भाग 7
बेसमेंट से लौटने के बाद, सबकी मानसिक स्थिति और भी बिगड़ गई थी. उस अँधेरे, घुटन भरे माहौल और छिपे हुए दरवाज़े ने उनके डर को एक नए स्तर पर पहुँचा दिया था. उन्हें महसूस हो रहा था कि वे सिर्फ़ एक प्रेतवाधित बिल्डिंग में नहीं फंसे थे, बल्कि एक ऐसी शापित ज़मीन पर थे जो उन्हें अंदर तक प्रभावित कर रही थी – हर साँस के साथ, हर धड़कन के साथ. बेसमेंट की भयानक यादें उनके दिमाग से चिपकी हुई थीं, और उन्हें अपने-अपने अपार्टमेंट में भी कोई शांति नहीं मिल रही थी.
छाया को उस रात बिल्कुल नींद नहीं आई. जब भी वह आँखें बंद करती, उसे वही विकृत निशान और तेज़ झटके का एहसास होता जो उसे उस लकड़ी के दरवाज़े को छूने पर लगा था. उसे लगने लगा था कि उस दरवाज़े के पीछे कुछ ऐसा था जो उससे सीधा संपर्क साध रहा था, और यह संपर्क अच्छा नहीं था. उसे अपने अपार्टमेंट में भी हर कोने में एक अजीब सी परछाई हिलती हुई महसूस होती, जो पलक झपकते ही गायब हो जाती. यह सिर्फ़ आँखों का धोखा नहीं था; उसे अपनी पीठ पर एक ठंडी साँस महसूस होती थी, जो उसे हर पल बता रही थी कि वह अकेली नहीं थी. उसके कानों में कभी-कभी एक धीमी, पुरानी-सी फुसफुसाहट गूँजती थी, जैसे कोई उसे अतीत की बातें बताने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन शब्द कभी स्पष्ट नहीं होते थे, बस एक भयावह, अर्थहीन शोर था. उसकी भूख और नींद पूरी तरह से गायब हो चुकी थी, और उसकी आँखों के नीचे गहरे काले घेरे पड़ गए थे.
विवेक उस छिपे हुए दरवाज़े के निशान और बेसमेंट से मिली 'धातु के टकराने' वाली आवाज़ को लेकर बहुत परेशान था. उसने रात भर अपने लैपटॉप पर बिल्डिंग के पुराने आर्किटेक्चरल प्लान्स और लोकल हिस्ट्री फ़ोरम को खंगाला. उसे कुछ पुराने, मिट चुके नक्शे मिले जो बहुत ही अजीब थे. उनमें बेसमेंट के नीचे कुछ और गहरी संरचनाओं का ज़िक्र था, जिन्हें 'अप्रोच टु अननोन' या 'रिस्ट्रिक्टेड एक्सेस' कहा गया था. इन नक्शों में कुछ ऐसे प्रतीक भी थे जो उसे बेसमेंट के दरवाज़े पर मिले विकृत निशानों से मिलते-जुलते लग रहे थे. ये प्रतीक बहुत ही प्राचीन और अशुभ दिख रहे थे, और विवेक ने उनकी तस्वीरें अपने फ़ोन में सहेज ली थीं. उसे लगा कि वह किसी बहुत पुरानी और भयानक चीज़ के करीब आ रहा है, जिसका ज़िक्र शायद ही किसी इतिहास की किताब में मिले. उसने कई ऑनलाइन डेटाबेस खंगाले, लेकिन इन प्रतीकों के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं मिली, जिससे उसकी बेचैनी और बढ़ गई.
रिया का डिजिटल उत्पीड़न और बढ़ गया था, जिससे वह सामाजिक रूप से भी कटती जा रही थी. अब उसके फ़ोन पर अजीबोगरीब वीडियो कॉल आने लगे थे, जिनमें सिर्फ़ स्टैटिक और पृष्ठभूमि में धीमी, गहरी फुसफुसाहट सुनाई देती थी, जैसे कोई बहुत दूर से चीख रहा हो. उसके सोशल मीडिया अकाउंट्स से कुछ अजीबोगरीब तस्वीरें अपने आप पोस्ट हो रही थीं, जिनमें सिर्फ़ ज़मीन की पुरानी, उजाड़ तस्वीरें थीं, जिन पर वही विकृत निशान दिखाई दे रहे थे जो बेसमेंट के दरवाज़े पर थे. ये तस्वीरें अपने आप गायब हो जाती थीं, जिससे रिया को लगने लगा था कि वह पागल हो रही है, या कोई जानबूझकर उसे परेशान कर रहा है ताकि वह बाहर की दुनिया से संपर्क न कर पाए. उसके दोस्तों ने भी उससे दूरी बनानी शुरू कर दी थी, क्योंकि उसे लगता था कि वह 'अजीब' हो गई है.
