बहुत अच्छा 🙏 अब हम शुरू करते हैं आपकी नई रहस्यमयी और रोमांचक सीरीज़ –
🐅 इच्छाधारी शेरनी का बदला – भाग 1
✍️ लेखक – विजय शर्मा एरी, अजनाला अमृतसर
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प्रस्तावना
रात का सन्नाटा था। पूरा जंगल ठंडी हवा और झींगुरों की आवाज़ से गूँज रहा था। गहरी अंधेरी घाटी के बीचोंबीच एक गुफा में जंगल का राजा – एक शक्तिशाली इच्छाधारी शेर – अपने परिवार के साथ रहता था। उसकी आँखों में आग थी और उसके दहाड़ने की आवाज़ सुनकर कई किलोमीटर दूर तक लोग काँप उठते थे।
गाँववालों का विश्वास था कि यह साधारण शेर नहीं, बल्कि इच्छाधारी शेर है – यानी वह इंसान से शेर और शेर से इंसान का रूप ले सकता है। उसका जंगल पर शासन था और कोई शिकारी उसकी ओर आँख उठाकर भी नहीं देखता था।
लेकिन लालच, सत्ता और धन की भूख इंसान को अंधा बना देती है। गाँव के बाहर रहने वाले पंद्रह शिकारी, जिनके पास बड़े-बड़े हथियार और चालाक दिमाग थे, उन्होंने इस शेर का शिकार करने की ठानी। उन्हें लगता था कि अगर वे इच्छाधारी शेर की खाल और उसका दिल बेच दें तो करोड़ों की दौलत कमा सकते हैं।
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षड्यंत्र की शुरुआत
एक अँधेरी रात, शिकारी सरदार रघुनाथ अपने दल को इकट्ठा करता है। उसके साथ हर दिशा से आए 14 और शिकारी थे – कोई बंदूक का माहिर, कोई जाल बुनने वाला, कोई जानवरों की आवाज़ निकालने में निपुण।
रघुनाथ बोला –
“भाइयो, यह जंगल का शेर अब बूढ़ा हो रहा है। लेकिन उसकी ताक़त अब भी हमारे लिए खतरा है। अगर आज रात हम इसे मार गिराएँ तो उसकी खाल और अंग बेचकर हम सब अमीर हो जाएँगे। और याद रखो – यह साधारण शेर नहीं, इच्छाधारी है। इसे मारने पर हमें केवल दौलत ही नहीं, अलौकिक शक्ति भी मिल सकती है।”
शिकारियों ने सहमति में सिर हिलाया। उनके दिलों में डर तो था, लेकिन लालच ने डर पर पर्दा डाल दिया था।
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जंगल का काला सफ़र
पंद्रहों शिकारी मशालें लिए घने जंगल में घुस गए। पेड़ों के बीच से चाँद की हल्की रोशनी छन-छनकर जमीन पर पड़ रही थी। हर पत्ता खड़खड़ाने की आवाज़, हर झाड़ी हिलने पर उनका दिल दहल जाता।
भीतर ही भीतर, जंगल की गुफा में शेरनी अपने दो नन्हे बच्चों को दूध पिला रही थी। वह अपने जीवनसाथी शेर की ओर देखकर बोली –
“आज रात जंगल बहुत बेचैन लग रहा है। मुझे डर है कि कहीं कोई अनहोनी न हो।”
शेर गरजा –
“डर मत, यह जंगल हमारा है। मैं हूँ तो कोई शिकारी यहाँ कदम भी नहीं रख सकता।”
लेकिन नियति कुछ और ही तय कर चुकी थी।
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निर्णायक टकराव
मध्यरात्रि होते-होते शिकारी उस गुफा तक पहुँच गए। उन्होंने चारों ओर से जाल बिछा दिया और बंदूकों के मुँह गुफा की ओर कर दिए।
अचानक गुफा से भयंकर दहाड़ गूँजी। इच्छाधारी शेर बाहर निकला। उसकी आँखों में आग जल रही थी और उसके विशाल शरीर की चमक देखकर शिकारी काँप उठे।
शेर ने दहाड़ते हुए कहा –
“अरे इंसानो! तुम मेरे जंगल में मौत की तलाश में आए हो? तुम सोचते हो कि मुझे मार सकोगे? यह भूल है।”
कुछ क्षण के लिए तो शिकारी काँप गए, लेकिन रघुनाथ ने इशारा किया।
“फायर…!!”
एक साथ कई गोलियाँ चलीं। गोलियों की बौछार से शेर घायल हो गया, लेकिन फिर भी उसने दो शिकारियों को एक ही झटके में चीर डाला। बाकी शिकारी भागने लगे।
रघुनाथ चिल्लाया –
“डरो मत! सब तरफ से घेर लो!”
धीरे-धीरे शेर की ताक़त कम होती गई। उसके शरीर से खून बह रहा था। अंततः 15 शिकारी मिलकर उस पर टूट पड़े। किसी ने भाले से, किसी ने बंदूक से, किसी ने तलवार से वार किया।
एक अंतिम दहाड़ के साथ इच्छाधारी शेर ज़मीन पर गिर पड़ा। उसकी आँखों से आँसू बह निकले। मरने से पहले उसने अपनी शेरनी और बच्चों की ओर देखा… और फिर उसका विशाल शरीर निश्चल हो गया।
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शेरनी की शपथ
गुफा के भीतर छिपी शेरनी ने यह दृश्य अपनी आँखों से देखा। उसकी आँखें खून से लाल हो गईं। उसके दो नन्हे शावक अपनी माँ से लिपट गए।
शेरनी ने करुण स्वर में दहाड़ लगाई –
“हे निर्दयी शिकारियों! तुमने मेरे जीवनसाथी की हत्या की है। मैं कसम खाती हूँ… एक-एक शिकारी की सांस गिनकर छीन लूँगी। चाहे दिन हो या रात, गाँव हो या शहर – मैं तुम सबका पीछा करूँगी। जब तक पंद्रहों शिकारी मेरी आँखों के सामने तड़प-तड़प कर न मर जाएँगे, तब तक मेरी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी।”
उसकी दहाड़ से पूरा जंगल काँप उठा। पेड़-पौधे, जानवर, पक्षी – सब सन्नाटे में डूब गए। हवा भी मानो थम गई।
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अंत का संकेत
शिकारियों ने शेर की लाश उठाई और जयकारा लगाते हुए गाँव की ओर लौटना शुरू किया। उन्हें लगता था कि अब उनका डर खत्म हो गया, अब वे अमीर बन जाएँगे।
लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि जिस शेर को उन्होंने मारा है, उसकी आत्मा अब शेरनी के हृदय में जीवित है। उसकी अग्नि, उसका रोष – सब शेरनी की शक्ति बन चुका है।
जंगल की गुफा में शेरनी ने अपनी आँखें आसमान की ओर उठाईं और कहा –
“हे महाकाल! मेरी शक्ति को आशीर्वाद दो। अब शुरू होगा… घायल शेरनी का बदला।”
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📖 क्रमशः… (भाग 2 में – पहला शिकारी बनेगा शेरनी के प्रतिशोध का शिकार)
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