Anubandh - 2 in Hindi Love Stories by Diksha mis kahani books and stories PDF | अनुबंध - 2

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अनुबंध - 2

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💕💕💕 अनुबंध – एपिसोड 2 💕💕💕
 
शर्तें और सीमाएं✨💕
 
अनाया अपनी बहन को स्ट्रेचर पर ले जाते हुए बेचैन सी डॉक्टर के कमरे तक पहुँची। चेहरे पर आँसू, होंठों पर लगातार प्रार्थना और दिल में अजीब सी घबराहट।
 
डॉक्टर ने गहरी साँस लेते हुए कहा –
"ऑपरेशन इमर्जेंसी में करना पड़ेगा… लेकिन इसके लिए 20 लाख रुपये का खर्च आएगा।"
 
अनाया के कानों में जैसे बम फट पड़ा।
उसकी आँखें फैल गईं। आवाज़ काँप गई –
"20… लाख? डॉक्टर… इतनी बड़ी रकम… अभी तो…!"
 
डॉक्टर ने गंभीरता से कहा –
"समय बहुत कम है। अगर पैसे की व्यवस्था अगले 24 घंटे में नहीं हुई तो हमें ऑपरेशन करना मुश्किल होगा।"
 
अनाया ने कांपते हाथों से अपना मोबाइल निकाला और बैंक अकाउंट खोलकर देखा।
सिर्फ़ 5 लाख रुपये।
बस… यही उसकी पूरी दुनिया थी।
 
उसकी आँखें नम हो गईं।
"पाँच लाख… और बीस लाख की ज़रूरत… मैं कहाँ से लाऊँ इतनी रकम?"
 
उसके दिमाग़ में माता-पिता की यादें उमड़ पड़ीं। वो हादसा, जिसमें उसने अपने माँ-बाप खो दिए थे। उसी दिन से तो सिर्फ़ ये बहन ही उसका सहारा थी।
परिवार?
नाते-रिश्तेदार?
किसी ने कभी हाथ नहीं थामा।
 
कभी मामा ने कहा –
"बेटी, हमसे मत उम्मीद करना। अब हर किसी की अपनी ज़िंदगी है।"
कभी चाचा ने सीधा दरवाज़ा बंद कर दिया।
 
अनाया ने याद करते हुए होंठ काट लिए।
"कोई नहीं है… सचमुच कोई नहीं। अगर मेरी बहन को कुछ हो गया, तो मैं भी नहीं जी पाऊँगी।"
 
उसके गले से आवाज़ निकली –
"भगवान… मुझे कोई रास्ता दिखाओ। मैं अपनी बहन को खो नहीं सकती।"
 
उसकी आँखों में अब बेबसी से ज्यादा दृढ़ निश्चय था।
चाहे ज़िंदगी का सबसे बड़ा समझौता ही क्यों न करना पड़े…
चाहे अपने दिल की आज़ादी गिरवी क्यों न रखनी पड़े…
वो पैसे जुटाएगी।
 
 
फिर भी...........
 
उसने रिश्तेदारों को कॉल किया—
"हैलो… प्लीज़ मेरी बहन की जान… मुझे पैसे चाहिए…"
 
लेकिन दूसरी तरफ से ठंडी आवाज़ें—
"हमने पहले ही बहुत किया है… अब माफ़ करना।"
"हमें परेशान मत करो।"
 
एक-एक करके सभी दरवाज़े बंद हो गए। अनाया ने फोन गिरा दिया, चेहरा दोनों हथेलियों में छुपा लिया।
 
उसी वक्त पीछे से किसी की आवाज़ आई—
"शायद… मैं आपकी मदद कर सकता हूँ।"
 
 
 
अनाया चौंककर मुड़ी। सामने खड़ा था एक लंबा-सा आदमी, शार्प सूट में, ठंडी आँखों वाला—विराट का असिस्टेंट।
 
अनाया (हकलाकर): "आप… यहाँ…?"
 
 
 
 
वो हल्की मुस्कान के साथ पास आया। हाथ में फाइल थी।
असिस्टेंट: "मिस अनाया, विराट सिंगानिया आपके लिए एक कॉन्ट्रैक्ट ऑफर कर रहे हैं। अगर आप साइन करती हैं… तो आपकी बहन का पूरा इलाज, सारा खर्च—हम।"
 
अनाया की साँस थम गई।
"कॉन्ट्रैक्ट…? ये कैसी डील है?"उसे विराट की वो डील याद आई।
 
वो फाइल उसके हाथों में थमाते हुए बोला—
असिस्टेंट: "बस एक सिग्नेचर… और आपकी किस्मत हमेशा के लिए उनकी हो जाएगी।"
 
अनाया की आँखें भर आईं। दिल की धड़कनें तेज़। "क्या मैं अपनी बहन की जान के लिए खुद की ज़िंदगी किसी और के नाम कर दूँ…?"
 
