The Forgotten Lighthouse in Hindi Horror Stories by Arkan books and stories PDF | The Forgotten Lighthouse

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The Forgotten Lighthouse


प्रकाशस्तंभ की यादें


उस रात, प्रकृति ने अपना भयानक रूप दिखाया। तूफ़ान ने मानो अपनी सारी शक्ति तट पर झोंक दी थी। लहरें, विशालकाय दैत्यों की तरह, गड़गड़ाती हुई चट्टानों से टकरा रही थीं और आसमान में बिजली की रेखाएँ इस तरह कौंध रही थीं, जैसे कोई अदृश्य शक्ति काँच के विशाल टुकड़ों को तोड़ रही हो। बारिश की धारें इतनी मोटी थीं कि दूर कुछ भी साफ़-साफ़ देखना मुमकिन नहीं था। हवा की चीख़, लहरों के शोर और बादलों की गड़गड़ाहट ने मिलकर एक ऐसा भयानक संगीत रचा था, जिसे सुनकर रूह काँप जाए।
आरव, एक युवा यात्री, जिसने रोमांच और प्रकृति के सौंदर्य की तलाश में यह सफ़र शुरू किया था, अब पूरी तरह से रास्ता भटक चुका था। उसकी पुरानी कार मीलों पीछे एक सुनसान सड़क पर जवाब दे चुकी थी और अब वह बिना किसी सहारे के इस तूफ़ानी रात में फँस गया था। बारिश के पानी से उसका शरीर पूरी तरह भीग चुका था, और ठंडी हवा की लहरें उसके बदन को सुन्न कर रही थीं। वह किसी तरह चट्टानों के किनारे-किनारे चलते हुए आश्रय की तलाश कर रहा था। उसके दिमाग में केवल एक ही विचार था: किसी भी तरह इस तूफ़ान से बचकर सुबह होने तक सुरक्षित रहना।
बारिश के उस घने पर्दे के बीच, उसे एक धुंधली सी आकृति दिखाई दी। जैसे-जैसे वह क़रीब आया, उस आकृति ने आकार लिया—यह एक पुराना, जर्जर प्रकाशस्तंभ (लाइटहाउस) था। उसकी ऊँची काया तूफ़ान की क्रूरता का सामना कर रही थी। हालाँकि इसकी रोशनी सालों से बुझ चुकी थी, पर इसकी खामोश मौजूदगी एक तरह का भरोसा दिला रही थी। आरव के दिल में उम्मीद की एक किरण जागी। उसने सोचा कि भले ही यह जगह ख़ाली हो, पर कम से कम यहाँ छत तो है।
हल्की-सी राहत महसूस करते हुए वह प्रकाशस्तंभ की ओर बढ़ा। उसने जंग लगे लोहे के गेट को धक्का दिया। एक कर्कश, धीमी आवाज़ के साथ गेट खुला, मानो वह अपनी पुरानी और खामोश दुनिया में किसी बाहरी व्यक्ति के आने का विरोध कर रहा हो। आरव अंदर चला गया और गेट को पीछे बंद कर दिया। बाहर की तूफ़ानी दुनिया से निकलकर अंदर की इस अँधेरी और शांत दुनिया में आना एक अजीब एहसास था।
भीतर की हवा में नमक, काई और जंग की एक मिली-जुली गंध थी, जो उसकी आँखों में जलन पैदा कर रही थी। यहाँ की चुप्पी बाहर के तूफ़ान की तुलना में और भी गहरी और डरावनी थी। दीवारें काई से ढकी थीं और जाले, किसी पुराने, फटे हुए पर्दे की तरह, छतों से लटक रहे थे। हर जगह धूल की मोटी परत जमी हुई थी, जो बताती थी कि यहाँ इंसान का आना-जाजा बहुत समय से नहीं हुआ था। आरव ने अपनी गीली जैकेट उतारते हुए आवाज़ दी, “कोई है यहाँ?” उसकी आवाज़ अँधेरे में गूँजी और फिर खामोशी में खो गई।
कोई जवाब नहीं आया। आरव ने निराशा में एक गहरी साँस ली, तभी उसकी नज़र ऊपर की ओर गई। उसने देखा कि सबसे ऊपर की खिड़की से एक हल्की, टिमटिमाती हुई रोशनी आ रही थी, जैसे कोई धीमी गति से जलती हुई लौ हो। आरव के दिल की धड़कन बढ़ गई। यह अजीब था, क्योंकि उसने मान लिया था कि यह जगह बिलकुल वीरान है। उसने सोचा कि शायद यहाँ कोई छुपा हुआ साधु या पुरानी चीज़ों का रखवाला रहता हो। उस टिमटिमाती रोशनी ने उसे हिम्मत दी और उसने घुमावदार सीढ़ियाँ चढ़ना शुरू किया। हर कदम के साथ, पुरानी लकड़ी की सीढ़ियों से ऐसी आवाज़ आती थी, मानो हड्डियाँ टूट रही हों। यह आवाज़ उस भयानक सन्नाटे में बहुत डरावनी लग रही थी।
आरव धीरे-धीरे ऊपर की ओर चढ़ता रहा, जैसे किसी रहस्यमयी सफ़र पर हो। जब वह सबसे ऊपर पहुँचा, तो वह उस दृश्य को देखकर एक पल के लिए बिलकुल जड़ हो गया।
