(छाया और काशी परीक्षा की टेंशन में थीं, पर नंदिता की मदद से संभल गईं। छाया ने मेहनत से पढ़ाई कर आत्मविश्वास पाया। परीक्षा के बाद परिवार संग घूमने गई, तभी विशाल ने उसे होटल बुलाया। वहाँ किसी और लड़की संग उसका सरप्राइज देखकर छाया आहत हुई।)
ठाकुर और बक्सीर
घर लौटी तो नौकरी का काॅल आया लेकिन उसने किसी नौकरी के लिए एप्लाई ही नहीं किया था। परिवार ने मना किया, पर इंस्पेक्टर ठाकुर के आश्वासन से छाया वहां गई। ऑफिस में शक गहराया और अंदर पहुँचकर उसने देखा कि सबके पीछे उसकी जानी-पहचानी औरत ही थी – वही उसकी असली “बाॅस” निकली। अब आगे)
केशव और इंस्पेक्टर ठाकुर जैसे ही अन्दर घुसे, उसने देखा कि छाया के सामने एक औरत बैठी थी। नीले हल्के रंग की साड़ी में वह बहुत खूबसूरत लग रही थी।
केशव ने आगे बढ़कर कुछ करना चाहा, पर इंस्पेक्टर ठाकुर ने उसे रोक दिया।
छाया भागकर अपने भाई के पास गई और कहा- "भैया! यह वही है जिन्होंने मुझे उन गुण्डों से बचाया था।" अचानक ही केशव का गुस्सा शांत हो गया। उसने आगे बढ़कर उसके पैर छू लिए।
इंस्पेक्टर ठाकुर ने हंसते हुए कहा "आप यहां कैसे। आप यहां आफिस खोल रही है और आपने बताया नहीं।"
छाया ने हैरानी से पूछा - "इंस्पेक्टर साहब! आप इन्हें जानते हैं?"
इंस्पेक्टर ने छाया के सामने हवा में हाथ हिलाकर कहा- "अरे! तुम सोशल वर्क में पढ़ाई कर रही हो और तुम इन्हें नहीं जानती। यह भारत की सबसे बड़ी सोशल एक्टिविस्ट है ।"
छाया ने गुस्से से लाल होकर कहा - "क्या इंस्पेक्टर साहब! सबसे बड़ी सोशल एक्टिविस्ट तो माहेश्वरी सिंघानिया है।"
तभी आफिस में मौजूद सभी लोग हंसने लगे। केशव ने पास आकर धीरे से छाया से पूछा - "तूने उस माहेश्वरी सिंघानिया का चेहरा देखा है ?"
छाया ने चुपके से मोबाइल निकाला। उसने गूगल में माहेश्वरी सिंघानिया का नाम टाइप किया तो उसी औरत का चेहरा फोन पर दिखने लगा। केशव ने छाया के सिर पर मारा। वह बेचारी अपना सिर सहलाने लगी।
कुछ बातें करनें के बाद माहेश्वरी सिंघानिया ने कहा- "अगर आप लोगों की अनुमति हो तो हम इस केन्डीडेट का इंटरव्यू ले सकते हैं?"
