(छाया ने नित्या और काशी की सुरक्षा के लिए खुद को नित्या बताकर अगवा होने से बचाया, लेकिन खुद फँस गई। पुलिस ने डैनी की साजिश का पर्दाफाश किया और छाया को खोजने में जुट गई। छाया बहादुरी से खतरनाक हालात से निकली और सुरक्षित घर लौट आई। परिवार और पुलिस ने राहत की सांस ली। घर वापसी के दौरान छाया और विशाल की नजरों में अनकही बातें और गहरी भावनाएँ झलकती रहीं। छाया के “थैंक्यू” संदेश ने विशाल के मन में छिपे प्यार को और गहरा कर दिया। मगर उसके पुराने कठोर शब्द उसे पछतावे और भावनाओं के खिंचाव में उलझाए रखते हैं। अब आगे)
सुरीली का गुस्सा
विपिन और गौरी छाया को देखकर फूले नहीं समाए। दोनों ने सबसे माफ़ी माँगते हुए कहा – “हमसे गलती हुई थी, जो नित्या के लिए गलत लड़का चुना।"
नित्या ने बिना देर किए छाया को गले से लगा लिया और बोली – “मैं सच में बहुत खुशनसीब हूँ कि तू मेरी बहन है।”
दोनों बहनों के बीच अचानक केशव कूद पड़ा और मज़ाक में बोला – “और मेरे जैसा भाई मिलने के लिए तुम लोग और भी ज्यादा खुशनसीब हो।”
यह सुनकर सब ठहाका मारकर हँस पड़े।
गौरी मुस्कुराई और बोली – “अब बहुत हो गया, सब जाकर मुँह हाथ धो लो। मैं खाना लगाती हूँ।”
थोड़ी ही देर में सब खाने की मेज़ पर थे। गौरी ने खास छाया की पसंद का खाना बनाया था। खाते-खाते सब छाया से उसके अनुभव सुनने लगे—कैसे वह वहाँ पहुँची, क्या हुआ, और आखिर वह कैसे बचकर आई।
सबकी आँखों में गर्व था।
नित्या ने हैरानी से पूछा – “तुझमें इतनी हिम्मत कहाँ से आई कि तू उनका सामना कर पाई?”
यह सुनते ही छाया को उस रहस्यमयी औरत की याद आ गई, जिसने उसे सिखाया था कि मुसीबत के समय सबसे बड़ी मददगार उसकी अपनी हिम्मत है। छाया ने घरवालों से कहा – “उस औरत ने मुझे यकीन दिलाया कि अपनी रक्षा करने के लिए मुझे किसी और की ज़रूरत नहीं।”
सबने मुस्कुराकर मन ही मन उस अनजान औरत को धन्यवाद दिया।
खाना खाकर छाया अपने कमरे में चली गई। लेटकर करवटें बदलते हुए उसके मन में सवाल घूमने लगे—“विशाल मेरे परिवार के साथ क्यों था? प्रमोद को कैसे पता चला कि हमारा घर कहाँ है?”
तभी दरवाज़ा खुला और नित्या अंदर आई।
“सोई नहीं अभी तक?” – नित्या ने पूछा।
छाया ने उसकी तरफ देखकर सीधा सवाल किया – “प्रमोद को कैसे पता चला कि आप यहाँ हैं?”
नित्या झिझक गई। “शायद... उसके किसी रिश्तेदार ने देख लिया होगा और उसे बता दिया।”
छाया चुप हो गई। नित्या ने उसके गाल खींचते हुए कहा – “इतना मत सोच, सो जा। वैसे भी तेरे एग्ज़ाम आने वाले हैं।”
अगली सुबह छाया तैयार होकर नीचे आई। काशी अभी तक नहीं पहुँची थी। नाश्ता करने के बाद वह उसका इंतज़ार करने लगी। नित्या को भी थोड़ी देर में निकलना था। आखिरकार काशी आई, और दोनों बस स्टैंड की ओर निकल पड़ीं।
.......
उधर घर में...
विपिन ने जतिन से पूछा – “क्या प्रमोद पकड़ा गया?”
जतिन मुस्कुराए – “हाँ भैया। छाया के साथ जो उसने किया, उसकी सज़ा तो मिलेगी ही।”
इतने में बाहर से एक तीखी आवाज़ आई – “किस बात की सज़ा?”
सब चौंक गए। दरवाज़े पर सुरीली खड़ी थी।
गौरी ने उसका रास्ता रोकते हुए कहा – “पुलिस ने तुम्हें छोड़ा कैसे?”
सुरीली ने आँखें तरेरीं – “पैसा बोलता है। और ये मत सोचना कि हम जेल में रहेंगे। मेरे बेटे को भी छुड़वा ही लेंगे। तुम्हारी बेटी की वजह से सब हुआ है। नित्या को बुलाओ, पूछूँ क्या जादू किया है उसने।”
वह जोर-जोर से “नित्या-नित्या” चिल्लाने लगी।
नम्रता और जतिन को गुस्सा आ रहा था, लेकिन ज़रूरत नहीं पड़ी। गौरी ने खुद उसका हाथ पकड़कर झटका और घर से बाहर धकेल दिया।
गुस्से से लाल होकर गौरी बोली – “गाँव में जितना तमाशा किया, हमने सहा। दहेज का जरिया बना दिया। न देने पर शादी तोड़ने की धमकी दी। और जब रिश्ता टूट गया तो मेरी बेटी से जबरदस्ती शादी कराने निकले। अब भी इल्ज़ाम नित्या पर? शर्म नहीं आती तुम्हें?”
सुरीली हक्का-बक्का रह गई। आसपास लोग इकट्ठा हो गए थे। सबकी नज़रें उसी पर थीं। वह बुरी तरह असहज हो उठी।
विपिन ने हाथ जोड़कर कहा – “कृपया यहाँ से जाइए। आपके बेटे को उसकी सज़ा ज़रूर मिलेगी।”
जतिन ने भाई का हाथ थामते हुए कहा – “चलो अंदर, भैया।”
और सबने मिलकर दरवाज़ा बंद कर लिया।
अंदर आते ही नम्रता बोली – “क्या बदतमीज़ औरत है। अच्छा हुआ नित्या घर में नहीं थी, वरना…”
गौरी ने हंसते हुए टोका – “वरना क्या?”
नम्रता खिलखिलाई – “वरना वो मेरी जेठानी के हाथों धुन दी जाती।”
चारों ज़ोर से हँसने लगे। हँसी की आवाज़ बाहर तक पहुँची।
सुरीली ने सुना, दाँत पीसे, और बड़बड़ाती हुई वहाँ से निकल गई।
...
1. क्या सुरीली और प्रमोद फिर से नित्या के जीवन में संकट खड़े करेंगे?
2. परिवार का सुरक्षा कवच बनना छाया और नित्या को कितनी ताकत और हिम्मत देगा?
3. क्या छाया और विशाल सच में एक-दूसरे के और करीब आ पाएंगे?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "छाया प्यार की".