सिपाही प्रणाली को महल लेकर आए। वो एकदम बेजान हो गई थी। उसकी बस आंखें खुली थीं और आंसू बह रहे थे।
"तुरंत वैद्य को बुलाया जाए!" किसी ने कहा।
कुछ ही देर में उसकी आंखें भी बंद हो गईं...
...और इस तरफ अगस्त्य की आंखें झटके से खुलीं।
वो चिल्लाया —
"प्रणाली...!"
तभी अर्जुन उसके कमरे में आया —
"भाई, आप ठीक तो हैं ना?" (उसने चिंता में पूछा)
अगस्त्य हड़बड़ाया और इधर-उधर देखने लगा। फिर उसे याद आया कि यह एक सपना था।
वो सोचने लगा —
"नहीं... ये सपना सच नहीं हो सकता। अगर तुम्हें कुछ पता चल गया, तो मैं तुम्हें फिर खो दूंगा..."
"भाई...? आप क्या बोले जा रहे हो?" अर्जुन ने उसे झकझोर दिया।
अगस्त्य अपनी दुनिया से बाहर आया।
अर्जुन ने उसे थोड़ा पानी दिया।
पानी पीने के बाद उसे थोड़ा ठीक लगने लगा।
अर्जुन जाते-जाते माहौल हल्का करने के लिए बोला —
"भाई, ये प्रणाली कौन है वैसे...?"
अगस्त्य ने उसे बस एक लुक दिया, और अर्जुन चुपचाप निकल गया।
"ये सय्यूरी चुप नहीं बैठेगी... ये आई है तो किसी मकसद से ही आई होगी।"
"रात्रि और सय्यूरी को एक-दूसरे से दूर रखना होगा..."
(अगस्त्य गहरी सोच में चला गया)
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रात्रि अपने घर पहुंची।
उसे अभी भी सय्यूरी और अगस्त्य की नज़दीकियां चुभ रही थीं।
वो इन्हीं सोचों में थी कि उसने देखा — ड्रेसिंग टेबल पर उसकी स्टोरी की स्क्रिप्ट रखी है।
उसने तुरंत स्क्रिप्ट उठाई और देखने लगी।
उसे दिखा कि इस स्टोरी में तो सिर्फ प्रणाली और अविराज पर ही फोकस है।
और उसे सपने में भी इतना ही दिखता है।
"फिर वर्धान नाम क्यों याद आता है?"
"क्या मेरा और वर्धान का मेरी ज़िंदगी से कुछ लेना-देना है भी... या नहीं?"
"और अगर है भी, तो वो कौन है?"
वो और भी सोचने लगी —
"वर्धान... वर्धान..."
(और उसके दिमाग में जैसे कुछ कंपन होने लगा)
तभी उसके दिमाग में आया —
"अगस्त्य...? कहीं अगस्त्य ही तो वर्धान नहीं...? पर वो ऐसा...? क्या मैं उसकी दुश्मन थी किसी पूर्व जन्म में?"
ये सब सोचते-सोचते उसका दिमाग फटने लगा।
उसने खुद को रोका और फोन उठाकर कुछ सर्च करने लगी।
और फाइनली... उसे कुछ मिल गया।
"ओह! तो अब यहीं मुझे मेरे सारे जवाब मिलेंगे..." (वो सोचने लगी)
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अगली सुबह उसने अपनी कार की चाबी उठाई और निकल पड़ी।
कुछ दूर जाते ही उसे अर्जुन का कॉल आया —
"Ms. Mittal, आप कब तक पहुंच रही हैं लोकेशन पर?"
तभी रात्रि को याद आया —
"आज से तो शूटिंग शुरू थी!"
उसने तुरंत बोला —
"मैं लोकेशन से बहुत दूर हूं... आज तुम देख लो प्लीज़!"
उसने कॉल रख दिया।
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दूसरी तरफ अगस्त्य के पास वेदिका का फोन आया —
"सर, आपका वीज़ा इशू सॉल्व हो चुका है। तो आपकी टिकट बुक कर दूं?"
अगस्त्य (हंसते हुए):
"You know what? I should pay you extra for your always wrong timing."
और उसने कॉल काट दी।
सारे मेंबर्स शूट पर आ चुके थे — सिवाय अगस्त्य और रात्रि के।
अर्जुन ने अगस्त्य को कॉल किया और बताया कि सब कुछ ठीक से चल रहा है।
अगस्त्य:
"मुझे तुझ पर भरोसा है। तू जो भी करे, सही करेगा।"
अर्जुन:
"भाई! आप भी नहीं हैं और रात्रि भी नहीं है... सूना-सूना लग रहा है।"
अगस्त्य:
"क्या...? रात्रि वहां नहीं है? अच्छा, तू अच्छे से काम कर... मुझे पता है मेरा भाई दुनिया में बेस्ट है!"
(कॉल कट)
“ये रात्रि गई कहाँ होगी...? शूट स्किप करने वालों में से तो नहीं है।
I am daanm sure ,फिर कोई खुराफ़ात करने गई होगी... और इस बार मैं उसे बचाने नहीं वाला।”
(उसने सोचते हुए कहा।)
ये सोचते-सोचते वो शावर लेने चला गया, लेकिन अब भी उसके दिमाग़ में वही सब चल रहा था।
वो अपने सारे काम कर रहा था लेकिन मन उसी की तरफ़ जा रहा था — रात्रि की तरफ़।
वो रेडी हो गया और तुरंत अपना फोन उठाया।
कॉल किया... कॉल रिसीव होते ही:
"साय्युरी...! अगर रात्रि तुम्हारे पास आई है तो तुम अपनी उल्टी गिनती शुरू कर दो!"
सामने से साय्युरी ने जवाब दिया:
"वो यहाँ नहीं है..."
कॉल कट हो गया।
"रात्रि गई कहाँ है फिर!!!!"
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दूसरी तरफ़,
रात्रि एक अजनबी से दिखने वाले पते पर पहुँची...
“तो आपके पास मेरे सारे सवालों के सारे जवाब हैं...?”
(उसने विश्वास के साथ कहा।)
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उसी समय, अगस्त्य ने नेहा को कॉल किया:
"रात्रि कहाँ है?!"
नेहा: "मुझे नहीं पता सर... वो ख़ुद ड्राइव करके गई है..."
"उसकी कार का नंबर मुझे भेजो।" (अगस्त्य ने कहा।)
उसने लोकेशन ट्रेस करवाई — ये पता तो कुछ खास लग नहीं रहा, जिससे रात्रि का पास्ट जुड़ा हो...
फिर उसने मैप पर आसपास देखा, और गूगल मैप पर एक नाम पढ़ा — एक ऑफिस का नाम...
और वो शॉक हो गया:
"ओह... नो... नो... नो...!"
(अपना कोट और चाबी लेकर वो भागा)
"तुम अपने पास्ट के लिए इस हद तक जा सकती हो...???"