अटलांटिक महासागर का एक इलाका है जो बरसों से रहस्य और डर का दूसरा नाम बना हुआ है। इसका त्रिकोण फ्लोरिडा, बरमूडा और प्यूर्टो रिको को मिलाकर बनता है, और लोग इसे बरमूडा ट्रायंगल कहते हैं। यह समुद्र का वो हिस्सा है जहाँ दर्जनों जहाज़ और कई विमान अचानक गायब हो गए, बिना कोई सुराग छोड़े।
1945 की ठंडी शाम थी। अमेरिकी नेवी के पाँच बमवर्षक विमान, जिन्हें फ्लाइट 19 कहा जाता था, प्रशिक्षण मिशन पर निकले। इन विमानों में युवा पायलट थे, जो अपने रूट पर उड़ रहे थे। मौसम सामान्य था, आकाश साफ था। लेकिन थोड़ी देर बाद रेडियो पर अजीब संदेश आने लगे। एक पायलट ने कहा, “कंपास काम नहीं कर रहा… हमें समझ नहीं आ रहा कि हम कहाँ हैं।” दूसरे पायलट ने घबराई आवाज़ में कहा, “समुद्र अलग-सा दिख रहा है… हमें कुछ समझ नहीं आ रहा।” उसके बाद अचानक उनके सारे रेडियो सिग्नल गायब हो गए।
नेवी ने तुरंत एक बड़ा बचाव अभियान शुरू किया। एक और विमान, जिसमें 13 लोग थे, उन लापता विमानों की तलाश में गया। लेकिन कुछ ही समय बाद वो विमान भी बिना कोई संदेश भेजे गायब हो गया। उस दिन कुल मिलाकर 6 विमान और 27 लोग इस रहस्यमयी इलाके में खो गए। बाद में महीनों तक खोजबीन की गई, लेकिन न किसी विमान का मलबा मिला, न एक भी शव। सब ऐसे गायब हो गए जैसे समुद्र ने उन्हें निगल लिया हो।
यह घटना अकेली नहीं थी। सालों से बरमूडा ट्रायंगल से इसी तरह की कहानियाँ आती रही हैं। किसी जहाज़ का अचानक रास्ता भटक जाना, कंपास गोल-गोल घूमने लगना, रेडियो का बंद हो जाना, या अचानक मौसम का बिगड़ जाना। कुछ नाविकों ने तो यह तक कहा कि उन्हें आकाश में चमकती रोशनियाँ और अजीब-सी धुंध दिखाई दी।
1950 के दशक में एक यात्री विमान, स्टार टाइगर, अज़ोरेस से बरमूडा जाते समय अचानक रडार से गायब हो गया। विमान में 31 लोग थे। कोई SOS संदेश नहीं, कोई खराबी का संकेत नहीं—बस अचानक हवा में से गायब। महीनों खोजने के बाद भी उसका एक टुकड़ा तक नहीं मिला। कुछ साल बाद ठीक वैसा ही हुआ स्टार एरियल नामक विमान के साथ।
लोगों के मन में सवाल उठने लगे कि आखिर इस जगह में ऐसा क्या है जो इतने बड़े जहाज़ और विमान निगल लेता है। वैज्ञानिकों ने तरह-तरह की थ्योरियाँ दीं। कुछ ने कहा कि समुद्र की गहराइयों से मीथेन गैस निकलती है, जो पानी की सतह पर बुलबुले बना देती है और जहाज़ अचानक डूब जाते हैं। कुछ ने कहा कि यहाँ का चुंबकीय क्षेत्र इतना अजीब है कि कंपास काम करना बंद कर देता है और पायलट रास्ता भटक जाते हैं। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि अचानक बनने वाले तूफ़ान और ऊँची लहरें जहाज़ों को निगल सकती हैं।
लेकिन हर थ्योरी के बावजूद यह सवाल रह जाता है कि फिर मलबा क्यों नहीं मिला? क्यों इतने सारे विमान और जहाज़ बिना कोई निशान छोड़े गायब हो गए?
कुछ लोग इसे विज्ञान से नहीं, बल्कि अलौकिक शक्तियों से जोड़ते हैं। कई नाविकों का मानना है कि बरमूडा ट्रायंगल किसी दूसरी दुनिया का दरवाज़ा है—एक ऐसी दुनिया जहाँ समय और स्थान का नियम अलग है। कुछ का कहना है कि यहाँ एलियन का अड्डा है और वे जहाज़ों और विमानों को उठा ले जाते हैं। यहाँ तक कि कुछ ने यह भी कहा कि शायद यहाँ समुद्र के नीचे अटलांटिस नामक खोई हुई सभ्यता के अवशेष हैं, जिनकी ऊर्जा आधुनिक तकनीक को बाधित कर देती है।
1970 में एक पायलट ने दावा किया कि वह बरमूडा ट्रायंगल से उड़ रहा था जब उसका विमान घने बादलों और अजीब सी धुंध में घिर गया। अचानक उसके सारे उपकरण बंद हो गए। उसे लगा कि वह समय की किसी सुरंग में प्रवेश कर गया है। लेकिन कुछ मिनटों बाद वह अचानक साफ आसमान में निकल आया। बाद में उसने पाया कि उसका सफर, जो घंटों का होना चाहिए था, केवल मिनटों में पूरा हो गया।
बरमूडा ट्रायंगल का रहस्य आज भी बरकरार है। हालाँकि हाल के वर्षों में उतनी घटनाएँ नहीं हुईं, लेकिन यह इलाका अब भी डर और जिज्ञासा का प्रतीक है। वैज्ञानिक मानते हैं कि प्राकृतिक कारण हैं, लेकिन आम लोग अब भी इसे रहस्यमयी ताकतों से जोड़ते हैं।
सोचो, एक ऐसा इलाका जहाँ जहाज़ और विमान बिना कोई निशान छोड़े गायब हो जाएँ। क्या यह सिर्फ विज्ञान है या सचमुच कोई दूसरी ताकत काम कर रही है? इस सवाल का जवाब आज तक किसी के पास नहीं है। और शायद यही वजह है कि बरमूडा ट्रायंगल दुनिया की सबसे बड़ी पहेलियों में से एक बना हुआ है—एक ऐसा समुद्र जहाँ कदम रखते ही इंसान के दिल में डर और रोमांच दोनों पैदा हो जाते हैं।