अनाया काँपते हाथों से पेन उठाती है। आँसू उसकी पलकों से बहकर कॉन्ट्रैक्ट के पन्नों पर गिरते हैं। एक लंबा पल… और साइन।
 
 
असिस्टेंट ने तुरंत विराट को कॉल लगाया—
असिस्टेंट: "Yes, Sir… she signed."
 
फिर कॉल काटकर उसने अनाया की तरफ देखा। होंठों पर एक ठंडी मुस्कान। हाथ पीछे बांध , खुदके सर को झुका कर ,धीरे से फुसफुसाया—
 
"Welcome… Mrs. Singhania."
 
अनाया के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
 
यहीं से उसकी किस्मत की डोर विराट नाम के उस आदमी से बंधने वाली थी, जिसे वो अब तक नफ़रत से "रूडी" कहकर पुकारती थी… और जल्द ही उसी से उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा अनुबंध होने वाला था।
 
 
*******
ऑपरेशन थिएटर की लाल बत्ती बुझ चुकी थी। डॉक्टर ने बाहर आकर कहा –
“ऑपरेशन सफल रहा है। अब इन्हें सिर्फ़ आराम की ज़रूरत है।”
 
अनाया की आँखों में खुशी के आँसू थे। उसके काँपते होंठों ने धीरे से कहा –
“थैंक यू… भगवान का शुक्र है।”
 
दो हफ्ते बीत चुके थे। अनाया हर दिन अपनी बहन काव्या के पास बैठकर उसका हाथ थामे रहती। काव्या अब पहले से बेहतर थी। अस्पताल का कमरा अब उनका छोटा सा संसार बन गया था।
 
उस दिन काव्या ने मुस्कुराकर कहा –
“दीदी, आप इतनी टेंशन मत लिया करो… अब मैं ठीक हूँ। वैसे… तुम रोज़-रोज़ काम पर जाती हो और फिर भी मेरे पास आती हो, तुम थक जाती हो।”
 
अनाया ने उसके बालों में हाथ फेरा, और अचानक गंभीर होकर बोली –
“काव्या… मुझे तुमसे कुछ कहना है।”
 
काव्या ने उत्सुक होकर पूछा –
“क्या?”
 
अनाया की आँखों में हल्की झिझक थी, पर उसके होठों से सच निकल ही गया –
“मैंने… मैंने अपने बॉस से शादी करने का फैसला किया है।”
 
काव्या एक पल को चौंकी, फिर धीरे-धीरे मुस्कुराई –
“तुम्हारे बॉस? वो… सिंघनिया सर? दीदी, आप उनसे… प्यार करती हो?”
 
अनाया की पलकों ने झुककर हामी भरी। उसकी आवाज़ कांप रही थी –
“हाँ काव्या… वो ही हैं जिन्होंने तुम्हें बचाया। जिनकी वजह से तुम आज मेरे सामने हो। शायद मैं उन्हें पहले दिन से ही महसूस करती थी… वो अलग हैं… और अब मैं… मैं उनसे दूर नहीं रह सकती।”
काव्या की आँखें खुशी से चमक उठीं –
“दीदी, अगर वो आपको खुश रखेंगे तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं। आपने मेरे लिए कितनी कुर्बानियाँ दी हैं, अब आपकी बारी है… खुश रहने की।”
 
दोनों बहनें एक-दूसरे को गले लगा लेती हैं। उसी समय, अनाया का फ़ोन बज उठा। स्क्रीन पर अनजान नंबर चमक रहा था।
 
“हेलो?”
 