यह सुनकर सब बाहर चले गए। बाहर आते ही केशव ने रिसेप्शनिस्ट से माफी मांगी। दोनों ने हाथ मिलाकर दोस्ती कर ली। इंस्पेक्टर ठाकुर ने सिंघानिया इंडस्ट्रीज के बारे में बहुत कुछ बताया और कहा- "आपकी बहन यहां पूरी तरह से सुरक्षित है। आप बिल्कुल निश्चिंत रहें।"
रिसेप्शनिस्ट ने गंभीरता से कहा- "वैसे तो किसी का भी इंटरव्यू हमारी बाॅस नहीं लेती, लेकिन इस बार पता नहीं क्यों, उन्होंने कहा कि छाया गुप्ता का इंटरव्यू वहीं लेंगी।" केशव को यह सुनकर बहुत अजीब लगा। समझ नहीं आया कि वह खुश हो या परेशान।
कुछ देर बाद छाया बाहर आ गई। वह उदास थी। केशव देखकर समझ गया कि उसका इंटरव्यू अच्छा नहीं गया। केशव ने छाया के हाथों को अपने हाथ में लेकर कहा - "कोई बात नहीं। अगली बार फिर कोशिश करना।" छाया उदास होने का नाटक कर रही थी। खुशी के मारे अपने भैया के गले लग गई और बोली - "मेरा सेलेक्शन हो गया है। यही नहीं, मेरा ग्रेजुएशन कंप्लीशन के बाद मुझे अच्छी पोस्ट भी दी जाएगी। कल से आफिस आना है।" केशव ने खुश होकर छाया के सिर को सहलाते हुए कहा- "यह तो बहुत अच्छी बात है।" यह देखकर इंस्पेक्टर ठाकुर के चेहरे पर भी हंसी आ गई। उसने छाया के आगे हाथ बढ़ातें हुए कहा- "congratulations" । छाया ने झट से हाथ मिलाया और थैंक्यू कहकर मुस्कुराने लगी। तीनों वहां से निकल गए।
छाया अपनी नौकरी पाने से बहुत खुश थी। मैसेज करके केशव ने नम्रता को सब बता दिया। नम्रता ने गौरी और नित्या के साथ मिलकर अच्छे-अच्छे पकवान बनाए। विपिन और जतिन ने मिलकर घर को अच्छी तरह डेकोरेट किया। केशव ने इंस्पेक्टर ठाकुर को फोन करके इन्वाइट किया। शाम को बहुत अच्छी पार्टी हुई।
काशी और उसके माता-पिता भी उस पार्टी में शामिल हुए। पार्टी में सब खूब नाचे। इंस्पेक्टर ठाकुर को भी खींचकर केशव ने नाचने के लिए जोर दिया। थोड़ा बहुत नाचते हुए उसकी नज़र सामने नित्या पर गई। नित्या के डांस को देखकर इंस्पेक्टर ठाकुर को ऐसा लगा जैसे कोई अप्सरा उसके सामने है। वह नित्या को एकटक होकर देखता ही रहा। अचानक उसका फोन बजा। फोन पर बात करके वह केशव को बताकर निकल गया क्योंकि उसकी पेट्रोलिंग(अपने एरिया का राउंड लेना जिससे पता चले कि सब सुरक्षित है या नही) का काम था। सब काफ़ी थक चुके थे। सब जल्दी सो गए।
रात को छाया सोच में डूबीं हुई थी, उसे खुद पर सोच सोचकर बहुत गुस्सा आ रहा था कि वह माहेश्वरी सिंघानिया को नहीं पहचानती। पर वह बहुत खुश थी कि उसे उसके साथ काम करने का मौका मिला है।
छाया अचानक से झटके से उठी। उसने सर्च इंजन पर माहेश्वरी सिंघानिया लिखा। वह देखकर हैरत में पड़ गई कि वह छाया के काॅलेज की ट्रस्टी भी थी। उसने फैमिली सर्च किया तो उसे बहुत बड़ा झटका लगा। मोबाइल पर माहेश्वरी सिंघानिया विशाल के साथ खड़ी थी। तभी छाया को याद आया कि विशाल का पूरा नाम विशाल सिंघानिया है।
छाया की बेचैनी और बढ़ गई और उसने मोबाइल को बंद कर दिया। अब उसके लिए सो पाना नामुमकिन हो गया। लेकिन फिर भी वह सो ही गई।
...
सुबह छाया जल्दी उठ गई। नित्या ने उसके पसंद का नाश्ता बनाया। छाया उसे खाकर आफिस के लिए निकल गई। वह जल्दी आफिस पहुंच गई। छाया को लगा कि शायद वह जल्दी पहुंच गई। वहां पर मुश्किल से 5-6 लोग थे।
छाया ने रिसेप्शनिस्ट से पूछा- "अशोक जी! इतने बड़े आफिस में इतने कम लोग क्यों है।"
रिसेप्शनिस्ट ने जवाब दिया "हमारी बाॅस ने कम लोगों को रखा है इस आफिस के लिए। यह आफिस अभी अभी खुला है। धीरे-धीरे स्टाफ बढ़ाएगे।"
छाया मुस्कुराई और बोली - बताइए, मेरा क्या काम है? रिसेप्शनिस्ट ने छाया को एक फाइल पकड़ाकर कहा-" इसे पढ़कर बताओ कि यह कंपनी एथिक्स के अनुसार है या नहीं।"
छाया ने कहा- "मतलब"। इस पर अशोकजी ने हाथ बांधकर जवाब दिया - " देखो। सिंघानिया इंडस्ट्रीज की बहुत कंपनीज है, जो बिजनेस करके पैसे कमाती है। लेकिन हमारे इस फर्म का काम सोसायटी में मोरल एजुकेशन बिल्ड अप करना है और जहां कुछ ग़लत होता है, उसको रोकना मूल मोटिव है। इसलिए यहां इनकम ज्यादा नहीं होती। लेकिन हमारी बहुत रिस्पेक्ट होती है। यही कारण है कि...। "
छाया ने बीच में बोल पड़ी - "हमारी बाॅस नंबर वन है। आज बाॅस नहीं आएगी क्या?"
