Anubandh 7 in Hindi Love Stories by Diksha mis kahani books and stories PDF | अनुबंध - 7

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अनुबंध - 7



💕💕💕 अनुबंध – एपिसोड 7 💕💕💕

डाइनिंग टेबल पर खाने की थालियाँ सजी थीं।
आरव बार-बार कोई न कोई बात छेड़ने की कोशिश कर रहा था, लेकिन माहौल पर जैसे बर्फ़ की मोटी परत जमी हो।

विराट सिंहानिया—जो हमेशा परफ़ेक्ट, कंट्रोल में और बेहद शांत लगता था—आज उसके चेहरे पर किसी पुराने तूफ़ान की लकीरें साफ़ दिख रही थीं।
उसकी चुप्पी इतनी भारी थी कि चम्मच की खनक भी असहज कर रही थी।

अनाया ने चोरी-चोरी उसकी ओर देखा।
वो सीधे खाने की प्लेट पर नज़र गड़ाए था, लेकिन उसकी उँगलियाँ लगातार चम्मच से खेल रही थीं।
"कुछ है… जो इसे भीतर से खा रहा है। पर ये कहेगा नहीं।"


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डिनर के बाद अनाया छत पर चली आई।
बारिश थम चुकी थी, लेकिन हवा में मिट्टी की भीनी खुशबू अब भी तैर रही थी।
उसने गहरी सांस ली और आँखें बंद कर दीं—जैसे ये खुशबू उसके सारे बोझ हल्के कर दे।

तभी पीछे से वही भारी, गहरी आवाज़ आई—
"तुम्हें अकेले रहना बहुत पसंद है, है न?"

वो पलटी तो देखा, विराट हाथ में व्हिस्की का गिलास लिए खड़ा था।
उसके चेहरे पर कोई मास्क नहीं था, बस थकान और टूटा हुआ आदमी।

"कभी-कभी, हाँ…" अनाया ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा।
"मुझे भी।"

उसकी आवाज़ में मज़ाक नहीं था, बल्कि एक अजीब थकावट थी।


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कुछ पल दोनों खामोश रहे।
फिर अचानक जैसे खुद पर काबू खोकर उसने कहना शुरू किया—

"तुम जानना चाहती हो न… मैं हर औरत पर शक क्यों करता हूँ?"

अनाया का दिल हल्का-सा धड़का, उसने धीरे से सिर हिलाया।

विराट ने निगाहें आसमान की काली खाई में डाल दीं।
"तीन साल पहले… एक लड़की मेरी जिंदगी में आई थी। मेरे बिज़नेस पार्टनर की बेटी। खूबसूरत, समझदार… और मैंने उसे अपना सब कुछ मान लिया।"

उसकी आवाज़ धीमी हो गई, जैसे हर शब्द उसके सीने से निकलते हुए उसे और घायल कर रहा हो।

"मैंने सोचा था—यही है वो इंसान, जिसके साथ मैं पूरी जिंदगी बिताऊँगा।
पर उसने मुझे सिर्फ़ इस्तेमाल किया।
मेरी कंपनी के सीक्रेट्स, कॉन्ट्रैक्ट्स… सब अपने पिता को दे दिए।
और जिस दिन मुझे सच्चाई पता चली… उसी दिन वो किसी और के साथ चली गई।"

उसकी आँखों में पहली बार नमी झिलमिलाई।
अनाया ने अपने होंठ भींच लिए।
वो आदमी, जिसे वो सिर्फ़ अहंकारी और निर्दयी समझती थी, उसके पीछे इतना गहरा दर्द था।

"मैंने प्यार में सिर्फ़ धोखा देखा है, अनाया।"



अनाया का दिल जाने क्यों उसके लिए पिघल गया।
बिना सोचे-समझे उसने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया।

विराट झटके से उसकी तरफ़ देखता है।
मानो उसे उम्मीद ही न हो कि कोई उसकी दरारों को छू भी सकता है।

"तो शायद वक्त आ गया है कि आपकी आंखें किसी और सच्चाई देखें।"
उसकी आवाज़ मुलायम थी, लेकिन शब्दों में ताक़त थी।

विराट उसकी आँखों में देखता रहा…
पहली बार उसे महसूस हुआ कि ये लड़की उसकी ज़िंदगी की ठंडी दीवारों में एक दरार डाल रही है।

हवा में ठंडक थी।
दोनों के बीच सिर्फ़ कुछ इंच का फासला।

वो अचानक एक कदम आगे बढ़ा, उसकी कमर पर हाथ रखकर उसे हल्के से खींच लिया।
उसकी उँगलियाँ उसकी पीठ पर थम गईं।

"तुम जानती हो… मुझे तुम्हारा पास आना खतरनाक लगता है?"
विराट की आँखें उसकी आँखों से सटी हुई थीं।

अनाया का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
"तो दूर रहिए।" उसने धीमे से कहा।

वो हल्का-सा मुस्कुराया।
"चाहकर भी नहीं रह सकता।"

उनकी सांसें अब एक-दूसरे से टकरा रही थीं।
अनाया की आँखें खुद-ब-खुद बंद हो गईं…

लेकिन विराट ने सिर्फ़ उसके माथे पर हल्का-सा चुंबन दिया और पीछे हट गया।
"सो जाओ, बहुत रात हो गई है।"

अनाया की पलकों पर झपकन थम गई।
उसका दिल अब भी तेज़ धड़क रहा था।
"ये आदमी… आखिर चाहता क्या है मुझसे?"


