The Risky Love - 1 in Hindi Love Stories by Pooja Singh books and stories PDF | The Risky Love - 1

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The Risky Love - 1

पुराने किले में हलचल.....

गामाक्ष के जाते ही सब तरफ सन्नाटा छा जाता है, , सब बेसुध इधर उधर पड़े थे किसी को कोई होश नहीं यहां क्या हो गया,।।।


अब आगे.............

रात के तीन बज चुके थे , , अभी भी सब तरफ बस हवा का शोर ही गूंज रहा था , , धीरे धीरे विवेक के शरीर में हलचल सी होने लगती है और उसके थोड़ी देर बाद विवेक अपनी आंखों को खोलकर ऊपर की तरफ देखते हुए धीरे धीरे सब तरफ नजरें घुमाने लगता है और अपने आस पास सबको बेसुध पड़े देखकर उसके चेहरे पर शिकंज आ जाती है...
विवेक उठने की कोशिश करता हुआ दर्द से कराह उठता है..." आह...!..." वो जैसे ही अपने हाथ को उठाता है उसके हाथ से अदिति का ब्रेसलेट नीचे गिर जाता है जिसे देखकर विवेक कहता है...." ये ब्रेसलेट....ये तो अदिति का है...." 
विवेक सब तरफ देखकर उस ब्रेसलेट को उठाकर मुठ्ठी बंद करके कहता है...." ये अदिति भी न ....अपना इतना इम्पोर्टेंट ब्रेसलेट भूल गई , , लेकिन यहां सब हुआ क्या है...?..."
विवेक इतना कह ही रहा तभी उसकी नज़र अघोरी बाबा पर पड़ती है जिसे देखकर वो काफी हैरान हो जाता है और धीरे धीरे उनके पास जाकर कहता है....." अघोरी बाबा... क्या हुआ आपको...?...उठीए..." विवेक उन्हें पकड़कर हिलाते हैं लेकिन कोई फायदा नहीं होता ,।
विवेक धीरे धीरे सबको जगाने की कोशिश करता है लेकिन सब मदहोश से पड़े हुए थे , , वो काफी परेशान हो जाता है और जल्दी से टेबल‌ पर रखे पानी के जग से सब पर पानी की छिंटे मारता है जिससे इशान और बाकी सब को होश आने लगता है लेकिन आदित्य और अघोरी बाबा पर कोई असर नहीं हुआ था......
इशान होश में आकर विवेक को ठीक देखकर उसे गले से लगा लेता है और बाकी सब भी बारी बारी उसे गले से लगाकर उसके गालों पर प्यार से हाथ फेरते हैं.....
" यहां ये सब हुआ क्या है ...?.... इतना तोड़फोड़ और ये अघोरी बाबा यहां कब आए और भाई को क्या हुआ....?.." 
विवेक को परेशान देखकर सब एक दूसरे को देखते हैं मानो कह रहे हो अब विवेक को क्या बताएं...??
विवेक आदित्य के पास जाकर इशान से कहता है....." भाई को क्या हुआ है..?..ये इस तरह बेहोश कैसे हो गये ..?...ये तो बिलकुल ठीक थे ना....."
सब चुप्पी देखते हुए विवेक चिल्लाते हुए कहता है...." कोई कुछ बताएगा मुझे यहां हुआ क्या है...?..."
इशान उसे शांत रहने के लिए कहकर बताता है...." यहां बहुत कुछ हुआ है विवेक...जब तुम बेहोश थे तो तुम्हें ठीक करने के लिए अघोरी बाबा यहां आए थे लेकिन खुद ही उससे हाथ गये...."
" किससे भाई...?...तक्ष से...."
तक्ष का नाम सुनते ही सबके चेहरे पर खौफ छा जाता है और इशान भी डरते हुए कहता है...." हां..." फिर उसके बाद अब तक हुई सारी घटना को विवेक के सामने उजागर कर देता है....
" और उसके उस धुंए से हम सब बेहोश हो गये....और उसके बाद क्या हुआ हमें कुछ नहीं पता..."
विवेक हैरानी से पूछता है...." और अदिति कहां है...?..."
" नहीं पता विवू मैंने कहा न उसके बाद हम बेहोश हो गये , , उसके बाद यहां क्या हुआ हमें किसी को नहीं पता..." 
