The Tragic Tale of Seven Brothers and Their Sister in Hindi Moral Stories by Raju kumar Chaudhary books and stories PDF | सात भाई और उनकी बहन की दुखद कथा

Featured Books
Categories
Share

सात भाई और उनकी बहन की दुखद कथा


सात भाई और उनकी बहन की दुखद कथा


भाग 1: गाँव और परिवार का परिचय


बहुत समय पहले, एक घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरे गाँव में सात भाई और उनकी प्यारी बहन रहते थे। गाँव का नाम था सुमंगलपुर। यह गाँव हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन वहाँ के लोग बहुत मेहनती थे।


सातों भाई – अजय, विजय, मनोज, संजय, रवि, दीपक और सतीश – मेहनती और ताकतवर थे, लेकिन उनमें कभी-कभी आपसी झगड़े और छोटी-छोटी बातों पर अहंकार उभर आता था। उनकी बहन गौरी गाँव की सबसे सुंदर और बुद्धिमान लड़की थी। उसका स्वभाव दयालु और प्रेमपूर्ण था। वह हर किसी की मदद करती और भाईयों की चिंता करती।


गाँव में लोगों के बीच यह कहा जाता था कि सात भाई और उनकी बहन एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। लेकिन किस्मत में उन्हें भयानक परीक्षा लेने वाली थी।



---


भाग 2: अकाल और भय


एक वर्ष गाँव में भयंकर अकाल पड़ा। खेतों में फसल नहीं हुई, नदियाँ सूख गईं और गाँव में भोजन की कमी होने लगी। लोगों के चेहरे पर चिंता और डर स्पष्ट था।


भाइयों को भी डर लगने लगा। उन्होंने सोचा, “अगर भोजन नहीं मिलेगा, तो हम सभी मर जाएंगे।”

गौरी ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि भाई-बहनों का प्यार और आपसी सहयोग सबसे बड़ी ताकत है, लेकिन अकाल और भय ने उनके दिलों में लालच और क्रोध पैदा किया।



---


भाग 3: मन में अंधकार


भाई धीरे-धीरे गलत विचारों में फंसने लगे। उन्हें लगा कि अगर बहन नहीं रहेगी तो भोजन की समस्या हल हो सकती है।

गौरी ने उन्हें प्रेम और दया से समझाया, लेकिन डर और लालच की शक्ति ने उनके दिलों पर कब्जा कर लिया।


रात के समय, गाँव के बुजुर्गों ने कहा:

“भय और लालच इंसान को सबसे भयानक कदम उठाने पर मजबूर कर सकता है। जो भी नैतिकता से हटकर काम करेगा, उसका अंत दुखद होगा।”


लेकिन भाई सुनने को तैयार नहीं थे।



---


भाग 4: भयावह निर्णय


भाईयों ने भय और लालच में एक भयंकर निर्णय लिया। वे यह सोच रहे थे कि बहन को मारकर भोजन की कमी हल हो जाएगी।


गौरी, अपनी बुद्धिमत्ता और धैर्य से, उन्हें बार-बार समझाती रही:

“भाईयों, यह रास्ता हमें विनाश की ओर ले जाएगा। हम मिलकर अन्य उपाय ढूँढ सकते हैं।”


लेकिन उनके शब्द भाईयों के दिल तक नहीं पहुँच पाए। उनका भय और लालच उनकी समझ पर भारी पड़ गया।



---


भाग 5: दुखद घटना


अंततः, एक भयंकर रात में, भय और लालच ने उन्हें ऐसा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया, जिसका परिणाम वे कभी नहीं भूल पाए।


यह घटना पूरे गाँव में फैल गई। लोग स्तब्ध रह गए। यह बताते हुए कि भय और लालच इंसान को कितना विनाशकारी बना सकता है।



---


भाग 6: पछतावा और शिक्षा


घटना के बाद, भाइयों का मन व्यथित और दुखी हो गया। उन्होंने देखा कि भय और लालच ने न केवल बहन को छीन लिया, बल्कि उनके जीवन को भी अंधकार में डाल दिया।


गाँव के लोग उनकी गलती देखकर उन्हें समझाने लगे:

“जो भी नैतिकता से हटकर काम करता है, उसका अंत हमेशा दुखद होता है। प्रेम, दया और सहयोग ही जीवन की असली ताकत हैं।”


भाइयों ने महसूस किया कि भय और लालच इंसान को विनाश की ओर ले जाते हैं, और उन्होंने अपने कर्मों का पश्चाताप किया।



---


भाग 7: समाप्ति


समय बीतने के साथ, यह घटना गाँव में एक लोककथा बन गई। लोग इसे सुनकर सीखते थे कि:


1. भय और लालच से दूर रहें।



2. प्यार और सम्मान से जीवन जीएँ।



3. अनैतिक कार्य का अंत हमेशा दुखद होता है।




गौरी की याद और उनकी आत्मा की शांति के लिए गाँव में प्रतिवर्ष एक स्मृति

दिवस मनाया जाने लगा, जिसमें लोग सहिष्णुता, दया और सहयोग की महत्ता को याद करते थे।