भाग-9.
"शब्दों के पीछे छुपे जज़्बात"
रचना: बाबुल हक़ अंसारी
पिछले अध्याय की झलक:
“अगर वो कभी मेरी वजह से टूटे,
तो उससे कहना — मेरी मोहब्बत कभी अधूरी नहीं थी,
बस वक़्त ही कम पड़ गया…”
शब्द कागज़ पर लिखे जाते हैं,
पर असली जज़्बात अक्सर पन्नों के पीछे छुप जाते हैं।
श्रेया की डायरी के पन्ने अब तीनों के सामने बिखरे थे,
पर उनमें एक पन्ना अलग था —
ना तारीख़ थी, ना कोई साफ़ शीर्षक। बस हल्की सी खुशबू और एक मुड़ा-कुचला गुलाब।
आयशा ने धीरे से वो पन्ना खोला।
कुछ लिखा था, पर सिर्फ़ आर्यन के नाम पर नहीं —
वहाँ तीन नाम थे:
"आर्यन, अयान और… अन्वी।”
"अन्वी?" अयान चौंक गया।
"तो तुम सिर्फ़ श्रेया की दोस्त नहीं थीं…?"
अन्वी की आँखें भर आईं।
"मैं उसकी सौतेली बहन हूँ… लेकिन उससे बढ़कर उसकी सबसे करीबी राज़दार थी।"
डायरी का पन्ना बोलने लगा…
"अगर मेरी मौत के बाद भी मेरा कोई हिस्सा रह जाए,
तो वो इन तीन लोगों में होगा — आर्यन की धुनों में, अयान की ख़ामोशी में, और अन्वी की सच्चाई में।"
"मैंने जो छुपाया, वो सिर्फ़ एक बीमारी नहीं थी…
बल्कि वो राज़ था जो अगर समय पर बाहर आता, तो शायद सब टूट जाते।"
"आर्यन का करियर, अयान की मोहब्बत, और अन्वी की पहचान — तीनों पर सवाल उठ सकते थे।"
तीनों अब स्तब्ध थे।
आयशा ने सवाल किया —
"क्या तुम जानती हो श्रेया किस राज़ की बात कर रही थी?"
अन्वी ने हाँ में सिर हिलाया।
"उसकी मौत... वाक़ई में एक हादसा नहीं थी।"
"मतलब?"
"उसे धक्का किसी ने दिया था… वो छत से खुद नहीं गिरी थी।"
अयान और युवराज दोनों उछल पड़े।
"क्या?! तो ये हत्या थी?"
अन्वी ने एक और दस्तावेज़ निकाला — एक फ़ोटो।
उसमें आर्यन, श्रेया और एक अनजान व्यक्ति था।
"ये… श्रेया का पहला मंगेतर था, समर… जिसे उसने आर्यन के लिए छोड़ा था।"
"समर ने उसे धमकी दी थी — अगर वो आर्यन के साथ गई, तो वो उसे कभी चैन से नहीं जीने देगा।"
और उसी के एक हफ्ते बाद… श्रेया की मौत हुई थी।
आयशा ने धीरे से कहा:
"इसका मतलब… ये कहानी मोहब्बत से शुरू हुई थी,
पर अब इंसाफ़ की तलाश बन चुकी है…"
युवराज बोला:
"अब ये सिर्फ़ एक धुन नहीं रह गई,
ये एक आवाज़ है —
जिसे दबाया गया था… अब गूंजेगी।"
तीनों ने एक फैसला किया:
"हम ‘अनकही चिट्ठियाँ’ के अगले एपिसोड में ये सच्चाई सुनाएँगे।
श्रेया की अधूरी मोहब्बत को अब अधूरी मौत नहीं रहने देंगे…"
एपिसोड का शीर्षक:
"वो सच… जो सुरों से बाहर था।"
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“सच की वो धुन, जो अब दबेगी नहीं…”
स्टूडियो की खामोशी अब टूट चुकी थी।
हर साज़, हर सुर अब एक सवाल बन चुका था —
क्या श्रेया वाकई हादसे का शिकार हुई थी, या किसी ने उसकी मोहब्बत को उसकी मौत बना दिया?
अयान की आँखों में आंसू नहीं थे,
बस एक ठंडी सी आग थी,
जो अब आवाज़ बनने वाली थी।
"हमें चुप नहीं रहना चाहिए," आयशा ने कहा।
"हम गायक हैं, पर इस बार सुरों से नहीं,
सच की तासीर से इंसाफ़ माँगेंगे।"
अन्वी ने पुलिस रिपोर्ट की एक कॉपी सामने रखी।
"मामला दुर्घटना के तौर पर बंद कर दिया गया था।
लेकिन देखो... किसी भी जगह सीसीटीवी फुटेज की जांच नहीं हुई।
छत पर कोई गार्ड मौजूद नहीं था।
और समर की कोई पूछताछ भी नहीं हुई।"
"क्यों?" युवराज ने सवाल किया।
"क्योंकि समर एक राजनेता का बेटा है," अन्वी ने कहा।
"श्रेया के जाने के बाद सब चुप हो गए… यहाँ तक कि मैं भी। लेकिन अब नहीं।"
अयान ने अपना सिर झुका लिया — फिर धीरे-धीरे ऊपर उठाया।
"तो चलो... उस साज़ को बजाते हैं
जो अब गूंजेगा इंसाफ़ की आवाज़ बनकर।"
रिहर्सल रूम में उस दिन एक गीत नहीं बना,
बल्कि एक मुकदमा शुरू हुआ।
अन्वी ने मीडिया से बात की।
आयशा ने “अनकही चिट्ठियाँ” का विशेष एपिसोड रिकॉर्ड किया —
जिसमें डायरी के पन्ने पढ़े गए,
और समर का नाम पहली बार सार्वजनिक रूप से लिया गया।
आर्यन अब तक कुछ नहीं बोल रहा था।
पर उसी शाम उसने एक क्लिप पोस्ट की —
सिर्फ़ एक साज़, और एक लाइन:
"वो जो गई, उसकी साँसें अब मेरी धुनों में हैं।
और जब तक मैं गाता हूँ, वो मरी नहीं।"
अगले दिन…
समर के वकील ने आर्यन को मानहानि का नोटिस भेजा।
और यह पहली बार था जब आर्यन ने चुप्पी तोड़ी:
"अगर इंसाफ़ माँगना गुनाह है,
तो हाँ — मैं गुनहगार हूँ।"
अब ये कहानी नहीं रही।
ये एक साज़िश का पर्दाफाश था,
जिसमें मोहब्बत सिर्फ़ एक किरदार थी,
पर आवाज़ — अब हथियार बन चुकी थी।
आयशा ने अन्वी से कहा:
"तुमने जो हिम्मत दिखाई है…
वो उस बहन को फिर से ज़िंदा कर रही है,
जिसे सबने हादसे में खो दिया था — पर तुम जानती थीं, वो मारी गई थी।"
अन्वी ने मुस्कराते हुए जवाब दिया:
"अब जब मैं रोती हूँ, तो डर से नहीं…
हिम्मत से रोती हूँ। क्योंकि अब कोई आवाज़ दबी नहीं रहेगी।"
(जारी है…)
अगला अध्याय: "वो चुप्पी जो अब गवाही बनेगी…"
जहाँ आर्यन और अयान, समर से आमने-सामने होंगे —
और एक चश्मदीद गवाह कहानी का रुख पलटेगा।