विवेक सबसे कहता है...." आप सब अदिति को ढूंढ़ो क्या पता वो भी यही कहीं हो शायद के कहीं छिपी हो..." इतना कहकर विवेक भी उसे ढूंढने के लिए उसके रुम में जाता है लेकिन उसे वो वहां नहीं मिलती.... इसलिए परेशान होकर नीचे आता है...
उधर गामाक्ष अदिति को लेकर पैहरगढ पहुंचकर अपने किले में जाता है , , उसके गांव में पहुंचते ही अचानक मौसम करवट बदल लेता है , , अचानक घनघोर काले बादल पूरे आसमान को घेर लेते है और कड़कड़ाते हुए तेज बिजली चमकने लगती है.....सारे गांववासी डर से अपने अपने घरों में छिपने लगते .....
तेज बादलों की गर्जन से मूसलाधार बारिश शुरू हो जाती है अचानक हुए मौसम के बदलाव को देखकर देविका बाहर आंगन में आकर ऊपर देखते हुए कहती हैं..." आज मौसम कैसे अचानक इतना डरावना हो गया..... इसे देखकर तो ऐसा लगता है जैसे आज प्रलय होने वाली है ...हे भगवान... रक्षा करना चार दिन वो नीलमावस की रात है बस ये रात और गुजर जाए फिर गांव में हमेशा के लिए शांति का माहौल हो जाएगा..."
तभी एक लड़का भागते हुए आकर देविका के घर के दरवाजे को जोर जोर से खटखटाने लगता है.... देविका दरवाजा खोलकर उस लड़के को देखकर कहती हैं...." क्या हुआ रमन.. ? ‌‌‌क्यूं इस तरह भीगते हुए आ रहा है...?..."
उस लड़के रमन ने कहा...." काकी पूराने किले में हलचल हो रही है, , सब वहां से आ रही डरावनी आवाजों से डर रहे हैं..."
रमन की बात सुनकर देविका काफी हैरान हो जाती है फिर उसकी तरफ देखते हुए कहती हैं...." कुछ नहीं हुआ वहां , , तुम्हारे डर ने और इस खराब मौसम की वजह से तुम्हें ऐसा लग रहा होगा....जाओ आराम करो...." 
रमन वहां से चला जाता है और देविका अपने आप से कहती हैं...." ये मानस से पहले किले में हलचल होना , , कुछ ठीक नहीं लग रहा है मुझे जल्दी ही अमोघनाथ जी से मिलना होगा..." 
इधर‌  , अदिति को पूरे घर में ढूंढ़ने के बाद सब आकर न में सिर हिलाते हैं....
इशान बाहर से आकर कहता है...." विवू अदिति कहीं नहीं है... मैंने उसे बाहर लाॅन में भी देख लिया लेकिन उसका कुछ पता नहीं..."
धीरे धीरे सूरज की रोशनी फैलने लगती है और गामक्ष के बताए अनुसार सूरज की किरण के साथ आदित्य को होश आने लगता है....
विवेक काफी परेशान हो गया था तभी अदिति के उस ब्रेसलेट पर उसका ध्यान जाता है और तुरंत उसे अपनी पाॅकेट से निकालकर देखता हुआ कहता है...." अदिति इस ब्रेसलेट को मेरे पास क्यूं छोड़कर गई है, , तभी कुछ सोचकर कहता है नहीं जैसा मैं सोच रहा हूं बस वैसा कुछ न हो... आखिर अदिति कहां हो तुम...?..."
तभी पीछे से आवाज़ आती है...." अदि कहां है...?.."
विवेक पीछे मुड़कर आदित्य को अपने सामने देख कर शाॅक्ड हो जाता है और आदित्य उससे पूछता है...." विवेक बोलो अदि कहां है...?..."
" भाई हम उसे ही ढूंढ रहे हैं लेकिन आप घबराई मत वो जरूर यही कहीं होगी..?.."
विवेक ने आदित्य को समझाने के लिए तो ये बात कह दी थी लेकिन उसका मन उस ब्रेसलेट को देखकर बहुत घबरा रहा था......
 
..............to be continued...............
क्या विवेक अदिति के बारे में जान पाएगा...?
जानने के लिए जुड़े रहिए