❤️ "तेरा मेरा इश्क़ – अधूरा सा पूरा" ❤️
शहर की ठंडी सुबह थी। कॉफी शॉप के एक कोने में आरव अपनी लैपटॉप स्क्रीन पर झुका हुआ था। बाहर बारिश की बूँदें काँच पर दस्तक दे रही थीं, और अंदर कैफे में हल्की-सी कॉफी की खुशबू फैली थी।
आरव का ध्यान अचानक दरवाज़े की घंटी पर पड़ा—एक लड़की भीगी हुई, बालों से पानी टपकता हुआ, आँखों में हल्की-सी घबराहट… "सिया"।
सालों बाद… वही सिया, जिसकी मुस्कान ने कॉलेज के दिनों में आरव का दिल चुराया था।
वो सामने आई, और बस एक पल के लिए दोनों की नज़रें टकराईं। वक़्त जैसे ठहर गया।
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कॉलेज के दिन
चार साल पहले…
सिया और आरव एक ही क्लास में थे। सिया हमेशा सबसे आगे बैठती, पढ़ाई में तेज़, और आरव क्लास का फ़नी बॉय—जो हर किसी के चेहरे पर हंसी ला देता था।
शुरुआत में दोनों के बीच ज़्यादा बात नहीं होती, लेकिन एक दिन लाइब्रेरी में, जब बारिश हो रही थी, आरव ने मज़ाक में कहा —
"तुम बारिश में भी किताब पढ़ती हो, वाकई टॉपर हो!"
सिया ने मुस्कुरा कर जवाब दिया — "और तुम? बारिश में भी सबको हँसाने का काम करते हो?"
बस, उसी दिन से उनकी बातें शुरू हो गईं।
धीरे-धीरे कॉफी डेट्स, प्रोजेक्ट्स, और लंबी-लंबी वॉक… आरव को एहसास हो गया कि वो सिया से प्यार करने लगा है। लेकिन उसने कभी कहा नहीं—क्योंकि सिया के सपने बहुत बड़े थे, और आरव नहीं चाहता था कि उसके करियर में कोई रुकावट आए।
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जुदाई
कॉलेज के आखिरी दिन, सिया को विदेश में स्कॉलरशिप मिल गई। फेयरवेल पार्टी में, आरव ने बस इतना कहा —
"अपना ख्याल रखना, और हाँ… तुम्हारे सपनों से भी ज़्यादा खुश रहना।"
सिया ने हल्के से मुस्कुराकर कहा — "तुम भी…"
उस दिन के बाद दोनों अलग रास्तों पर चल पड़े।
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वर्तमान में मुलाक़ात
आज, इतने साल बाद, वो कॉफी शॉप में आमने-सामने थे।
"आरव… तुम यहाँ?" — सिया ने हैरानी से पूछा।
"हाँ… और तुम?" — आरव ने भी चौंकते हुए कहा।
सिया ने बताया कि वो अब इंडिया वापस आ गई है, लेकिन कुछ अधूरे काम और रिश्ते अब भी दिल में हैं।
कॉफी के कप के बीच पुरानी बातें खुलने लगीं—कॉलेज के मज़ाक, वो अधूरी फिल्में जो साथ देखनी थीं, और वो बातें जो कभी कही नहीं गईं।
आरव ने हिम्मत करके पूछा —
"सिया, क्या तुम जानती हो… मैं तब से अब तक तुमसे…"
सिया ने उसकी बात काट दी — "हाँ, जानती हूँ। और शायद मैं भी तब से अब तक…"
दोनों ने एक-दूसरे की आँखों में देखा—अब कोई डर नहीं, कोई जल्दी नहीं।
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ट्विस्ट
लेकिन सिया ने एक गहरी साँस लेकर कहा —
"आरव, मेरी शादी अगले महीने है…"
ये सुनकर आरव का दिल जैसे रुक गया।
वो बस मुस्कुराया — "खुश रहना, सिया।"
सिया की आँखों में आँसू थे — "काश… हम पहले बोल पाते।"
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अंत… जो शायद नई शुरुआत हो
बारिश थम चुकी थी, लेकिन दोनों के दिल में तूफ़ान था।
सिया चली गई, और आरव खिड़की से उसे दूर जाते देखता रहा।
कभी-कभी प्यार, साथ होने में नहीं… बल्कि दूर से खुश रहने की दुआ देने में पूरा होता है।
आरव ने अपनी कॉफी खत्म की, लैपटॉप बंद किया, और बाहर निकलते हुए आसमान की ओर देखा—
"तेरा मेरा इश्क़… अधूरा सा सही, लेकिन पूरा महसूस होता है।"
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कहानी का संदेश:
सच्चा प्यार हमेशा मिलना नहीं होता, कभी-कभी किसी की ख़ुशी में अपना दर्द छुपा लेना भी प्यार है।