एक आदमी टूटी हुई खिड़की के पास खड़ा था, जिसकी पीठ आरव की ओर थी। उसके लंबे, काले कोट से पानी टपक रहा था और उसके कंधे हल्के से काँप रहे थे। ऐसा लग रहा था मानो वह तूफ़ान को देख रहा हो। आरव को उसे देखकर थोड़ी राहत मिली। उसने सोचा कि चलो, अब कोई इंसान मिल गया। “धन्यवाद भगवान! मुझे लगा यहाँ कोई नहीं है,” उसने कहा, उसकी आवाज़ में राहत और थकावट दोनों थी।
लेकिन वह आदमी हिला तक नहीं। उसने आरव की बात को अनसुना कर दिया, जैसे उसने कुछ सुना ही न हो। आरव को अजीब लगा, लेकिन उसने सोचा कि शायद तूफ़ान के शोर के कारण उसने सुना नहीं होगा। आरव उसके थोड़ा और पास गया, “सर, क्या आप यहाँ रहते हैं? मुझे तूफ़ान से बचने के लिए बस एक रात के लिए जगह चाहिए।”
इस बार, उस आदमी ने धीरे-धीरे अपनी गर्दन घुमाई और फिर पूरी तरह से आरव की ओर पलट गया। आरव ने उसके चेहरे को देखकर एक पल के लिए साँस लेना बंद कर दिया। उसका चेहरा पीला और खोखला था, जैसे सदियों से धूप न देखी हो। उसकी आँखों में कोई जीवन नहीं था, वे दो बुझती हुई अंगारों की तरह चमक रही थीं। उन आँखों में एक अजीब सी उदासी और दर्द भरा था, जो आरव को डरा रहा था। आरव instinctively पीछे हट गया, उसके दिमाग ने तुरंत खतरे का अलार्म बजा दिया।
उस आदमी ने समुद्र की गूँजती हुई आवाज़ में बात की, जो तूफ़ान के शोर से भी ज़्यादा गहरी और डरावनी थी।
“तुम्हें यहाँ नहीं आना चाहिए था। यह जगह याद रखती है… यह कभी भूलती नहीं।”
जैसे ही उसने ये शब्द कहे, फ़र्श काँपने लगा। शीशे की खिड़कियों से एक धीमी, अजीब सी आवाज़ आने लगी, जैसे वे रो रही हों। आरव के दिमाग में अचानक कई दृश्य चमकने लगे। वह देख सकता था कि अँधेरी, तूफ़ानी रात में एक जहाज़ चट्टानों से टकराकर टूट रहा है। वह डूबते हुए नाविकों की चीख़ें, उनके मदद के लिए चिल्लाने की आवाज़ें सुन सकता था। वह महिलाओं और बच्चों की चीख़ों को भी सुन रहा था, जो उस जहाज़ में थे। यह सब कुछ एक भयावह सपने की तरह था, लेकिन आरव जानता था कि यह कोई सपना नहीं, बल्कि एक भयानक हकीकत है।
उस भूतिया आकृति ने फुसफुसाते हुए कहा, "हमें धोखा दिया गया था। उस रात रोशनी बुझा दी गई थी, और सैकड़ों लोग मर गए। इस प्रकाशस्तंभ के रखवाले ने रोशनी बुझा दी थी, ताकि जहाज़ चट्टानों से टकराकर डूब जाए और वह उसका सामान चुरा सके। वह लालची और क्रूर था। लेकिन वह नहीं जानता था कि समुद्र सब कुछ याद रखता है। अब हम यहाँ फँस गए हैं, इस जगह की यादों का हिस्सा बन गए हैं।" उसकी आवाज़ में गहरा दर्द और बदला लेने की भावना थी।
वह बोला, “अब जो भी यहाँ आता है… वो हमारा हिस्सा बन जाता है।”
आरव के शरीर में डर की एक लहर दौड़ गई। वह जानता था कि अब उसे यहाँ से भागना होगा, लेकिन उसके पैर पत्थर के हो चुके थे। जैसे ही वह मुड़ने ही वाला था कि अचानक खिड़कियों के शीशे एक ज़ोरदार कड़कड़ाहट के साथ टूट गए। बाहर से, बारिश की धारों के साथ, हवा में तैरती हुई परछाइयाँ दिखाई दीं। उन परछाइयों से ठंडे, बर्फीले हाथ निकले और आरव की बाँहें पकड़ लीं। उन हाथों में अविश्वसनीय शक्ति थी। वे उसे पीछे की ओर खींचने लगे, जैसे कोई उसे अँधेरी खाई में खींच रहा हो। आरव ने अपनी पूरी ताक़त से उनका विरोध किया, लेकिन उन हाथों की पकड़ लोहे जैसी थी। उसकी एक ज़ोरदार चीख़ निकली, जो तूफ़ान के भयानक शोर में कहीं खो गई।
अगली सुबह, जब तूफ़ान थम चुका था, मछुआरों ने किनारे पर अपना जाल डालने से पहले, हमेशा की तरह, उस पुराने प्रकाशस्तंभ की ओर देखा। वह अपनी जगह पर बिलकुल शांत और खामोश खड़ा था, जैसे पिछली रात कुछ हुआ ही न हो। बाहर से किसी का कोई निशान नहीं था। अंदर भी, उन मछुआरों ने झाँक कर देखा, लेकिन उन्हें कोई नहीं मिला। केवल धूल, जाले और खामोशी थी।
लेकिन आज भी, अगर कोई साहसी इंसान उस प्रकाशस्तंभ की सीढ़ियाँ चढ़े, तो उसे ऊपर चढ़ते हुए पैरों की आवाज़ सुनाई देती है। यह आवाज़ आपकी अपनी नहीं होती… और एक अजीब, दर्द भरी फुसफुसाहट सुनाई देती है, जो हवा में गूँजती रहती है—
"यह जगह याद रखती है।"