छाया और काशी परीक्षा की तैयारी में पूरी मेहनत कर रही थीं, लेकिन टेंशन उन्हें बहुत सताने लगी। नंदिता की मदद से काउंसलिंग सेशन में शामिल होकर वे मानसिक रूप से मजबूत हुईं। छाया ने पढ़ाई में योग और पिछले प्रश्न पत्रों की मदद से आत्मविश्वास बढ़ाया। परीक्षा समाप्त होने के बाद परिवार के साथ कुतुबमीनार घुमने गईं, जहाँ वे खूब मस्ती और हंसी में डूबी रहीं। उसी समय विशाल ने छाया को सनराइज होटल बुलाया और उसे प्यार का इज़हार किया, लेकिन छाया ने अपनी भावनाओं को संभालते हुए दूरी बनाई। अंत में वह घर लौटकर खुद को संभालती है और खाना खाने बैठती है। अब आगे )
जाॅब या जाल
छाया खाना खा रही थी, तभी अचानक ही उसके फोन में एक मैसेज आया। जिसमें लिखा था -"CONGRATULATIONS! आपको हमारी कंपनी में पार्ट टाइमर के रूप में नियुक्त किया जाता है। आने वाले शनिवार को यानि कल आपका इंटरव्यू होगा। बाकी जानकारी आपको मेल में दिया जाएगा।" यह मैसेज पढ़ते ही वह हैरान हो गई क्योंकि उस घटना के बाद छाया ने कभी किसी नौकरी के लिए एप्लाई ही नहीं किया था। यह बात उसने शाम को घरवालों को बताई।
घरवालों ने जाने से मना कर दिया। लेकिन छाया ने जाने की जिद की। केशव ने उसे डांटते हुए कहा - "क्या बोल रही है? दिमाग तो ठिकाने में है। पिछले बार उन गुंडों को पीट दिया तो क्या सोच रही है? हर बार ऐसा कर सकती है। कहीं नहीं जाना। समझी।"
सारे घरवाले केशव की बात से सहमत थे। तभी पीछे से एक आवाज आई - "मेरे होते हुए छाया को कोई हाथ नहीं लगा सकता।"
सब ने आवाज की ओर देखा तो वह इंस्पेक्टर ठाकुर था। विपिन ने गुस्से से कहा- "बदमाशों को पकड़ने के लिए हमारी बेटी को फंसाना जरूरी है?" इस पर इंस्पेक्टर कुछ कह पाते, नम्रता ने कहा -"भैया जी! हमारी बेटी पर किसी की नजर है। वो कौन है इसका पता लगाने के लिए छाया को बाहर निकलना ही पड़ेगा।" केशव बीच में ही बोला - "पता तो चले। वो लोग कौन हैं उनके पूरे खानदान को नहीं मिटा दिया तो..." इस पर इंस्पेक्टर ठाकुर ने कहा "आप लोग चिंता न करें। मेरे होते हुए आपकी बेटी को कोई हाथ भी नहीं लगा पाएगा। ये वादा है मेरा।"
छाया की हिम्मत और इंस्पेक्टर ठाकुर के वचन के बाद भी सब परेशान थे पर धीरे-धीरे सब मान गए। केशव ने कहा- "मैं भी तेरे साथ चलूंगा।" छाया ने हां में सिर हिला दिया।
शाम को छाया के जीमेल अकाउंट पर मैसेज आया। उसको खोलकर देखा तो सिंघानिया इंडस्ट्रीज से उसे मैसेज आया था। नीचे आफिस का भी एड्रेस था। छाया ने यह एड्रेस केशव भैया और इंस्पेक्टर ठाकुर दोनों को मेल कर दिया। सब तैयार थे।
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सुबह होते ही छाया तैयार हो गई और केशव भैया के बाइक में बैठ गई। घर में सब बहुत ज्यादा घबराए हुए थे। 30-35 मिनट बाद वह आफिस पहुंच गई।
रिसेप्शन में उसने आफर लेटर दिखाया। रिसेप्शनिस्ट जोकि एक आदमी था, उसने उसे थोड़ी देर रूकने के लिए कहा। वह ओके बोलकर पास के सोफे पर बैठ गई। वहां पर भी लोग नहीं दिख रहे थे।
पर इस बार छाया सतर्क थी। वह अपने पल पल की खबर इंस्पेक्टर ठाकुर को दे रही थी। अचानक ही वह रिसेप्शनिस्ट ने उसे अंदर जाने का इशारा किया। वह थैंक्यू कहकर केबिन के अंदर जाने लगी, रिसेप्शनिस्ट ने उसे मोबाइल बाहर सबमिट करने को कहा। इससे छाया का शक और बढ़ गया।
छाया मुस्कुराई और अपना सेलफोन उस आदमी के हाथ में रख दिया। उस आदमी ने फोन को अपने सामने वाले टेबल पर रख दिया। इस बार छाया का मैसेज आना बंद हो गया।
केशव और इंस्पेक्टर ठाकुर अलर्ट हो गए। दोनों भागकर आफिस के अंदर चले गए। उसने उस रिसेप्शनिस्ट को दबोच लिया, जिससे वह बहुत घबरा गया।
छाया अन्दर दाखिल होने के लिए दरवाजे को नोक करके कहा- "मे आई कम इन"। एक आदमी की आवाज आई -"यस, प्लीज़।" छाया रूम को ध्यान से देखा तो पूरा कमरा बहुत ज्यादा बड़ा था, जिसमें केबिन बना हुआ था। वह टेबल के उस तरफ लगभग 45-50 साल का आदमी बैठा हुआ था। उसने कहा- "मेरा नाम रणबीर झा है। आपको हमारी बाॅस ने चुना है इस नौकरी के लिए।"
छाया ने हैरानी से पूछा - "आपकी बाॅस"। तभी एक कुर्सी में एक औरत जिसकी पीठ छाया की तरफ थी। एकदम से मुड़ी और बोली - "हां। आपकी बाॅस ।"
छाया उसे देखकर चौंक गई और बोली - "आ... आप। वह औरत मुस्कुराते हुए बोली - "हां, मैं। कैसी हो?"
इतने में उसका रिसेप्शनिस्ट केबिन के अंदर की तरफ गिर गया।
इंस्पेक्टर ठाकुर और केशव उनके पीछे थे जिनकी आंखों में गुस्सा तैर रहा था।
1. छाया को अचानक सिंघानिया इंडस्ट्रीज से नौकरी का ऑफर कैसे और क्यों मिला, जबकि उसने कभी आवेदन ही नहीं किया था?
2. विशाल और माहेश्वरी सिंघानिया के बीच छाया की पहचान और उनका रिश्ता क्या रहस्य खोलता है?
3. क्या छाया इस नए ऑफिस में सुरक्षित रहेगी, और इंस्पेक्टर ठाकुर तथा केशव के अलर्ट रहने के बावजूद उसे कोई खतरा होगा?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए "छाया प्यार की"