Narendra Modi Biography - 5 in Hindi Biography by mood Writer books and stories PDF | Narendra Modi Biography - 5

Featured Books
Categories
Share

Narendra Modi Biography - 5


भाग 5 – भाजपा में उभरता चेहरा

प्रस्तावना

भाग 4 में हमने देखा कि नरेंद्र मोदी कैसे RSS से भाजपा तक पहुँचे और संगठन के मास्टर के रूप में पहचान बनाई। अब उनके जीवन का यह अध्याय बताता है कि कैसे एक साधारण प्रचारक, जो पर्दे के पीछे काम करता था, धीरे-धीरे भाजपा का उभरता हुआ चेहरा बन गया। यह दौर 1990 से 2001 तक का है, जिसने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुँचाने की जमीन तैयार की।


---

संगठन मंत्री के रूप में मोदी

1990 में नरेंद्र मोदी को भाजपा का गुजरात संगठन मंत्री बनाया गया। यह पद बहुत अहम था क्योंकि संगठन ही किसी पार्टी की ताकत होता है।

मोदी ने बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं की टीम बनाई।

उन्होंने प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए।

कार्यकर्ताओं को केवल प्रचार ही नहीं, बल्कि जनता से जुड़ने का तरीका सिखाया।


उनकी कार्यशैली अनोखी थी –

हर कार्यकर्ता से व्यक्तिगत जुड़ाव।

योजनाओं की बारीकियों पर ध्यान।

चुनाव जीतने के लिए वैज्ञानिक और व्यवस्थित दृष्टिकोण।



---

1990 का दौर – आडवाणी की रथयात्रा

1990 में लालकृष्ण आडवाणी ने राम जन्मभूमि आंदोलन के तहत रथयात्रा शुरू की। गुजरात में इस यात्रा की सफलता का श्रेय नरेंद्र मोदी की रणनीति को जाता है।

उन्होंने यात्रा का पूरा मार्ग तय किया।

सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाली।

कार्यकर्ताओं और जनता को जोड़कर यात्रा को ऐतिहासिक बनाया।


आडवाणी ने खुद माना कि रथयात्रा की गुजरात में अभूतपूर्व सफलता के पीछे मोदी की योजना और मेहनत थी।


---

भाजपा का विस्तार और मोदी की भूमिका

1990–95 के बीच गुजरात में भाजपा ने कांग्रेस को कड़ी चुनौती दी।

नगर निगम चुनावों में भाजपा की जीत।

ग्रामीण क्षेत्रों में भी पार्टी का प्रभाव।

कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ना।


इस पूरे दौर में मोदी पर्दे के पीछे रहते हुए भी सबसे प्रभावी रणनीतिकार बने।


---

1995 – भाजपा की सरकार और मोदी की ताकत

1995 में भाजपा ने गुजरात विधानसभा चुनाव जीता और पहली बार सरकार बनाई। यह जीत आंशिक रूप से नरेंद्र मोदी की संगठनात्मक रणनीति का नतीजा थी।

हालाँकि, इस समय भी वे पर्दे के पीछे ही रहे। उनका मुख्य फोकस था – पार्टी को मजबूत करना, न कि खुद सत्ता में रहना।


---

आंतरिक संकट और मोदी का योगदान

1995 के बाद भाजपा सरकार आंतरिक कलह का शिकार हो गई। मुख्यमंत्री बदलते रहे, जिससे पार्टी की छवि कमजोर हुई।
नरेंद्र मोदी ने इस समय भी संगठन को संभालने का काम किया। वे पार्टी नेताओं के बीच सेतु बने और कार्यकर्ताओं को निराश नहीं होने दिया।


---

राष्ट्रीय स्तर पर पहचान

1990 के दशक के अंत तक नरेंद्र मोदी की पहचान केवल गुजरात तक सीमित नहीं रही।

उन्होंने हिमाचल, राजस्थान और अन्य राज्यों में चुनाव अभियान का संचालन किया।

उनकी रणनीति और भाषण कौशल ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

भाजपा नेतृत्व ने उन्हें "संकटमोचक" मानना शुरू कर दिया।



---

तकनीक और मीडिया का इस्तेमाल

नरेंद्र मोदी ने चुनावी अभियानों में तकनीक और मीडिया का इस्तेमाल शुरू किया, जो उस समय नया था।

वे स्लाइड शो और ऑडियो-विजुअल माध्यम का प्रयोग करते।

उन्होंने छोटे कार्यकर्ताओं तक संदेश पहुँचाने की व्यवस्था बनाई।

मीडिया से बेहतर संबंध बनाकर पार्टी की छवि मजबूत की।



---

1998 – भाजपा की वापसी

1998 में भाजपा ने फिर से गुजरात में सरकार बनाई। इस चुनाव में भी मोदी की रणनीति निर्णायक रही।
उन्होंने शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में भाजपा को मजबूत किया।


---

2001 – निर्णायक मोड़

2001 भाजपा और नरेंद्र मोदी दोनों के लिए निर्णायक साल था।

गुजरात में भुज भूकंप आया, जिसमें हज़ारों लोग मारे गए।

सरकार की नाकामी के कारण जनता में गुस्सा था।

भाजपा को मजबूत नेतृत्व की जरूरत थी।


इसी समय पार्टी नेतृत्व ने नरेंद्र मोदी पर भरोसा जताया और उन्हें गुजरात का मुख्यमंत्री नियुक्त किया।