🌸 प्यार की माया 🌸
प्रस्तावना
प्यार... एक ऐसा एहसास है जो इंसान को बदल देता है। कभी यह किसी को जीवन दे देता है तो कभी सब कुछ छीन भी लेता है। यही तो है प्यार की माया, जिसे समझना आसान नहीं।
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कॉलेज की शुरुआत
राघव शहर के नामी कॉलेज में एडमिशन लेने आया था। एक छोटे शहर से आया यह सीधा-सादा लड़का सपनों से भरा हुआ था। पहली ही क्लास में उसकी नज़र जिस लड़की पर पड़ी, वो थी माया।
माया कॉलेज की सबसे खूबसूरत, स्मार्ट और आत्मविश्वासी लड़की थी। उसकी मुस्कान से जैसे पूरा क्लासरूम जगमगा उठता था। राघव की धड़कनें पहली ही नज़र में तेज़ हो गईं।
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अनजाना आकर्षण
धीरे-धीरे राघव और माया की दोस्ती होने लगी। लाइब्रेरी में पढ़ाई करना, कैंटीन में कॉफी पीना, और ग्रुप प्रोजेक्ट्स करना—इन सबके बीच दोनों के बीच एक अजीब-सा रिश्ता पनपने लगा।
राघव की सादगी और सच्चाई ने माया को आकर्षित किया। वहीं माया की नटखट बातें और आत्मविश्वास राघव को अपनी ओर खींच रहा था।
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पहली बार इज़हार
एक दिन कॉलेज फेस्ट के दौरान राघव ने हिम्मत जुटाई। उसने माया से कहा—
"माया, शायद तुम्हें पता नहीं, लेकिन तुम्हारे बिना मेरी ज़िंदगी अधूरी है। मैं तुमसे... प्यार करता हूँ।"
माया कुछ पल चुप रही। फिर मुस्कुराई और बोली—
"राघव, तुम बहुत अच्छे हो। मुझे भी तुम्हारा साथ अच्छा लगता है। शायद यही प्यार है।"
उस दिन से दोनों एक-दूसरे के लिए सब कुछ बन गए।
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रिश्ते की गहराई
प्यार के दिन सुनहरे होते हैं। माया और राघव साथ घूमते, घंटों बातें करते और भविष्य के सपने देखते। राघव ने अपनी पढ़ाई और करियर का हर प्लान माया के साथ जोड़ लिया था।
पर माया के लिए यह रिश्ता प्यार से ज़्यादा एक खूबसूरत सफ़र था।
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सच्चाई का सामना
कॉलेज खत्म होने के बाद राघव ने माया से शादी की बात की। लेकिन माया ने साफ़ कहा—
"राघव, मैंने कभी शादी के बारे में नहीं सोचा। मैं अपने करियर और सपनों में व्यस्त हूँ। प्यार मेरे लिए बस एक खूबसूरत अहसास था, पर जिंदगी का मकसद नहीं।"
यह सुनकर राघव का दिल टूट गया। उसकी आँखों में आँसू थे।
"तो जो कुछ भी था... वो सब झूठ था?"
माया बोली—
"नहीं राघव, वो सब सच था। पर प्यार हमेशा मंज़िल तक पहुंचे, ये ज़रूरी नहीं। कभी-कभी प्यार सिर्फ एक याद बनकर रह जाता है।"
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जुदाई
माया अपने सपनों की तलाश में विदेश चली गई। राघव ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन माया का फैसला अटल था।
राघव ने कई दिनों तक खुद को संभाला नहीं। पर धीरे-धीरे उसे समझ आया कि शायद प्यार का असली मतलब ही यही है—
"किसी को पाने में नहीं, बल्कि उसकी खुशी में जीना।"
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सालों बाद
पाँच साल बाद, राघव एक सफल बिज़नेसमैन बन चुका था। उसने अपने संघर्ष को ताक़त बना लिया था। एक कॉन्फ्रेंस में उसकी मुलाकात अचानक माया से हुई।
माया वही थी, पर अब उसकी आँखों में सुकून नहीं था। उसने राघव को देखकर कहा—
"राघव, तुमने मुझे हमेशा सच्चा प्यार दिया... और मैंने उसे समझा ही नहीं। आज महसूस होता है कि ज़िंदगी में सब कुछ मिल सकता है, पर सच्चा रिश्ता नहीं।"
राघव मुस्कुराया और बोला—
"माया, प्यार की माया यही है। जब होता है तो समझ में नहीं आता, और जब समझ आता है... तब बहुत देर हो चुकी होती है।"
दोनों की आँखें नम थीं। रिश्ता अब भी था, पर उसे कोई नाम देना मुमकिन नहीं था।
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कहानी का संदेश
प्यार की माया यही है कि यह हमें तोड़कर भी मजबूत बना देता है। यह सिखा जाता है कि सच्चा प्यार हमेशा अपनेपन से जिया जाता है, भले ही वो अधूरा ही क्यों न रह जाए।
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