🌑 एक अंधेरी रात 🌑
गाँव से बाहर घना जंगल, जहाँ पेड़ों की परछाइयाँ रात में डरावनी आकृतियों जैसी लगती थीं। लोग उस जंगल का नाम लेते ही सिहर उठते, क्योंकि कहते थे कि वहाँ कुछ है... जो दिखाई नहीं देता, पर महसूस ज़रूर होता है।
राहुल शहर से अपने गाँव लौटा था। पढ़ाई पूरी करने के बाद पहली बार गाँव आया तो दोस्तों ने रात में जंगल की कहानियाँ सुनानी शुरू कीं।
“उस रास्ते पर मत जाना, जहाँ पुराना कुआँ है,” रमेश ने डरते हुए कहा।
“क्यों? वहाँ क्या है?” राहुल ने हँसते हुए पूछा।
“वहाँ रात को औरत के रोने की आवाज़ आती है… कई लोग गए, पर लौटकर नहीं आए।”
राहुल ने बात को मज़ाक समझ लिया। पर उसी रात उसकी किस्मत उसे उस रास्ते पर खींच ले गई।
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🌲 जंगल का रास्ता
गाँव में बिजली अक्सर चली जाती थी। उस रात भी अंधेरा छा गया। राहुल को शहर लौटने के लिए आख़िरी बस पकड़नी थी, पर देर हो चुकी थी। मजबूरन उसे जंगल वाले रास्ते से ही जाना पड़ा।
रात का सन्नाटा… झींगुरों की आवाज़… और पैरों के नीचे सूखी पत्तियों की चरमराहट। राहुल चलते-चलते सोच रहा था, “ये सब अंधविश्वास है, डरने की कोई ज़रूरत नहीं।”
लेकिन जैसे-जैसे वह जंगल में आगे बढ़ा, उसे महसूस हुआ कि कोई पीछे-पीछे चल रहा है। उसने कई बार पीछे मुड़कर देखा – पर वहाँ सिर्फ़ घना अंधेरा और पेड़ों की परछाइयाँ थीं।
अचानक… कहीं दूर से औरत के रोने की धीमी आवाज़ आई। राहुल के कदम अपने आप रुक गए।
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🕳 पुराना कुआँ
थोड़ी दूर पर एक टूटा-फूटा कुआँ था। उसी के पास से रोने की आवाज़ आ रही थी।
राहुल ने सोचा – “ज़रूर कोई मुसीबत में है, मदद करनी चाहिए।”
वह जैसे ही कुएँ के पास पहुँचा, आवाज़ और साफ़ हो गई। पर वहाँ कोई नहीं था।
कुएँ के अंदर झाँकते ही उसके रोंगटे खड़े हो गए।
कुएँ से एक औरत का चेहरा झलक रहा था – पीला, आँखें लाल, और होंठों पर खून की परत।
राहुल के मुँह से चीख निकलती उससे पहले ही, वह चेहरा अचानक गायब हो गया।
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🕯 अंधेरी रात का खेल
राहुल ने काँपते हुए कदम बढ़ाए, लेकिन तभी पीछे से किसी ने उसका नाम पुकारा –
“राहुल…”
आवाज़ उसकी माँ की थी।
वह चौंक गया। माँ तो गाँव में थीं, यहाँ कैसे?
पीछे मुड़कर देखा – वही औरत, लंबे खुले बाल, सफेद साड़ी, और चेहरे पर डरावनी मुस्कान।
वह धीरे-धीरे राहुल की तरफ़ बढ़ रही थी।
राहुल पूरी ताक़त से भागा। पत्तियाँ और टहनियाँ टूटने की आवाज़ें उसके पीछे-पीछे दौड़ रही थीं।
लग रहा था जैसे पूरा जंगल उसे निगल लेना चाहता हो।
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⏳ रात का आख़िरी पहर
किसी तरह राहुल गाँव की सीमा तक पहुँचा। जैसे ही मंदिर की घंटियों की आवाज़ कानों में पड़ी, वह औरत अचानक गायब हो गई।
राहुल ज़मीन पर गिर पड़ा, हाँफता हुआ।
सुबह जब गाँव वाले वहाँ पहुँचे, तो उन्होंने राहुल को बेहोश पाया। वह लगातार एक ही बात दोहरा रहा था –
“कुएँ में… कोई है… वह औरत… वह मुझे बुला रही थी…”
गाँव के बुज़ुर्गों ने बताया –
“सालों पहले एक औरत ने इसी कुएँ में कूदकर अपनी जान दे दी थी। तब से उसकी आत्मा हर अंधेरी रात किसी न किसी को अपनी ओर खींच लेती है।”
राहुल ने उस दिन के बाद कभी उस रास्ते की तरफ़ मुँह नहीं किया।
लेकिन आज भी… अगर आप उस जंगल से गुज़रें और पुराना कुआँ देखें, तो शायद आपको भी वही रोने की आवाज़ सुनाई दे।
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👻 निष्कर्ष
कभी-कभी अंधेरे में दिखने वाला हर साया सिर्फ़ परछाई नहीं होता…
हो सकता है, वो कोई और हो… जो आपका इंतज़ार कर रहा हो।
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