हमेशा की तरह झग्गु पत्रकार आज भी जब लॉन मे बैठ कर चाय चुस्कीयां लें रहें थे लेकिन उनकी नजरें दूर कही और टिकी हुई थी कुछ देर देखने के बाद झग्गु जी ने सुबह 9:30 बजे ब्रेकिंग का FB न्यूज़ और व्हाट्सप्प ग्रुप पर तड़का मारा....
“सनसनीखेज़ खुलासा! सेक्टर C की शादीशुदा महिला (दो बच्चों की माँ) और मोहल्ले के एक लम्पट युवा में गुप्त मोहब्बत पनप रही है!
पार्क की बेंच गवाह बनी, मुस्कुराहटों की गूंज सुनाई दी…
क्या यह मोहब्बत है या मोहब्बत का ड्रामा?
जुड़े रहिए FB न्यूज़ पर!”
झग्गु जी ब्रेकिंग मार कर दिनचर्या के लिए उठ कर घर मे चले गए...
कॉलोनी वालों के फोन ब्रेकिंग न्यूज़ से घन घना उठे ब्रेकिंग पढ़ते ही चाय से ज्यादा गर्म चर्चा होने लगी। दूधवालों, सब्ज़ीवालों तक को पता चल गया—आज कॉलोनी में कुछ “बड़ा” हुआ है।
नैतिकता की देवी-देवियाँ A ब्लॉक की महिलाएँ सबसे पहले इकट्ठी हुईं।
सीमा आंटी:
"दो बच्चों की माँ अगर मोहब्बत करेगी तो बच्चों को क्या मुँह दिखाएगी? पति बेचारा दफ्तर में जान तोड़ रहा है और ये पार्क में गुलाब ले रही है।"
सुधा आंटी:
"ये सब मोबाइल और फेसबुक की देन है बहनों। पहले लोग घर सँभालते थे, अब टाइमलाइन सँभालते हैं।"
मिश्रा जी (रिटायर्ड बाबू):
"देखिए, समाज का ढांचा तबाह हो रहा है। झग्गू जी ने सही काम किया खबर खोलकर। ऐसे मामलों पर नज़र रखना ज़रूरी है।"
ब्लॉक A की चर्चा का सर्वसम्मति से निष्कर्ष ये निकला कि “महिला दोषी है, और लम्पट युवा तो घोर अपराधी है।”लो सहाब A ब्लॉक के लोगों का तो निष्कर्ष व्हाट्सप्प ग्रुप में भी तेरने लगा...
अब मैंने B ब्लॉग की तरफ नज़रे घुमाई तो जाना कि यहां तो अंधे समर्थक और पब्लिक कोर्ट पर विश्वास करने वालों का बड़ा ग्रुप हैं जो हमेशा हर बात पर हंगामा पसंद करते हैं।
राकेश (किराना वाले):- "भाई, मोहब्बत कोई गुनाह नहीं। अगर औरत को दिलचस्पी है, तो उसका हक है।"
वर्मा जी (हर बात पर बहस करने वाले):
"हक? हक की बात मत करो। शादी कर ली, बच्चे पैदा कर लिए और अब मोहब्बत कर रही है? ये तो सरासर धोखा है।"
संध्या आंटी (हंसते हुए):- "मुझे तो बस ये जानना है कि गुलाब वाला सच था या झग्गु जी ने अपने मोबाइल से एडिट किया?"
वर्मा जी- आज 9:30 की खबर हैं इसमें एडिट जैसा कुछ हैं ही नहीं... झग्गु जी एक विश्वास पात्र पत्रकार हैं वो ऐसा कभी नहीं कर सकते हैं...
बात इतनी बढ़ी के B ब्लॉक के लोग दो हिस्सों में बंट गए आधे बोले “मोहब्बत का अधिकार है”, आधे बोले “धोखा है धोखा"...
कांड C ब्लॉक में हुआ था, इसलिए यहाँ माहौल सबसे गरम था।
गुप्ता जी (हर मामले के प्रत्यक्ष गवाह)
"मैंने अपनी आँखों से दोनों को पार्क की बेंच पर बैठे देखा। उन दोनों के हांथो में कॉफी कप का भी था, और दोनों के चेहरे पर हँसी भी थी।"
तभी C ब्लॉक की एक महिला बीच में ही बोल पड़ी- "अरे वो तो कॉफी नहीं, कोल्ड ड्रिंक थी। मैंने खुद देखा। झग्गू जी ने बढ़ा-चढ़ाकर लिखा है।"
वही पास में ही कुछ युवा झुण्ड बना कर बतिया रहें थे- "सच्चाई ये है कि वो महिला बोर हो चुकी है। पति ऑफिस में, बच्चे स्कूल में… दिन भर अकेलापन। और तभी तो वो लम्पट आ गया।"
हाँ बिलकुल इस मामले की जाँच होनी चाहिए आखिर हमारी कॉलोनी की इज्जत का सवाल हैं..
हाँ हाँ बिलकुल जाँच होनी चाहिए
तो लो जनाब C ब्लॉक के लोगों ने सच्चा कांड घोषित करते हुए“जाँच समिति” बनाने की माँग कर दी...
