🌸 यादों में बसाया तुमको 🌸
रात की खामोशी में जब भी हवा खिड़की से टकराती है, तो उसकी ठंडी सरसराहट मेरे दिल के पुराने ज़ख्मों को छू जाती है। मैं सोचता हूँ, ज़िंदगी में सबसे खूबसूरत एहसास कौन-सा होता है? शायद प्यार... या शायद किसी का यादों में हमेशा के लिए बस जाना। मेरी कहानी भी कुछ ऐसी ही है—जहाँ एक लड़की ने मुझे सिर्फ़ अपनी मौजूदगी से ही हमेशा के लिए बदल दिया।
कॉलेज का पहला दिन
वो दिन मुझे आज भी याद है। कॉलेज का पहला दिन था। सबके चेहरे पर घबराहट, नएपन का डर और दोस्त बनाने की जल्दी साफ दिखाई दे रही थी। मैं क्लास के आख़िरी बेंच पर जाकर बैठ गया। तभी सामने से एक लड़की आई। सफ़ेद सूट, बालों की चोटी और आँखों में मासूमियत। उसने पहली बार में ही सबका ध्यान खींच लिया।
उसका नाम आस्था था। क्लास की सबसे होशियार और सबसे चुप रहने वाली लड़की। उसकी मुस्कान में अजीब-सा सुकून था। मैं अक्सर उसे दूर से देखता, लेकिन कभी हिम्मत नहीं जुटा पाया कि जाकर बात कर सकूँ।
दोस्ती की शुरुआत
इत्तेफ़ाक़ देखिए, एक दिन प्रोजेक्ट के लिए हमें ग्रुप में बाँटा गया और मैं उसी के साथ था। पहली बार उसके सामने बैठा तो दिल की धड़कन जैसे तेज़ हो गई।
“तुम्हारा नाम क्या है?” उसने बड़ी सहजता से पूछा।
“आ…आ… अभय,” मैंने हकलाते हुए जवाब दिया।
वो हल्का सा मुस्कुरा दी।
“अच्छा नाम है।”
उस दिन से हमारी दोस्ती शुरू हुई। धीरे-धीरे बातें बढ़ीं, हँसी-मज़ाक बढ़ा, और मुझे लगने लगा कि मेरी दुनिया बस उसके इर्द-गिर्द ही घूमने लगी है।
बदलते जज़्बात
कहते हैं न, दोस्ती जब गहराई में उतरती है तो उसका नाम प्यार हो जाता है। मेरे साथ भी यही हुआ। मैं उसे सिर्फ़ देख कर खुश हो जाता था। उसकी हँसी मेरी कमजोरी थी और उसका दुख मेरा अपना दर्द।
एक शाम कॉलेज से लौटते वक्त हम दोनों कैंटीन में बैठे थे। उसने अचानक पूछा—
“अभय, तुम्हें कभी किसी से सच्चा प्यार हुआ है?”
मेरे दिल की धड़कन थम-सी गई। मैं उसे देखता ही रह गया। पर हिम्मत नहीं थी कि कह दूँ, “हाँ… तुमसे।”
मैंने सिर्फ़ मुस्कुराकर कहा—
“प्यार… अभी तक नहीं। पर शायद जल्दी ही हो जाएगा।”
वो हँस दी। लेकिन उसकी आँखों में जैसे कुछ छिपा हुआ था।
एक अनकहा सच
दिन गुज़रते गए। हमारा रिश्ता और गहरा होता गया। लेकिन उसके साथ-साथ मुझे यह भी महसूस हुआ कि वो मुझसे कुछ छुपाती है। कई बार वो अचानक उदास हो जाती, मोबाइल पर किसी की कॉल आते ही उसका चेहरा फीका पड़ जाता।
मैंने कई बार पूछा, पर उसने हमेशा टाल दिया।
“कुछ नहीं अभय… सब ठीक है।”
लेकिन मैं समझ गया था कि सब ठीक नहीं है।
सच का सामना
एक दिन उसने मुझे बुलाया। पार्क की वही बेंच थी जहाँ हम अक्सर बैठा करते थे। उसकी आँखों में आँसू थे।
“अभय… मुझे तुमसे कुछ कहना है।”
मैं चुपचाप सुनता रहा।
“मैं… पहले से ही किसी से रिश्ता निभा रही हूँ। मेरे पापा ने मेरी शादी बचपन में ही तय कर दी थी। मैं चाहकर भी इससे भाग नहीं सकती।”
उसकी बात सुनकर जैसे ज़मीन मेरे पैरों तले से खिसक गई। दिल टूटा, साँसें भारी हो गईं। मैं बस इतना ही कह पाया—
“तो हमारी दोस्ती… ये सब?”
वो रो पड़ी।
“अभय, तुम मेरे लिए बहुत ख़ास हो। शायद मेरी ज़िंदगी की सबसे प्यारी याद। पर मैं चाहकर भी तुम्हारी नहीं हो सकती।”
बिछड़ना
उस दिन के बाद हमारी बातें कम हो गईं। वो धीरे-धीरे मुझसे दूर होने लगी। आख़िरकार कॉलेज ख़त्म हुआ और ज़िंदगी ने हमें अलग रास्तों पर धकेल दिया।
आस्था किसी और की दुल्हन बन गई। और मैं… मैं उसके बिना भी जीना सीख गया। पर उसकी यादें? वो आज भी मेरे दिल की गहराइयों में ज़िंदा हैं।
आज भी…
कभी-कभी जब अकेला होता हूँ तो उसकी तस्वीर आँखों के सामने आ जाती है। उसकी हँसी, उसकी बातें, उसकी मासूमियत—सब कुछ अब भी वैसे ही ताज़ा है।
शायद कुछ रिश्ते मुकम्मल नहीं होते। पर अधूरी कहानियाँ ही सबसे ज़्यादा याद रहती हैं। आस्था मेरी ज़िंदगी का वो नाम है जिसे मैंने हमेशा अपनी यादों में बसाकर रखा है।
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✨ अंत ✨
दोस्तों, यह थी मेरी कहानी—
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यादों में बसाया तुमको 🌸
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