कहानी शुरू होती है Kabir Singh से, जो दिल्ली के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहा है। वह एक शानदार सर्जन है, तेज दिमाग वाला है और हर किसी को अपनी स्किल्स से प्रभावित करता है। लेकिन उसका गुस्सा और जिद्दी स्वभाव सभी से अलग है। कॉलेज में उसका नाम और रुतबा दोनों ही काफी बड़ा है। कोई भी उससे पंगा लेने की हिम्मत नहीं करता।
एक दिन कॉलेज में नई एडमिशन होती है – प्रीति सिक्का। वह एक शांत, मासूम और शर्मीली लड़की है। जब Kabir पहली बार प्रीति को देखता है, तो उसके चेहरे पर एक अजीब सा सुकून पाता है। उसी पल वह तय कर लेता है कि यह लड़की उसकी है।
Kabir अपने दबंग अंदाज़ में पूरे कॉलेज को बता देता है – "ये मेरी लड़की है, कोई इसे तंग नहीं करेगा।"
शुरुआत में प्रीति डर जाती है, क्योंकि Kabir का गुस्सा और उसकी ताकत सबको पता थी। मगर धीरे-धीरे Kabir का केयरिंग स्वभाव उसके सामने खुलने लगता है। वह प्रीति को मेडिकल पढ़ाई में मदद करता है, उसकी देखभाल करता है और हर जगह उसे अपने साथ रखता है। प्रीति को Kabir का यह अलग पहलू बहुत पसंद आता है।
धीरे-धीरे दोनों का रिश्ता गहराने लगता है। क्लासरूम से लेकर हॉस्टल तक, हर जगह दोनों का प्यार साफ दिखने लगता है। Kabir उसे छोटी-छोटी बातों में खुश करता है, और प्रीति अपनी मासूमियत से Kabir के गुस्से को शांत कर देती है।
उनका प्यार कॉलेज की दीवारों से बाहर निकलकर एक गहरे रिश्ते में बदल जाता है। Kabir अब पूरी तरह प्रीति पर निर्भर हो जाता है। उसे लगता है कि उसके जीवन का हर हिस्सा प्रीति से ही जुड़ा हुआ है।
लेकिन इसी बीच कहानी में मोड़ आता है। प्रीति के परिवार को उनका रिश्ता पता चलता है। प्रीति एक परंपरागत पंजाबी परिवार से आती है, जहाँ उसकी शादी परिवार की मर्ज़ी से तय होनी चाहिए। परिवार वालों को Kabir का गुस्सैल और बिंदास स्वभाव बिल्कुल पसंद नहीं आता। वे मानते हैं कि Kabir प्रीति के लिए सही इंसान नहीं है।
फिर भी Kabir हार मानने वालों में से नहीं है। वह प्रीति से वादा करता है कि चाहे जो हो जाए, वह उसे हमेशा अपने साथ रखेगा। लेकिन प्रीति अपने परिवार की इज़्ज़त और Kabir के प्यार के बीच फँस जाती है।
यहीं से उनके प्यार की असली परीक्षा
शुरू होती है।
प्रीति के परिवार वाले जैसे ही उसके रिश्ते को जानते हैं, वे सख़्त विरोध में खड़े हो जाते हैं। उन्हें Kabir का गुस्सैल, दबंग और जुनूनी स्वभाव किसी भी तरह अपनी बेटी के लिए ठीक नहीं लगता। घर वालों के दबाव में आकर वे प्रीति की शादी किसी और लड़के से तय कर देते हैं।
Kabir को जब यह पता चलता है, तो उसका गुस्सा आसमान छूने लगता है। वह प्रीति को समझाता है, उसके घर जाकर लड़ता है, लेकिन प्रीति मजबूरी में चुप रहती है। शादी के मंडप में भी Kabir उसे अपने साथ ले जाने की कोशिश करता है, मगर प्रीति अपने परिवार की इज़्ज़त और हालात के बोझ तले कुछ बोल नहीं पाती। यह सब देखकर Kabir अंदर से पूरी तरह टूट जाता है।
प्रीति के खो जाने के बाद Kabir का जीवन बिखरने लगता है। उसका जुनून और गुस्सा अब शराब, ड्रग्स और खुद को बर्बाद करने में बदल जाता है। वह हर रोज़ नशे में डूबा रहता है। उसके दोस्त और परिवार उसे संभालने की कोशिश करते हैं, मगर वह किसी की सुनता ही नहीं।
एक वक्त ऐसा आता है कि Kabir की हालत इतनी बिगड़ जाती है कि उसका मेडिकल लाइसेंस तक कैंसिल हो जाता है। जो लड़का एक बेहतरीन सर्जन था, वही अब सड़क पर शराब पीकर गिरा रहता है।
प्रीति के बिना उसका जीना नामुमकिन सा हो गया था। वह दिन-रात उसे याद करता, उसके ख्यालों में जीता, लेकिन सच्चाई यह थी कि प्रीति अब उसके पास नहीं थी।
फिर एक दिन किस्मत उसे दोबारा मोड़ पर लाकर खड़ा करती है। Kabir की मुलाकात अचानक प्रीति से होती है। वह गर्भवती होती है और Kabir को पता चलता है कि यह बच्चा उसी का है। असल में, शादी के बाद भी प्रीति ने अपने पति के साथ कोई रिश्ता नहीं बनाया था। वह घर छोड़कर अकेली रह रही थी, क्योंकि उसका दिल अब भी Kabir से ही जुड़ा हुआ था।
यह सुनकर Kabir की आँखों से आंसू बहने लगते हैं। उसका टूटा हुआ दिल एक पल में फिर से जी उठता है। वह प्रीति को गले लगाता है और दोनों रोते हुए एक-दूसरे को कसकर पकड़ लेते हैं।
कहानी यहीं खत्म होती है, जहाँ दो टूटे हुए दिल सारी मुश्किलें झेलने के बाद फिर से एक हो जाते हैं। Kabir Singh और प्रीति का जुनूनी प्यार आखिरकार अपने अंजाम तक पहुँचता है – एक-दूसरे
की बाहों में।