वही D ब्लॉक– यहां सबसे ज्यादा जजमेंटल लोग रहते हैं हर समस्या का तुरंत समाधान करके चेपटर क्लोज कर के शांति चाहते हैं
रमेश बाबू (पिछले मुस्कुराहट कांड के शिकार):-"देखो भाई, मोहतरमा ने मुस्कुराया हो या गुलाब लिया हो, इसमें मैं नहीं हूँ। इस बार मुझे मत घसीटना!"
महिलाएँ:- "हमारे बच्चों पर बुरा असर पड़ेगा। अगर ऐसी औरतें मोहब्बत करेंगी, तो हमारी बहुओं का क्या होगा?"
एक बुजुर्ग:- "लम्पट लड़के को निकालो मोहल्ले से। शादीशुदा औरत को फँसाना गुनाह है।"
1 महिला- कॉलोनी में आजकल आवारागर्दी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई हैं हमारी भी जवान बेटियां हैं
दूसरे बुजुर्ग- आजकल लड़का हो या लड़की कोई कम नहीं हैं सब लफगे हुए जा रहें हैं.. इस केस में लम्पटलड़का तो अपराधी हैं ही वो औरत भी अपराधी हैं...
हां बिलकुल... ऐसे लोगो को तो कॉलोनी से बहार कर देना ही ठीक हैं..
तो साहेबान ड ब्लॉक में दोनों को कॉलोनी से बहार करने का फरमान जारी हो गया.
अब E ब्लॉक की बात करें तो यहां अधिकतर आधुनिक विचार वाले लोग हैं जो
हमेशा खुद को सबसे“ओपन-माइंडेड” बताते है।
नीलम (टीचर):-"भाई, मोहब्बत की कोई उम्र नहीं। अगर दिल धड़कता है तो मोहब्बत हो ही जाती है।"
युवा इंजीनियर:- "औरत अगर खुश नहीं है तो उसका अधिकार है किसी और को चुनना।"
त्रिपाठी जी-(विरोधी स्वर में)-"ये सब किताबों में अच्छा लगता है। असलियत में दो बच्चों की माँ अगर ऐसा करेगी तो समाज ठहाके लगाएगा कुछ तो शर्म होनी चाहिए "
नीलम-जमाना चाँद पर पहुंच गया और त्रिपाठी जी यही ज़मीन पर रेंग रहें हैं
त्रिपाठी जी- तो आप यहां क्या कर रही हैं आपको भी चाँद पर होना था..
नीलम शहम सी जाती हैं.
इंजिनियर- भई मैं तो कहूंगा“लव इज़ लव” और कुछ नहीं
त्रिपाठी जी पैर पटक कर चले जाते हैं.. E ब्लॉक में निष्कर्ष बीच में ही रहा...
अब जब मैंने F ब्लॉक की टोह ली यहां के लोग मस्त-मौला और मीमबाज़ यहां के लोग हमेशा हंसी-मज़ाक में रहता है।
बेरोज़गार युवक:- "भाई, मोहब्बत का फायदा ये है कि हमें मीम्स बनाने का मौका मिल गया।"
महिलाएँ (हंसते हुए):- "हमें तो कोई मोहब्बत करे न करे, बस झग्गू जी की ब्रेकिंग से टाइमपास अच्छा हो जाता है।"
एक बालिग बच्चा- "अगर ये मोहब्बत कांड ऐसा ही चलता रहा तो मुझे निबंध का अच्छा टॉपिक मिल जाएगा।”
यहां का निष्कर्ष F ब्लॉक ने केस को मनोरंजन की तरह लिया और बाक़ायदा “मीम प्रतियोगिता” शुरू कर दी।
शाम को कॉलोनी पंचायत पार्क में हुई सारे ब्लॉकों के लोग पार्क में जमा हुए। किसी ने कहा “महिला दोषी है”कोई बोला,“युवा बदमाश है”तो कुछ बोले “दोनों की निजी ज़िंदगी है।”
सबकी बातें सुन कर शर्मा जी (पंचायत के मुखिया): बोले- "मित्रों, मोहब्बत का मामला बड़ा नाज़ुक है। लेकिन इसमें कॉलोनी की इज़्ज़त भी जुड़ी है। हमें तय करना होगा कि झग्गु जी की न्यूज़ सच है या फिर सनसनी।”
गुप्ता जी:- "झग्गू जी ने अगर मसाला मिलाया तो गलती उनकी है। लेकिन अगर न्यूज़ सच है तो ये एक शादीशुदा जिंदगी का पतन है।”
झग्गु जी सब की बातों को सुनकर मुस्कुराये जा रहें थे और मन ही मन सोच रहें थे-"भाई, मेरी ब्रेकिंग से कॉलोनी हिल गई पूरी खबर में तो भूचाल आ जायेगा इसका मतलब मेरी पत्रकारिता सफल है...और झग्गु जी मन ही मन सोचते मुस्कुराते पंचायत से धीरे से खिसक लिए.
क्रमशः--