💼 ऑफिस वाली मोहब्बत – एक अधूरी कहानी ❤️
"प्यार हर जगह हो सकता है... चाहे वो कॉलेज हो, बस स्टॉप हो या फिर ऑफिस की टेबल के सामने बैठी कोई लड़की..."
दिल्ली के एक बड़े कॉर्पोरेट ऑफिस में, अभय एक मेहनती, शांत स्वभाव का लड़का था। नया-नया ऑफिस जॉइन किया था और सब कुछ नया-नया लग रहा था। सुबह 9 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक, सिर्फ लैपटॉप, क्लाइंट्स और डेडलाइंस से जूझना उसकी दिनचर्या बन गई थी।
लेकिन एक दिन...
लंच टाइम में कैंटीन में बैठा था, तभी सामने से आंचल आई – सिंपल सी लड़की, लेकिन उसकी स्माइल में कुछ खास था। जैसे ही उसकी आंखें अभय से टकराईं, वक्त एक पल को थम सा गया।
अभय सोच में पड़ गया –
"क्या ये वही एहसास है, जो कॉलेज में हुआ करता था?"
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🌸 पहली बातचीत
अगले दिन जब आंचल पास वाली सीट पर आई, तो अभय ने हिम्मत करके हल्के से "हाय" कहा।
"हाय!" – मुस्कुरा कर जवाब दिया उसने।
कुछ दिन बीते, बातें बढ़ने लगीं – कभी प्रोजेक्ट्स के बहाने, कभी मीटिंग्स के बाद और कभी कॉफी मशीन के पास।
धीरे-धीरे दोनों एक-दूसरे की कंपनी एंजॉय करने लगे। ऑफिस में लोग भी नोटिस करने लगे कि "कुछ तो चल रहा है।"
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💕 दिल की बात
एक शाम जब दोनों साथ बाहर निकले, अभय ने कहा –
"आंचल, मुझे लगता है कि मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूँ।"
आंचल थोड़ी देर चुप रही, फिर मुस्कराकर बोली –
"मुझे भी तुम्हारे साथ समय बिताना अच्छा लगता है, लेकिन..."
अभय का दिल धड़कने लगा –
"लेकिन क्या?"
"लेकिन ऑफिस रिलेशनशिप को लेकर मैं थोड़ी सीरियस हूँ। मैं चाहती हूँ कि अगर हम इस रिश्ते को आगे बढ़ाएं, तो उसमें ईमानदारी और समझदारी हो।"
अभय ने तुरंत कहा –
"मैं पूरी ईमानदारी से तुम्हारे साथ हूँ।"
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🌧️ मुश्किल मोड़
सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन एक दिन अचानक आंचल ने ऑफिस आना बंद कर दिया।
न कोई कॉल, न कोई मैसेज।
अभय परेशान था –
"क्या हुआ? कुछ कहा भी नहीं।"
HR से पता चला कि आंचल ने नौकरी छोड़ दी है। वजह किसी को नहीं पता।
अभय का दिल टूट चुका था। उसकी आंखें हर दिन आंचल को ढूंढती रहीं।
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📦 एक साल बाद...
एक साल बीत गया।
अभय अब प्रमोट हो चुका था। लेकिन दिल में एक खालीपन था – आंचल की कमी।
एक दिन जब वो ऑफिस के बाहर कॉफी ले रहा था, एक जानी-पहचानी आवाज़ सुनाई दी –
"एक ब्लैक कॉफी, बिना शुगर।"
अभय ने पलट कर देखा – सामने आंचल खड़ी थी।
"तुम…?"
"हां, अभय। बहुत कुछ हुआ पिछले साल। पापा की तबीयत खराब हो गई थी। अचानक सब छोड़कर hometown जाना पड़ा। फोन भी बदल गया।"
अभय की आंखों में आंसू आ गए –
"तुम ठीक हो ना?"
"अब ठीक हूं… लेकिन तुमने बहुत याद किया ना?"
"हर दिन… हर पल…"
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❤️ एक नई शुरुआत
इस बार आंचल मुस्कराई –
"तो क्या अब मुझे फिर से तुम्हारे साथ कॉफी पीने का मौका मिलेगा?"
अभय ने कॉफी का कप उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा –
"अब ये कप सिर्फ तुम्हारे नाम… हमेशा के लिए।"
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🌟 अंतिम पंक्तियां
कुछ कहानियां रुक जाती हैं, लेकिन अगर दिल सच्चा हो तो वो फिर से शुरू होती हैं। ऑफिस वाली ये मोहब्बत अधूरी जरूर लगी थी, लेकिन किस्मत ने फिर से मिलाया। प्यार को वक्त चाहिए होता है… और जब वो सही वक्त पर लौटे – तो उसे थाम लेना चाहिए… हमेशा के लिए। ❤️