भाग:11
“चेहरे के पीछे छुपा नाम”
बाबुल हक़ अंसारी
पिछली झलक:
"चलो… वो तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है।" — काले हुड वाला आदमी
गोदाम के पिछले हिस्से से निकलते ही
एक तंग, अंधेरी गलियारे जैसी सुरंग ने उनका रास्ता घेर लिया।
दीवारों पर लटकते लोहे के जंग खाए हुक,
और ऊपर से टपकता पानी…
हर कदम पर ऐसा लगता था मानो किसी अदृश्य निगाह ने उन्हें पकड़ रखा हो।
अयान ने धीरे से पूछा, "ये हमें कहाँ ले जा रहा है?"
आर्यन ने बस आँखों से इशारा किया — चुप रहो।
आयशा के कानों में बूढ़े आदमी की साँसें तेज़ होती जा रही थीं।
वो पीछे-पीछे चल रहा था, जैसे डर और पछतावे के बीच फंसा हो।
सुरंग का आख़िरी मोड़ आते ही
एक भारी दरवाज़ा दिखाई दिया।
हुड वाला आदमी ने उसे खोला…
और अंदर एक कमरे में ढकेल दिया —
कमरे के बीचो-बीच एक कुर्सी,
और उस पर बैठा एक शख़्स… जिसकी आँखें अंधेरे में भी चमक रही थीं।
"तो… आखिरकार तुम आ ही गए, अयान," उसने कहा।
आवाज़ ठंडी थी, लेकिन उसमें एक अजीब सा अपनापन छुपा था।
अयान सख़्त लहजे में बोला — "तुम कौन हो?"
वो मुस्कुराया, और धीरे-धीरे अपनी हुड हटाई…
कमरे की मद्धम रोशनी में चेहरा साफ़ हुआ —
वो था… आर्यन का अपना बड़ा भाई, आदित्य।
आर्यन का दिल जैसे रुक गया —
"भाई…? ये… तुम?"
आदित्य ने गहरी सांस ली —
"हाँ… मैं ही था उस रात छत पर।
लेकिन मैंने धक्का नहीं दिया, आर्यन… मैंने बस देखा।
और वो मेरी सबसे बड़ी गलती थी।"
अयान ने गुस्से से कहा — "गलती? एक इंसान की जान गई!"
आदित्य ने टेबल पर रखा एक पुराना कैमरा उठाया, और उनकी तरफ़ फेंक दिया —
"इसमें वो सब है… जो सच में हुआ था।
पर याद रखना… सच सिर्फ़ सज़ा नहीं लाता,
कभी-कभी वो ज़िंदगी भी बर्बाद कर देता है।"
बूढ़ा आदमी फूट पड़ा —
"मैंने तुझे चेतावनी दी थी, आदित्य… पर तूने सुना नहीं।"
आदित्य ने चुपचाप खिड़की से बाहर देखा —
"अब जो होने वाला है… वो हम तीनों में से किसी के बस में नहीं है।"
और उसी पल…
गोदाम के बाहर गोलियों की आवाज़ गूँजने लगी।
कांच टूटे, धुआँ भर गया,
और एक छाया कमरे में घुसी —
"कैमरा हमें दो… वरना तुम सब यहीं खत्म।"
धमाक्क!
पहली गोली दीवार से टकराकर चिंगारियाँ छोड़ गई।
कमरे में धुआँ फैल गया, और धड़कनों की आवाज़ तक तेज़ हो गई।
आयशा ने झुककर बूढ़े आदमी को ढाल की तरह पकड़ा,
अयान ने बिजली की तेजी से टेबल से कैमरा उठाया।
लेकिन सामने से दो नकाबपोश अंदर घुस आए—हाथ में ऑटोमैटिक पिस्तौलें।
आर्यन चिल्लाया — "नीचे!"
और अगले ही पल उसने कमरे की एक लोहे की कुर्सी उठा कर पहले हमलावर पर दे मारी।
धमाके के साथ वो पीछे गिरा, लेकिन उसकी बंदूक से बेतरतीब गोलियाँ चलीं,
जिनसे छत के टुकड़े झरने की तरह गिरने लगे।
अयान ने कैमरा अपने जैकेट में ठूंसते हुए खिड़की की तरफ़ दौड़ लगाई,
लेकिन तीसरा हमलावर पहले से वहीं था—
उसके हाथ में चाकू, और आँखों में खून उतर आया था।
एक पल को लगा कि चाकू अयान की गर्दन तक पहुंच जाएगा,
लेकिन तभी… आदित्य ने पीछे से छलांग लगाई और उसे ज़मीन पर गिरा दिया।
दोनों में मुक्कों की बरसात शुरू हो गई—
घूंसे इतने जोर से पड़ रहे थे कि कमरा गूंज उठा।
"भागो!" आदित्य ने खून से सनी आंखों के बीच चिल्लाया।
आर्यन ने आयशा और बूढ़े आदमी को पकड़कर पीछे के दरवाज़े की ओर खींचा।
पर रास्ता धुएं और मलबे से भरा था—
फर्श पर फैला तेल, ऊपर से झूलती टूटी लाइटें…
हर कदम पर फिसलने का खतरा।
अचानक, एक गोली अयान के बाजू को छूते हुए निकल गई—
वो दर्द से कराह उठा लेकिन दौड़ना नहीं रोका।
कैमरा उसकी जैकेट में धड़कते दिल की तरह हिल रहा था।
जैसे ही वे दरवाज़े तक पहुँचे,
बाहर से एक काली SUV ब्रेक लगाते हुए रुकी।
ड्राइवर की खिड़की से एक हाथ बाहर निकला—
उसमें पिस्तौल थी, और निशाना सीधा अयान पर।
"कैमरा… या जान!"
आर्यन ने दाँत भींचे,
धीरे-धीरे उसने अपनी जेब से कुछ निकाला…
पर वो कैमरा नहीं था—
बल्कि एक पुराना माइक, जिसे उसने घुमाकर ड्राइवर की आँखों में दे मारा।
SUV का ड्राइवर चीखते हुए पीछे हट गया,
और उसी मौके का फ़ायदा उठाकर सब लोग अंधेरी गली में भाग पड़े।
लेकिन जैसे ही वो मोड़ पर पहुँचे…
सामने वही काले हुड वाला आदमी खड़ा था—
हाथ में कैमरा।
"धन्यवाद… अब ये मेरे पास रहेगा।"
(जारी है…)
अगला अध्याय: "जब सच दुश्मन के हाथ में हो"
जहाँ कैमरे की असली रिकॉर्डिंग एक बड़े पर्दाफाश से पहले ही गायब हो जाएगी,
और अयान-आर्यन को तय करना होगा—मोहब्बत बचाएँ या ज़िंदगी।