Dhumketu - 7 in Hindi Fiction Stories by mayur pokale books and stories PDF | धूमकेतू - 7

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धूमकेतू - 7

भाग 7 strikers

 

भभकते लावा की दरारों में एक परछाई हिल रही थी।वो प्रोफेसर गांधी ही था। उसका जला-झुलसा शरीर धीरे-धीरे लावे से energy खींचने लगा। उसकी त्वचा पर चिंगारियाँ दौड़ने लगीं। जैसे ही आग बुझी, वो फिर से खड़ा हो गया—पहले से कहीं ज़्यादा ताक़तवर, उसकी आँखें लाल कोयले जैसी चमक रही थीं।“कहा था ना…” उसकी आवाज़ पिघले लोहें जैसी गूँजी,“मैं कभी हारता नहीं! अजय… रणजीत… अब दोनों का हिसाब बाकी है। मैं हमेशा एक कदम आगे सोचता हूँ। दुनिया मेरी है… और मैं इसका राजा… hahaha!”उसकी हँसी पूरे गुफानुमा लैब में गूँज उठी।---🌙 दूसरी ओर…शाम ढल चुकी थी। अजय अपने घर के सामने आँगन में चारपाई पर बैठा था। बगल में उसकी छोटी बहन गीता चुपचाप आसमान के तारे देख रही थी।गीता ने अचानक कहा—“भैया, आपने सोचा नहीं… वापस जाने के लिए?”अजय चौंक गया।“वापस? कहाँ?” उसने भौंहें सिकोड़ लीं।“क्या यहाँ रहना बुरा है तुम्हें? तुम लोगों के साथ रहकर मैं खुश हूँ। इसलिए तो ANACC छोड़कर आया।”गीता की आवाज़ हल्की थी, लेकिन गहरी—“नहीं भैया… मेरा मतलब ये नहीं। मैं कहना चाहती हूँ कि आप अब पहले जैसे नहीं रहे। आपके अंदर बदलाव आ चुका है। आपके पास अब वो ताक़त है, जो किसी और के पास नहीं। और जब किसी को ज़्यादा शक्तियाँ मिलती हैं… तो उसके ऊपर उतनी ही ज़िम्मेदारियाँ भी आ जाती हैं। दुनिया के बुरे लोगों से लड़ना अब आपकी ज़िम्मेदारी है।”गीता उठकर अंदर चली गई।अजय अकेला बैठा रह गया। उसकी मुट्ठियाँ अनजाने में कस गईं। क्या सचमुच गीता सही कह रही थी? क्या परिवार से ऊपर कोई और फ़र्ज़ भी होता है?---🏢 कई किलोमीटर दूर… ANACC हेडक्वार्टररणजीत एक बड़ी स्क्रीन के सामने अपनी स्ट्राइकर्स टीम को ब्रीफ कर रहा था। तभी उसने महसूस किया कि पीछे कोई खड़ा है।वो पलटा—और दरवाज़े पर अजय खड़ा था।रणजीत हल्का मुस्कुराया।“मुझे पता था… तुम आओगे।”अजय आगे बढ़ा।“ये मत समझना कि मैं आपकी बातों से मान गया हूँ। मैं इसलिए लौटा हूँ क्योंकि आपके इरादे सही हैं। हाँ, आपके राज अब भी बहुत हैं। और उस दिन गुस्से में जो कहा… उसके लिए सॉरी।”रणजीत ने सिर हिलाया।अजय की नज़र पास खड़े तीन लोगों पर पड़ी।“और ये? इनके बारे में कभी बताया नहीं आपने।”रणजीत ने कहा—“जैसे तुम्हें गुपचुप ट्रेनिंग दे रहा था, वैसे ही इन्हें भी अलग-अलग जगह पर ट्रेन किया गया। अब वक्त है कि तुम इनसे मिलो।”उसने इशारा किया—“ये है वीर, तुमसे दो साल बड़ा। ये है मीनाक्षी, तुम्हारी उम्र की। और ये है रोहित, तुमसे एक साल छोटा। अब तुम भी इस टीम का हिस्सा हो।”रणजीत वहाँ से चला गया।अजय ने सबसे हाथ मिलाया। वीर ने सिर्फ ठंडी आवाज़ में कहा—“हेलो, मिस्टर अजय। मिलकर अच्छा लगा।”और बिना हाथ मिलाए चला गया।अजय हँस पड़ा—“क्या आदमी है यार, हाथ मिलाना भी गवारा नहीं किया।”मीनाक्षी और रोहित मुस्कुरा उठे।---🔬 दूसरी ओर… प्रोफेसर की गुप्त लैबगांधी अलग-अलग केमिकल्स मिलाकर एक विशाल मशीन में डाल रहा था। अचानक कमरे में एक तेज़ हवा का झोंका आया। कोई परछाई बिजली जैसी रफ्तार से निकली।