम होने लगा। रेवा ने कभी सोचा नहीं था कि एक मामूली दिखने वाला लड़का उसकी सोच को इतना अच्छे से समझ सकता है।

धीरे-धीरे चाय की मुलाकातें, किताबों की बातें, और खामोशी में भी रिश्ता बनता चला गया। लेकिन दोनों को पता था कि उनके रास्ते अलग हैं—सोशल स्टेटस, रहन-सहन, और सोच के तौर-तरीके।


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भाग 3: इम्तिहान का वक़्त

रेवा के माता-पिता ने जब अर्जुन के बारे में सुना, तो साफ मना कर दिया। “इतनी बड़ी कंपनी में काम करने वाली बेटी का जीवन साथी एक स्कूल टीचर कैसे हो सकता है?”

रेवा उलझ गई। एक तरफ प्यार था, दूसरी तरफ परिवार। अर्जुन ने भी रेवा से कह दिया—“अगर तुम्हें अपने मां-बाप की खुशी में अपनी खुशी मिलती है, तो मैं दूर चला जाऊंगा।”

रेवा ने तीन दिन खुद से बात की, दिल और दिमाग की जंग लड़ी। और फिर...


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भाग 4: फैसला

रेवा ने एक शाम अर्जुन को बुलाया और कहा, “मैंने फैसला कर लिया है। मैं अपने जीवन का साथी खुद चुनूंगी। मेरे लिए पैसे से ज्यादा जरूरी है वो इंसान जो मुझे समझे, सम्मान दे और हर हाल में साथ निभाए।”

रेवा ने अपने माता-पिता को समझाया—शब्दों से नहीं, अपने फैसले से। समय लगा, आँसू भी बहे, लेकिन आख़िर में माता-पिता को बेटी की खुशी कबूल करनी पड़ी।


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भाग 5: जीवन साथी

रेवा और अर्जुन की शादी सादगी से हुई। ना ज्यादा दिखावा, ना शोरगुल—बस दो दिलों का मिलन। शादी के बाद दोनों ने एक साथ एक छोटी लाइब्रेरी शुरू की, जहाँ बच्चों को पढ़ाना, कहानियाँ सुनाना और समाज को कुछ लौटाना उनका सपना बन गया।

अब रेवा के चेहरे पर एक अलग ही रौनक होती थी। और अर्जुन हर सुबह उसे देखकर मुस्कुराता, “धन्य हूं जो तुम मेरी जीवन साथी बनी।”


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अंतिम पंक्तियाँ:

“सच्चा जीवन साथी वो होता है जो सिर्फ हाथ नहीं थामता, बल्कि दिल और आत्मा का साथ निभाता है। अर्जुन और रेवा ने हमें सिखाया कि प्यार में हालात या समाज की सोच नहीं, बल्कि भरोसा और समझ सबसे अहम होते हैं। उन्होंने अपने फैसले से साबित किया कि जब दो लोग सच्चे दिल से एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं, तो कोई भी मुश्किल उन्हें अलग नहीं कर सकती। जीवन साथी वही है जो आपकी खामियों को भी अपनाए, आपकी हिम्मत बने और आपको हर हाल में अपना माने। एक सच्चा रिश्ता सिर्फ शादी के बंधन से नहीं, बल्कि हर रोज़ के छोटे-छोटे पलों में साथ निभाने से बनता है। जो इंसान दुख में आपको गले लगा सके, वही आपका सच्चा जीवन साथी होता है – और यही प्यार की सबसे बड़ी खूबसूरती है।”