reincarnation of shanti devi in Hindi Fiction Stories by Arkan books and stories PDF | शांति देवी पुनर्जन्

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शांति देवी पुनर्जन्

दिल्ली के एक छोटे से गाँव, चीरा बाजार में, 11 दिसंबर, 1926 को एक लड़की का जन्म हुआ, जिसका नाम शांति देवी रखा गया। उनके माता-पिता, बाबू रंग बहादुर माथुर और उनकी पत्नी, एक साधारण जीवन जीते थे। जब शांति करीब 3 साल की हुई, तब से ही उन्होंने अपने पिछले जीवन के बारे में अजीबोगरीब बातें करना शुरू कर दिया। उनके माता-पिता को लगा कि ये बस बच्चों का खेल है, पर जैसे-जैसे समय बीता, उनकी बातें और भी स्पष्ट और विस्तृत होती गईं। शांति अपनी 'पुरानी' दुनिया के बारे में बताती रहती थीं, जिसमें उनका नाम लुग्दी था और वह मथुरा में रहती थीं। वह अक्सर कहती थीं, "मुझे अपनी माँ के पास जाना है, मुझे अपने पति के पास जाना है।"
शुरुआत में, उनके परिवार ने इन बातों को गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन शांति अपनी बातों पर अटल थीं। वह मथुरा में अपने घर, अपने पति केदारनाथ और अपने बेटे की कहानियाँ सुनाती रहती थीं। उन्होंने अपने घर का सटीक विवरण दिया - घर के रंग से लेकर उसमें मौजूद कमरों तक। उन्होंने बताया कि उनकी मृत्यु एक बेटे को जन्म देने के 10 दिन बाद हुई थी। शांति ने अपने पति के पेशे के बारे में भी बताया कि वह एक कपड़े की दुकान चलाते थे।
शांति के लगातार अनुरोधों के बाद, उनके माता-पिता ने सोचा कि शायद इस मामले की जाँच करनी चाहिए। उन्होंने एक रिश्तेदार से मथुरा में केदारनाथ नाम के किसी व्यक्ति को खोजने के लिए कहा। जब रिश्तेदार ने मथुरा जाकर पता लगाया, तो उन्हें आश्चर्य हुआ कि शांति की सभी बातें सही थीं। वहां सच में केदारनाथ नाम का एक व्यक्ति था, जिसकी पत्नी, जिसका नाम लुग्दी देवी था, 1925 में बच्चे को जन्म देने के 10 दिन बाद मर गई थी।
यह जानकारी मिलते ही, उनके परिवार ने एक टीम बनाई जिसमें कुछ पत्रकार और एक महात्मा गांधी के रिश्तेदार भी शामिल थे, ताकि इस मामले की पूरी तरह से जाँच की जा सके। यह टीम शांति को लेकर मथुरा पहुँची।
जब शांति को मथुरा ले जाया गया, तो उन्होंने ऐसा व्यवहार किया जैसे वह अपने ही घर वापस आ रही हों। जैसे ही ट्रेन मथुरा स्टेशन पर रुकी, शांति ने पहचान लिया कि वह कहाँ हैं। उन्होंने स्टेशन से ही अपने पिछले घर का रास्ता बताना शुरू कर दिया, बिना किसी की मदद लिए।
शहर में प्रवेश करते ही, शांति ने एक-एक कर उन जगहों को पहचाना जिनका जिक्र उन्होंने दिल्ली में रहते हुए किया था। उन्होंने एक व्यक्ति को पहचाना और बताया कि वह उनके पति का भाई है। यह सुनकर सभी हैरान रह गए।
जब वे केदारनाथ के घर पहुँचे, तो शांति ने बिना किसी हिचकिचाहट के घर में प्रवेश किया। उन्होंने अपने पति, केदारनाथ को देखते ही पहचान लिया, जो टीम के साथ एक अजनबी की तरह खड़े थे। उन्होंने बताया कि यही उनके पति हैं।
केदारनाथ ने अपनी पिछली पत्नी की कुछ निजी बातें शांति से पूछीं, जिनके बारे में कोई और नहीं जानता था। शांति ने उन सभी सवालों के सही जवाब दिए। उन्होंने बताया कि एक बार उन्होंने एक कुँए में गहने छिपाए थे, और वहाँ सच में वह कुआँ मौजूद था। उन्होंने अपने पति के साथ बिताए गए निजी पलों का भी जिक्र किया, जिससे यह साबित हो गया कि वह वही लुग्दी थीं।
शांति ने अपने बेटे को भी पहचाना, जिसे वह जन्म के 10 दिन बाद छोड़ गई थीं। उन्होंने उसे गले लगाया और उससे बातें कीं, जैसे कोई माँ अपने बेटे से करती है। यह दृश्य देखकर सभी की आँखें भर आईं।