प्रोफेसर ने तुरंत हाथ बढ़ाकर उस आकृति को गले से पकड़ लिया।“ओह… मिस्टर हाईटेक!” वह व्यंग्य से बोला।“तुम्हारी सुपरस्पीड कमाल की है, लेकिन मेरे सामने बेकार है।”उसने गला छोड़ दिया।“तो आज क्या चुराने आए हो? सुना है तुम्हारा हाईटेक टावर नष्ट हुआ। पक्का उस अजय ने ही किया होगा—रणजीत का चेला।”हाईटेक की आँखें सिकुड़ गईं।“तुम उसे जानते हो?”“जानता हूँ? मेरा हिसाब बाकी है उससे।”हाईटेक की आवाज़ कठोर हो गई—“हिसाब तो मेरा भी बाकी है।”प्रोफेसर मुस्कुराया।“तो क्यों न मिलकर बदला लिया जाए?”हाईटेक हँसा।“हाथ मिलाकर मुझे बदले के सिवा और क्या मिलेगा?”प्रोफेसर ने धीरे से कहा—“रणजीत के सारे एडवांस्ड डिवाइस… हथियार… जिन्हें तुम इंटरनेशनल मार्केट में बेच सकोगे।”हाईटेक का चेहरा बदल गया।उसने हाथ बढ़ाया—और दोनों की डील पक्की हो गई।---🌿 ANACC गार्डनअजय, मीनाक्षी और रोहित टहल रहे थे।“तो बताओ,” अजय ने पूछा,“तुम्हें कैसे मिली ये शक्तियाँ?”मीनाक्षी की आँखों में पुरानी यादें तैर गईं।“दरअसल… मुझे और रोहित को एक साथ ही उल्कापिंड से शक्तियाँ मिलीं। वो सीधा हमारे सामने गिरा था। इसलिए हमारी पॉवर्स आपस में मिक्स हो गईं। हम बचपन से दोस्त हैं… शायद किस्मत ने हमें जोड़ दिया।”“घर की याद नहीं आती?” अजय ने धीमे स्वर में पूछा।मीनाक्षी की आँखें भर आईं।“इसका तो कोई नहीं… मगर मेरा एक भाई है। जिसे छोड़कर मुझे यहाँ आना पड़ा। याद तो बहुत आती है।”अजय ने उसके कंधे पर हाथ रखा।“अब हम ही परिवार हैं। चाहे जैसे हालात हों।”तभी रणजीत पीछे से आ गया।“ऑलराइट, स्ट्राइकर्स! मिशन टाइम।”अजय बुदबुदाया—“ये आदमी मिशन के अलावा कुछ बोलता ही नहीं। इसके परिवार का हमें कभी पता नहीं चलेगा।”मीनाक्षी और रोहित हल्की हँसी दबा गए।---🛡 मिशन ब्रीफिंगरणजीत ने प्रोजेक्टर ऑन किया। स्क्रीन पर एक नक्शा उभरा।“गोवा। आज से ठीक दस दिन बाद—28 अक्टूबर। हमें पुख्ता जानकारी है कि यहाँ एक बड़ा आतंकी हमला होगा। इसका मास्टरमाइंड है जमाल। दो बार कोशिश कर चुका है, दोनों बार नाकाम रहा। लेकिन इस बार उसके पास भारी हथियार हैं और सैकड़ों लड़ाके। अगर हम नहीं रुके, तो तबाही तय है।”स्क्रीन पर जमाल की तस्वीर चमकी—चेहरे पर खतरनाक मुस्कान, और पृष्ठभूमि में हथियारबंद लोग।“उनका बेस है लक्षद्वीप का आयलैंड C-21।” रणजीत ने बताया।“तुम लोग हेलीकॉप्टर से जाओगे। पीछे दो और हेलीकॉप्टर होंगे, जिनमें ANACC की आर्मी होगी। पहले तुम मिशन पूरा करने की कोशिश करोगे। अगर मुश्किल आई, तो आर्मी मदद के लिए तैयार रहेगी। सरकार से अनुमति मिल चुकी है।”तभी वीर अन्दर आया। उसने सबकी बात बीच में काट दी—“आर्मी की क्या ज़रूरत? हम चार ही काफी हैं। बल्कि सच कहूँ तो मैं अकेला ही इन सबको खत्म कर दूँगा।”कमरे में सन्नाटा छा गया।अजय ने उसकी ओर देखा—वो ओवरकॉनफिडेंट था, और शायद यही आने वाले समय का सबसे बड़ा खतरा बन सकता था।--

 

क्या वीर अकेले मिशन पर जाएगा?क्या स्ट्राइकर्स टीम पहली बार एकजुट होकर जीत पाएगी?प्रोफेसर गांधी और हाईटेक का अगला कदम क्या होगा?और… क्या जमाल का हमला दुनिया के लिए नई मुसीबत बनेगा?---✍️ लेखक – मयूर