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कमरे में लौटी तो दोनों ने अपने-अपने बिस्तर के हिस्से संभाले।
अनाया ने एक बड़ा-सा तकिया बीच में रख दिया, जैसे कोई किला।

विराट ने देखा।
उसके होंठों पर हल्की मुस्कान आई, लेकिन चेहरे पर वही सख़्त एक्सप्रेशन रहा।
"दीवार डाल रही हो, मिसेज. सिंघानिया?"

"सुरक्षा के लिए, मिस्टर सिंघानिया।" उसने बिना उसकी तरफ़ देखे जवाब दिया।

लाइट बंद हुई।
कुछ पल की खामोशी…

फिर अनाया ने महसूस किया—पीछे से एक गर्माहट उसके करीब आ रही है।
अचानक उसकी कमर पर एक मजबूत हाथ आकर ठहर गया।

वो चौंकी, पर बोल नहीं पाई।

विराट ने उसके बालों में हाथ फेरते हुए फुसफुसाया—
"गुड नाइट, मिसेज. सिंघानिया।"

अनाया के होंठों पर हल्की-सी मुस्कान आ गई।
"गुड नाइट, मिस्टर सिंघानिया।"

उसने अपना डोरेमोन वाला तकिया कसकर गले लगाया, जैसे वही उसका सेफ़ ज़ोन हो।


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सुबह की हल्की रोशनी पर्दों से छनकर कमरे में आ रही थी।
अनाया ने नींद में करवट ली और आँखें खोलीं।

पहला झटका—उसका डोरेमोन तकिया फर्श पर गिरा पड़ा था।
दूसरा झटका—विराट का हाथ उसकी कुर्ती के अंदर, उसकी कमर पर मजबूती से रखा था।

उसका चेहरा एकदम पास… और सांसों की गरमी उसकी गर्दन को छू रही थी।

उसके गाल लाल हो गए।
"ये कब… और कैसे…"

बहुत धीरे से उसने उसका हाथ हटाया ताकि वो जाग न जाए।
फिर फटाफट उठकर ड्रेसिंग टेबल पर तैयार होने लगी।

सिल्क की हल्की-सी साड़ी, माथे पर बिंदी, हाथों में पतली चूड़ियाँ…
अनाया डाइनिंग टेबल पर सर्व कर रही थी।

तभी विराट आया—काले फॉर्मल सूट में, बाल पीछे सधे हुए।
उसकी पर्सनैलिटी हमेशा की तरह परफ़ेक्ट और खतरनाक।

आरव पहले से बैठा था।
"वाह भाभी, आज तो क्या ही लग रही हो।"
विराट ने उसे घूरा।
"खाना खा, आरव।"

नाश्ते के दौरान चुप्पी रही।
लेकिन जैसे ही विराट उठने लगा, वो अचानक रुक गया और अनाया की तरफ़ मुड़ा।

"मिसेज. सिंघानिया…"
उसकी आवाज़ गहरी थी।

"टाई बाँध दो।"

अनाया चौंकी, लेकिन चुपचाप पास आई।
उसके कॉलर के पास खड़ी होकर टाई पकड़ ली।

वो आज झुका नहीं… बल्कि थोड़ा और नीचे आ गया, ताकि उनकी आँखें बिल्कुल पास मिल जाएँ।

उसकी उंगलियाँ टाई की नॉट पर थीं, लेकिन नज़रें… उसकी आँखों में अटक गई थीं।

वो मुस्कुराया और उसकी कमर पर हाथ रख लिया।
"क्या आप आज ऑफिस जा रही हैं?"

अनाया का गला सूख गया।
"जी… हाँ।"

"तो मेरे साथ चलिए।"
उसका लहजा आदेश-सा था, लेकिन आँखों में अजीब-सी नरमी थी।

अनाया बस सिर हिला पाई—"ठीक है।"

उनके पिता दूर से ये सब देख रहे थे।
उनकी आँखों में संतोष था—
"शायद ये रिश्ता अब सिर्फ़ कागज़ का नहीं रहेगा।"

आरव ने मौका नहीं छोड़ा।
"भाभी, अब तो भाई खुद ड्राइव करेंगे आपको ऑफिस… लगता है डील पर्सनल हो रही है।"

विराट ने उसे घूरा—
"आरव… खा ले, वरना ब्रेकफास्ट भी तेरी तरह डस्टबिन में डाल दूँगा।"

अनाया हँस पड़ी।
और पहली बार सुबह का ये पल उसे अच्छा लगा।


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✨ "कभी-कभी, किसी का दर्द उसकी आँखों में नहीं, बल्कि उसकी छूटी हुई दूरी में छिपा होता है।" ✨


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©Diksha 

जारी(....)

एक एपिसोड को लिखने में 2 दिन लगते है तो रेटिंग्स जरूर दे!✨💕🤍


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Diksha mis kahani ✨💕💕