🌸 यश और दिव्या – अधूरी मोहब्बत या नई शुरुआत? 🌸
भाग – 1 : पहली मुलाक़ात
कॉलेज का पहला दिन हमेशा यादगार होता है। हर कोई नए चेहरे, नए दोस्तों और नई उम्मीदों के साथ कैंपस में कदम रखता है।
यश भी उसी भीड़ का हिस्सा था। थोड़े संकोची, मगर सपनों से भरा हुआ लड़का। उसे किताबें पढ़ने का शौक था और क्रिकेट का जुनून।
वहीं दूसरी ओर थी दिव्या – एक खूबसूरत, चुलबुली और आत्मविश्वास से भरी लड़की। उसकी मुस्कान में ऐसा जादू था कि जो भी देख ले, एक पल के लिए ठहर जाए।
क्लास का पहला लेक्चर शुरू हुआ। प्रोफेसर ने कहा –
“सब लोग अपना-अपना परिचय देंगे।”
जब दिव्या खड़ी हुई, तो उसकी आवाज़ में ऐसी मिठास थी कि यश अनजाने में उसे देखने लगा। दिव्या ने खुद को इंट्रोड्यूस किया –
“Hi, I’m Divya. मुझे पेंटिंग और म्यूज़िक पसंद है।”
यश के दिल ने धीरे से फुसफुसाया – “शायद यही लड़की मेरी कहानी का हिस्सा बनेगी।”
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भाग – 2 : दोस्ती की शुरुआत
धीरे-धीरे क्लासेज़ आगे बढ़ीं। यश और दिव्या की सीटें अक्सर पास आ जातीं। कभी नोट्स शेयर करना, कभी ग्रुप डिस्कशन, और कभी कैंटीन में दोस्तों के साथ बैठना – इन सबने दोनों को करीब ला दिया।
एक दिन दिव्या लाइब्रेरी में बैठी थी। सामने टेबल पर यश आकर बैठ गया।
“इतनी सारी किताबें! तुम पढ़ लेती हो?” – यश ने मज़ाक किया।
दिव्या हंसते हुए बोली – “किताबें दोस्त जैसी होती हैं। जितना समय दोगे, उतना अच्छा साथ देंगी।”
यश उस जवाब पर बस मुस्कुराया। उस पल से उसे एहसास हुआ कि दिव्या बाकी सब लड़कियों से अलग है।
दोस्ती धीरे-धीरे गहरी होने लगी। दिव्या अपने सपनों, अपने परिवार और अपने डर तक यश से शेयर करने लगी। और यश भी पहली बार किसी को इतना खुलकर बताने लगा कि उसके दिल में क्या है।
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भाग – 3 : दिल की बात
कॉलेज की वार्षिक फेस्टिवल की रात। पूरा कैंपस रंग-बिरंगी लाइटों से सजा हुआ था। दिव्या ने डांस परफ़ॉर्मेंस दी और सबकी नज़रें उसी पर टिक गईं।
यश भीड़ में खड़ा उसे देख रहा था और उसके दिल में बस एक ही ख्वाहिश थी – “काश मैं इसे बता पाता कि मैं इसे कितना चाहता हूँ।”
फेस्ट खत्म होने के बाद यश ने हिम्मत जुटाई। दिव्या अकेली कैंपस गार्डन में बैठी थी।
यश ने धीरे से कहा –
“दिव्या… मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।”
दिव्या ने मुस्कुराकर कहा – “कहो, मैं सुन रही हूँ।”
यश की धड़कनें तेज़ हो गईं। उसने गहरी सांस ली –
“दिव्या, मुझे लगता है कि मैं तुम्हें… पसंद करने लगा हूँ। शायद सिर्फ पसंद नहीं, बल्कि… प्यार।”
कुछ पल के लिए चुप्पी छा गई। दिव्या ने उसकी आँखों में देखा। उसकी आँखें सच्चाई और मासूमियत से भरी थीं।
दिव्या ने हल्की सी मुस्कान दी –
“यश… तुम अच्छे दोस्त हो। मुझे सोचने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए।”
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भाग – 4 : दूरियाँ और गलतफहमियाँ
दूसरे ही दिन से दिव्या का बर्ताव थोड़ा बदल गया। वो यश से कम बातें करने लगी, क्लास में उससे बचने लगी।
यश परेशान हो गया – “क्या मैंने अपनी दोस्ती खो दी?”
कुछ दिनों बाद उसे पता चला कि दिव्या के परिवार ने उसकी शादी कहीं और तय कर दी है।
यह खबर सुनकर यश टूट गया। उसने दिव्या से बात करने की कोशिश की।
“दिव्या, अगर तुम चाहो तो सब कुछ बदल सकता है। मैं तुम्हारे साथ खड़ा हूँ।”
दिव्या की आँखें नम हो गईं –
“यश… मैं तुमसे दूर नहीं होना चाहती, लेकिन मेरे घर की ज़िम्मेदारियाँ, मेरे माता-पिता की खुशियाँ… मैं सबकुछ छोड़ नहीं सकती।”
उस दिन दोनों ने एक-दूसरे को बहुत रोते हुए देखा।
दूरी उनके नसीब में लिखी थी।
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भाग – 5 : सालों बाद मुलाक़ात
कॉलेज खत्म हुआ, सब अपने-अपने रास्तों पर चले गए।
यश ने खुद को करियर में डुबो दिया, ताकि दर्द भूल सके।
वहीं दिव्या शादीशुदा ज़िंदगी में चली गई।
कई सालों बाद एक रीयूनियन पार्टी में दोनों फिर मिले।
दिव्या पहले जैसी ही मुस्कुराती थी, पर उसकी आँखों में अब एक खालीपन था।
यश ने उसे देखा और हल्की सी मुस्कान दी।
“कैसी हो, दिव्या?”
दिव्या बोली – “अच्छी हूँ… और तुम?”
“मैं भी ठीक हूँ।”
भीड़ के बीच खड़े दोनों के दिल फिर से पुराने दिनों में चले गए।
ना किसी ने अपने दर्द कहे, ना किसी ने सवाल पूछे।
बस इतना समझ आ गया –
कभी-कभी प्यार अधूरा रहकर भी ज़िंदगी भर पूरा महसूस होता है।
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भाग – 6 : नई शुरुआत
पार्टी खत्म होने के बाद दिव्या बाहर खड़ी थी। यश उसके पास आया।
“दिव्या, जिंदगी हमें चाहे जहाँ ले जाए… हमारी दोस्ती हमेशा जिंदा रहेगी। क्या तुम वादा करोगी?”
दिव्या की आँखें भर आईं। उसने हाथ आगे बढ़ाया –
“वादा।”
उस पल दोनों ने समझा कि प्यार सिर्फ साथ होना नहीं है, बल्कि किसी का दिल से हमेशा ख्याल रखना भी है।
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🌹 समापन 🌹
यश और दिव्या की कहानी अधूरी रही, लेकिन उनकी मोहब्बत हमेशा ज़िंदा रही।
शायद यही सच्चा प्यार है – जो वक्त और दूरी से भी खत्म नहीं होता।
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