दूसरे छोर से गहरी, ठंडी, पर अधिकार से भरी पुरुष आवाज़ आई –
“Mrs. Singhania… हमारी सगाई इस महीने की 3 तारीख़ को होगी। मेरा असिस्टेंट आपको वेन्यू और समय भेज देगा। आपको बस वहाँ आना है।”
 
अनाया की साँसें थम सी गईं। उसने घबराकर कुछ कहना चाहा –
“रुडी… सुनो तो…”
 
लेकिन कॉल अचानक कट चुका था। उसके कानों में बस वही आखिरी शब्द गूंज रहे थे –
“Mrs. Singhania…”
 
अनाया वहीं स्तब्ध खड़ी रह गई। उसकी उंगलियाँ काँप रही थीं, दिल जोर से धड़क रहा था। और उसके होंठ अनायास बुदबुदाए –
“रुडी…”✨♥️
******
 
 
सगाई का दिन।
 
 
अनाया उस शाम जैसे किसी और ही दुनिया में कदम रख रही थी। नीले रंग की गाउन में, जो उसकी गोरी त्वचा पर और भी निखर रही थी, वह किसी राजकुमारी से कम नहीं लग रही थी। गाउन की हल्की सिल्वर कढ़ाई और उसकी खुली लहराती बालों की लटें उसकी मासूमियत को और भी आकर्षक बना रही थीं। उसकी आँखों में हल्की सी घबराहट थी, पर साथ ही एक अनकही चमक भी।
 
काव्या उसके साथ खड़ी थी, बहन की खुशी देखते हुए खुद को संभाल रही थी। दोनों बहनें जब हॉल में दाख़िल हुईं, तो सबकी नज़रें ठहर गईं।
 
और तभी…
हॉल के दूसरे छोर से विराट का प्रवेश हुआ। काले रंग के टक्सीडो में, उसकी शख़्सियत इतनी दमदार थी कि मानो हवा भी उसके कदमों के साथ ताल मिला रही हो। उसके चेहरे पर वही चिरपरिचित ठंडापन था, पर आँखों की गहराई में कुछ और ही बसा था—कुछ ऐसा जो सिर्फ अनाया के लिए था।
 
सभी मेहमान तालियाँ बजाने लगे।
 
अनाया की धड़कनें तेज़ हो रही थीं। उसे याद आया, वह सिर्फ़ एक “कॉन्ट्रैक्ट” पर खड़ी है… लेकिन उसके दिल ने मान लिया था कि वह अब सिर्फ़ उसका है।
 
विराट धीमे क़दमों से मंच तक पहुँचा। उसकी नज़रें सिर्फ़ अनाया पर टिकी थीं। जब वह उसके सामने रुका तो अनाया ने महसूस किया कि जैसे पूरे हॉल में सिर्फ़ वही दोनों खड़े हों।
 
पंडित जी ने अंगूठी का संकेत दिया।
विराट ने जेब से डायमंड रिंग निकाली—साफ़, चमकदार, बिल्कुल उसकी तरह—बिना किसी समझौते के। उसने अनाया का हाथ थामा।
"Welcome to my world, Mrs. Singhania…" उसकी धीमी पर गहरी आवाज़ ने अनाया की रीढ़ में सिहरन दौड़ा दी।
 
अनाया काँपते हाथों से उसकी उँगली में रिंग पहनाने लगी।
 
तालियाँ गूँज उठीं। कैमरों की फ्लैश चमकने लगी। लेकिन अनाया को सिर्फ़ अपनी धड़कनें सुनाई दे रही थीं और विराट की आँखों में वो दावा, जो कह रहा था—
अब तुम मेरी हो।
 
 
अनाया की आँखों में नर्वसनेस और दिल की धड़कनें तेज़ हो गई।
आरव, विराट का भाई, और मस्तीख़ोर, दोनों को छेड़ते हुए बोला—
“वाह भाई, पहली बार तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान देखने को मिली या मैंने कुछ मिस किया?”
अनाया का चेहरा लाल हो गया।
******
आगे देखे:
 
रात के अंधेरे में, शादी के कमरे से निकलते समय, विराट ने अनाया के कान में धीमे से कहा—
"अब ये सिर्फ़ शादी नहीं, ये हमारी कहानी का पहला अध्याय है… और मैं इसे अपनी तरह निभाऊँगा।"
 
अनाया की आँखों में डर, हसरत और उत्सुकता—सब एक साथ झलक रहे थे।
 
 
क्या यह सिर्फ़ एक अनुबंध था, या कुछ और?
✨♥️🔥✨✨✨✨✨✨✨✨
 
“तुम मेरे करीब हो… और मैं इसे अनजाने में महसूस कर रहा हूँ।~विराट सिंघानिया 🔥😎
 
 
ये सिर्फ़ अनुबंध नहीं रहा… अब ये शुरुआत है।”
 
 
 
जारी(...)
 
© Diksha💕💕
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