इस पर अशोकजी ने कहा- "नहीं। वह यहां कभी कभी ही आती है। पिछली बार वह तब आई थी, जब उन्हें पता चला था कि नौकरी का झांसा देकर एक फर्जी कंपनी लड़कियों के साथ गलत व्यवहार करती थी। लेकिन एक लड़की यानि तुमने उन्हें पीट-पीटकर जेल भिजवा दिया था।" वह जोर से हंसते हुए बोला- "चलो काम शुरू करें। छाया ने हां में सिर हिलाया और फाइल लेकर पढ़ने लगी।
छाया फाइल को बहुत बारीकी से पढ़ रही थी। उसने ज्यादा नहीं, एक दो चीजें अशोक जी के सामने रख दी। अशोक जी ने उस पाॅइंट को छाया को क्लियर किया। छाया ने बहुत सारी फाइलों कों एक साथ कंप्यूटर में फीड कर दिया। उसके कंप्यूटर स्कील को देखकर अशोक जी हैरान रह गए।
शाम के 5 बज गए। अशोक ने कहा- "अब तुम घर जाओ। अगले शनिवार मिलते हैं। सुबह 10 बजे आना। कालेज खुलने पर शाम को आ सकती हो।"
छाया ने खुश होते हुए कहा- थैंक्यू। इतने सपोर्ट के लिए। आप बहुत अच्छे हैं।" बोलकर उसने अपना सारा सामान समेट कर बाहर निकल गई।
छाया के जाने के बाद अशोकजी का चेहरा अचानक गंभीर हो गया और उसने एक फोन कॉल लगाया और कहा- "मेहता कंपनी में कुछ ठीक नहीं है?" फिर थोड़ी देर के बाद वह बोला - "हां, इसका पता नई लड़की ने ही लगाया है।" कुछ सुनकर बोला - "ठीक है। मैं विराज और भीमा को भेजता हूं।"
.....
पुलिस स्टेशन -
जेल के अंदर किसी को बुरी तरह पीटा जा रहा था। उसकी चीखने-चिल्लाने की आवाज दिल दहलाने वाली थी। यह वही आदमी था जिसे नित्या का पीछा करते हुए इंस्पेक्टर ठाकुर ने गिरफ्तार किया था।
इंस्पेक्टर ठाकुर उसे जानवरों की तरह मारा रहा था और बोल रहा था- "बता, बक्सीर कहां है? देख रघु! अगर जान प्यारी है तो बता दें वरना जान तो तेरी जाएगी ही। लेकिन तू एक ड्रग माफिया के लिए काम करता है। यह बात भी सब जगह फैल जाएगी। फिर तेरे घर वाले भी कहीं मुंह नहीं दिखा पाएंगे।"
रघु जोर से हंसा और बोला - "ओए दरोगा! पहले ये बता ये बक्सीर कौन है? तेरी खोखली धमकी से मैं नहीं डरने वाला। वो तो तू बीच में आ गया। वरना वो लड़की भी..."
इंस्पेक्टर ने उसके मुंह में जोर से मुक्का मारा और उसके मुंह से खून निकलने लगा। अपने खून को देखकर वह ठहाके लगाने लगा।
इंस्पेक्टर उसे वैसा ही छोड़कर जेल से बाहर निकल गया। उसने एक फोन लगाया और कहा - "जमीन-आसमान एक कर दो लेकिन बक्सीर का पता लगाओ।"
१. क्या छाया का सिंघानिया इंडस्ट्रीज में करियर उसे सफलता की ऊँचाइयों तक ले जाएगा या उसके कदमों को साजिशों के खतरनाक जाल में फँसा देगा?
२. क्या माहेश्वरी सिंघानिया और विशाल का रहस्य छाया की ज़िंदगी को उलझनों और भावनाओं के तूफान में धकेल देगा?
३. क्या इंस्पेक्टर ठाकुर "बक्सीर" को समय रहते पकड़ पाएंगे, या अंडरवर्ल्ड की साजिश नित्या के लिए खतरा बन जाएगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "छाया प्यार की।"