🌸 दिल इबादत 🌸
दिल की धड़कनों में जब कोई अजनबी दस्तक देता है, तो ज़िंदगी का हर सफर बदल जाता है। कभी-कभी प्यार हमारी सोच से परे, हमारी इबादत बन जाता है। यही कहानी है आरव और काव्या की…
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पहला पड़ाव – मुलाक़ात
आरव, दिल्ली यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट था। उसका सपना था बड़ा लेखक बनने का। वह अक्सर कॉलेज की लाइब्रेरी में किताबों के बीच खोया रहता। उसे दुनिया की चमक-दमक से ज्यादा सुकून पसंद था।
एक दिन लाइब्रेरी में उसने पहली बार काव्या को देखा। लंबे बाल, किताबों में डूबी हुई, चेहरा मानो किसी मासूम ख्वाब सा। आरव की निगाहें उस पर टिक गईं। उसे समझ नहीं आया कि क्यूँ उसके दिल की धड़कन अचानक तेज़ हो गई।
काव्या को भी एहसास हुआ कि कोई उसे देख रहा है। उसने हल्की सी मुस्कान दी और अपनी किताब में खो गई। उस मुस्कान ने आरव की ज़िंदगी बदल दी।
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दूसरा पड़ाव – दोस्ती
धीरे-धीरे दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई।
काव्या को कविताएं पसंद थीं और आरव शायरी का दीवाना था। दोनों अक्सर लाइब्रेरी के कोने में बैठकर अपनी-अपनी बातें शेयर करते।
काव्या ने एक दिन मज़ाक में कहा –
“तुम्हारी नज़रें बहुत खतरनाक हैं, हमेशा गहरी बातें कह जाती हैं।”
आरव हँस पड़ा –
“और तुम्हारी मुस्कान मेरी नज़रों को कैद कर लेती है।”
दोस्ती धीरे-धीरे गहरी होने लगी।
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तीसरा पड़ाव – इज़हार
एक शाम कॉलेज कैंपस की बेंच पर बैठकर आरव ने अपनी डायरी खोली और बोला –
“काव्या, मैंने तुम्हारे लिए कुछ लिखा है।”
काव्या उत्सुकता से बोली – “पढ़ाओ मुझे।”
आरव ने पढ़ना शुरू किया –
“तेरी हर अदा मेरी तन्हाई का सहारा बन गई,
तेरी हर मुस्कान मेरी दुआओं की वजह बन गई।
तू समझे या ना समझे, पर काव्या…
मेरे लिए तू मेरी इबादत बन गई।”
काव्या की आँखों में आँसू आ गए। उसने धीरे से कहा –
“आरव, मुझे लगा था ये सिर्फ मेरी फीलिंग्स हैं… लेकिन अब समझ आया, ये हमारी किस्मत है।”
दोनों ने पहली बार एक-दूसरे का हाथ थामा।
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चौथा पड़ाव – मुश्किलें
प्यार जितना खूबसूरत होता है, उतनी ही मुश्किलें लाता है।
काव्या के घर वाले पुराने ख्यालों वाले थे। उन्होंने पहले ही उसके लिए रिश्ता तय कर रखा था। जब काव्या ने आरव के बारे में बताया तो घरवालों ने सख़्त इंकार कर दिया।
“काव्या, ये बचपन का खेल नहीं है। तुम्हारी शादी हम वहीं करेंगे जहां हमारी इज़्ज़त बनी रहे।”
काव्या टूट गई। वह आरव से बिछड़ने की सोच भी नहीं सकती थी।
उसने आरव से कहा –
“क्या हमारा प्यार सिर्फ हमारे दिलों तक सीमित रह जाएगा?”
आरव ने उसका हाथ पकड़कर कहा –
“नहीं, अगर दिल सच्चा हो तो दुआएँ खुदा तक पहुँचती हैं। हमारा प्यार हमारी सबसे बड़ी इबादत है। मैं तुम्हें खोने नहीं दूँगा।”
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पाँचवाँ पड़ाव – संघर्ष
आरव ने हिम्मत नहीं हारी। वह काव्या के घरवालों से मिला। उसने साफ शब्दों में कहा –
“मैं अमीर नहीं हूँ, लेकिन आपकी बेटी को खुश रख सकता हूँ। मेरा प्यार उसके लिए किसी दौलत से कम नहीं।”
शुरुआत में घरवाले नाराज़ हुए, लेकिन आरव की सच्चाई और काव्या की जिद ने धीरे-धीरे उनका दिल बदल दिया।
काव्या की माँ ने आखिरकार कहा –
“अगर तुम्हारा प्यार इतना गहरा है तो शायद यही तुम्हारी किस्मत है।”
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आख़िरी पड़ाव – इबादत का मुकाम
कुछ महीनों बाद आरव और काव्या का निकाह/शादी हुई।
स्टेज पर बैठे आरव ने मुस्कुराते हुए कहा –
“काव्या, आज मेरा सपना पूरा हुआ। तुम अब मेरी नहीं, मेरी इबादत हो।”
काव्या ने हल्की मुस्कान के साथ कहा –
“और तुम्हारा प्यार मेरी सबसे प्यारी दुआ है।”
दोनों की आँखों से खुशी के आँसू बह रहे थे।
प्यार ने फिर साबित किया कि जब दिल सच्चा हो, तो वो इबादत बन जाता है।
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✨ अंत ✨
प्यार कोई खेल नहीं, बल्कि रूह का रिश्ता है। जब दिल सच्चे होते हैं तो रास्ते खुद खुल जाते हैं।
आरव और काव्या की तरह अगर आप भी सच्चे दिल से किसी से मोहब्बत करते हैं, तो यकीन मानि
ए… वो मोहब्बत आपकी सबसे बड़ी इबादत है।
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