अनुराग पर भी इन घटनाओं का गहरा असर हो रहा था. हालाँकि वह सीधे किसी अलौकिक अनुभव का सामना नहीं कर रहा था, लेकिन अपने दोस्तों की बढ़ती हताशा और बिल्डिंग के माहौल ने उसे अंदर से डरा दिया था. उसे लगता था कि हर जगह परछाइयाँ हैं, और हर आवाज़ उसे चौकन्ना कर देती थी. वह अब अकेले रहने से भी डरने लगा था, और हर रात उसे अजीबोगरीब सपने आते थे जिनमें वह एक अँधेरी जगह पर फंसा हुआ था जहाँ से भयानक चीखें आ रही थीं. उसकी नींद पूरी नहीं हो पा रही थी, और उसका स्वास्थ्य भी गिरने लगा था.
श्रीमती शर्मा की हालत बहुत खराब थी. बेसमेंट के अनुभव जानने के बाद उनका डर कई गुना बढ़ गया था. वह लगातार बेसमेंट से आने वाली फुसफुसाहटों की बात करती रहती थीं, और उन्हें लगता था कि कोई अदृश्य शक्ति उनके साथ कमरे में मौजूद है, जो उनकी हर बात सुन रही है. उनके हाथ काँपते रहते थे और वे किसी से बात करने से भी कतराने लगी थीं. उन्हें बस इतना याद था कि बचपन में उनके बड़े-बुज़ुर्ग इस ज़मीन से दूर रहने को कहते थे, 'क्योंकि यहाँ नीचे कुछ बुरा सोया हुआ है, जो अगर जाग जाए तो सबको निगल लेगा.' यह अस्पष्ट चेतावनी अब उनके दिमाग में लगातार घूम रही थी, और वे धीरे-धीरे वास्तविकता से कटती जा रही थीं.
समूह ने वीडियो कॉल पर अपनी नई ऑब्ज़र्वेशंस साझा कीं. विवेक ने जो पुराने नक्शे और प्रतीक देखे थे, उन्हें दिखाया. "मुझे लगता है कि यह सब उस ज़मीन से जुड़ा है, जैसा श्रीमती शर्मा कहती हैं," विवेक ने कहा, उसकी आवाज़ में एक नई दृढ़ता थी. "लेकिन यह कोई सामान्य भूत-प्रेत नहीं है. यह कुछ बहुत पुराना और शक्तिशाली है. ये प्रतीक किसी प्राचीन कर्मकांड या शक्ति को दर्शाते हैं."
"लेकिन यह क्या है?" अनुराग ने पूछा, उसकी आवाज़ में हताशा और थकान साफ झलक रही थी. "और हम इसे कैसे रोकेंगे? हम पागल होते जा रहे हैं."
छाया ने कहा, "हमें उस छिपे हुए दरवाज़े के पीछे क्या है, उसका पता लगाना होगा. विवेक, क्या कोई तरीका है उसे खोलने का?" उसके मन में अब सिर्फ़ उस रहस्य को सुलझाने की धुन सवार थी, क्योंकि उसे लगता था कि यही उनके बचने का एकमात्र रास्ता है.
विवेक ने सिर हिलाया. "मैंने कुछ पढ़ा है कि ऐसे प्राचीन निशानों वाले दरवाज़ों को तोड़ने से और मुसीबत आ सकती है. ये निशान शायद सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि किसी चीज़ को 'बांधने' के लिए हैं. इन्हें तोड़ने से शायद वह चीज़ आज़ाद हो जाए जो अंदर बंधी हुई है. हमें शायद किसी ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत है जो इन प्राचीन प्रतीकों या ऐसी ऊर्जाओं के बारे में जानता हो, जो इस तरह के दरवाज़ों को बिना नुकसान पहुँचाए खोल सके."
रिया ने तुरंत कहा, "मेरे कॉलेज में एक प्रोफेसर हैं, डॉ. मेहता. वह प्राचीन सभ्यताओं, लोककथाओं और गूढ़ विद्याओं (occult studies) पर रिसर्च करते हैं. वह इन प्रतीकों को पहचान पाएं और शायद हमें यह भी बता पाएं कि उन दरवाज़ों को कैसे खोला जाए. वह बहुत खुले विचारों के हैं और अजीबोगरीब चीज़ों में रुचि रखते हैं."
सबको लगा कि यह एक उम्मीद की किरण हो सकती है. वे जानते थे कि किसी बाहर वाले को अपनी समस्या बताना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि लोग उन्हें पागल समझ सकते थे, या डॉ. मेहता खुद खतरे में पड़ सकते थे. लेकिन उनके पास कोई और रास्ता नहीं था. उन्हें उस अज्ञात शक्ति का सामना करना होगा, जो उनके अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स को निगल रही थी, और अब उनकी जान पर बन आई थी. लेकिन वे यह भी नहीं जानते थे कि क्या डॉ. मेहता उनकी मदद कर पाएंगे, या वे खुद ही एक नए, अनजाने खतरे को अपनी ओर खींच रहे थे, जो उनकी कल्पना से भी कहीं ज़्यादा भयावह था. उनके जीवन का हर पल अब एक नई चुनौती बन गया था, और उन्हें हर हाल में जीतना था.